नई दिल्ली । महात्मा गांधी को सबसे बड़े हिंदू देशभक्त के रूप में चित्रित करने वाली पुस्तक का नए साल के पहले दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत विमोचन करेंगे। एक जनवरी को महात्मा गांधी के समाधिस्थल राजघाट पर ‘मेकिंग ऑफ ए हिंदू पैट्रियट’ नामक इस किताब के विमोचन समारोह में मोदी सरकार के मंत्री प्रहलाद पटेल और वी मुरलीधरन भी हिस्सा लेंगे।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इसी साल फरवरी में शिक्षाविद जगमोहन राजपूत की किताब का विमोचन करते हुए गांधी के सपनों का भारत बनाने की अपील की थी। मोहन भागवत ने कहा था, “गांधी जी ने कई बार स्वयं को कट्टर सनातनी हिंदू बताया था। उन्हें कभी स्वयं के हिंदू होने पर लज्जा नहीं हुई। महात्मा गांधी के सपनों का भारत बनाने की दिशा में आरएसएस के सरसंघचालक की अपील की कड़ी में इस किताब के विमोचन के काफी मायने हैं।”
किताब को जेके बजाज और प्रो. एमडी श्रीनिवास ने मिलकर लिखा है। जेके बजाज, सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीज के संस्थापक निदेशक और इंडियन काउंसिल आफ सोशल साइंस रिसर्च के मेंबर के साथ ओबीसी जातियों के उपवर्गीकरण करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से गठित आयोग के सदस्य भी हैं। वहीं दूसरे लेखक प्रो. एमडी श्रीनिवास सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीज के संस्थापक अध्यक्ष हैं।
किताब के लेखक जेके बजाज ने आईएएनएस को बताया, “गांधी जी जन्मजात हिंदू थे, लेकिन दक्षिण अफ्रीका के संघर्ष के दिनों में वह प्रखर हिंदू बनकर निकले। हिंदू होना क्या होता है? यह उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में संघर्षो के दौरान जाना। गांधी जी खुलकर कहते थे- मेरी देशभक्ति बढ़ती जा रही है और यह देशभक्ति मेरे धर्म से निकलती है।”
लेखक जेके बजाज ने बताया कि, “दक्षिण अफ्रीका में रहने के दौरान इसाई और मुस्लिम मित्रों ने जब धर्मातरण कराने की कोशिश की तो महात्मा गांधी ने इनकार कर दिया था। इस दौरान उन्होंने सनातन हिंदू धर्म के बारे में गहन अध्ययन शुरू किया। जिससे उनकी हिंदू पहचान और प्रखर हुई।”
‘मेकिंग ऑफ ए हिंदू पैट्रियट’ नामक किताब में गांधी के ‘हिंद स्वराज’ की पृष्ठिभूमि की जानकारी दी गई है। गांधी जी के व्यक्तित्व के विकास और उनके दक्षिण अफ्रीका में रहने के दौरान चलाए अभियानों से लेकर कई रोचक जानकारियां हैं। पुस्तक में 11 सितंबर 1906 को जोहांसबर्ग के एंपायर थियेटर में आयोजित ऐतिहासिक बैठक में गांधी के ‘सत्याग्रह’ के जन्म की कहानी का भी वर्णन है। ‘द साउथ अफ्रीकन जेल डायरी’ नामक अध्याय में महात्मा गांधी और उनके समर्थकों के सत्याग्रह की खोज में जेल में मिली यातनाओं की दास्तान भी है।
इस किताब में महान रूसी लेखक और दार्शनिक लियो टॉलस्टॉय और महात्मा गांधी के बीच हुए पत्राचार का भी वर्णन है। किताब में कहा गया है कि यह लियो टॉलस्टॉय ही थे, जिन्होंने सबसे पहले महात्मा गांधी को हिंदू पैट्रियट(हिंदू देशभक्त) की उपाधि दी थी। किताब में लियो टॉलस्टॉय के बारे में कहा गया है कि वह गांधी की ‘हिंदू देशभक्ति’ को छोड़कर अन्य सभी बातों के प्रशंसक थे। इस किताब में गांधी जी के दक्षिण अफ्रीका से आने के दौरान जुलाई 1914 में हुई दो फेयरवेल मीटिंग के बारे में भी जानकारी है, जिसमें उन्हें देशभक्त महात्मा की उपाधि मिली थी।