घर खरीदने से पहले 5 बातें जरूर जांचें, बिल्डर कितने बैंकों…

घर खरीदना एक सोच-विचार कर लिया गया निर्णय होता है, इसके बावजूद कई बार ग्राहक कई गलतियां कर बैठते हैं। लोग फ्रॉड से लेकर कानूनी विवाद तक में फंस जाते हैं। यह सच है कि सभी बिल्डर या डेवलपर डिफॉल्टर नहीं होते, इसके बावजूद ग्राहकों की धोखाधड़ी की कई घटनाएं सामने आती हैं।

रेरा कानून आने के बाद ऐसे मामलों पर एक हद तक लगाम भी लग चुकी है। ऐसे में, धोखाधड़ी से बचने का सबसे बेहतर उपाय है कि जिस बिल्डर या डेवलपर से आप घर खरीद रहे हैं, उससे संबंधित सारी जानकारी आपके पास होनी चाहिए।

जैसे बिल्डर के पिछले प्रोजेक्ट समय से पूरे हुए या नहीं? बाजार में उसकी छवि कैसी है? वह किसी विवाद में तो नहीं रहा है। निवेश करने से पहले इन बातों की जांच करनी चाहिए।

हम यहां आपको वो 5 तरीके बता रहे हैं, जिनसे आप बिल्डर की विश्वसनीयता चेक कर सकते हैं…

1. बैंक की प्री-अप्रूवल लिस्ट में है या नहीं
बिल्डर की विश्वसनीयता के लिए बैंक की प्री-अप्रूवल लिस्ट जांची जा सकता है। उसी बिल्डर या डेवलपर का चुनाव करना चाहिए जो कम से कम तीन या उससे ज्यादा बैंकों के प्री-अप्रूवल प्रोजेक्ट वाली लिस्ट में हो।

बैंक किसी भी डेवलपर के प्रोजेक्ट को लोन देने से पहले उसकी कानूनी वैधता की गहराई से जांच पड़ताल करता है। अगर कोई प्रोजेक्ट तीन से ज्यादा बैंकों की प्री-अप्रूवल लिस्ट में है तो उस पर भरोसा किया जा सकता है।

2. बिल्डर का डिलिवरी ट्रैक रिकॉर्ड जांचें
किसी भी आवासीय प्रोजेक्ट में निवेश करने से पहले उसके पिछले रिकॉर्ड को नजरअंदाज ना करें। पिछले प्रोजेक्ट्स में घरों की डिलिवरी समय पर हुई है या नहीं… अगर देर हुई है तो क्या वजह रही। और उस देरी की भरपाई को लेकर बिल्डर या डेवलपर ने क्या कदम उठाया।

इन सभी बातों को देखकर ही घर लेने जैसा बड़ा निवेश करें। इसके लिए कई बार नए बिल्डर के प्रोजेक्ट में निवेश करने से बचने की भी सलाह दी जाती है। भले ही बाजार से कम कीमत पर ही घर क्यों ना मिल रहा हो।

3. बिल्डर के पहले से बने प्रोजेक्ट को जाकर देखें
किसी बिल्डर के आवासीय प्रोजेक्ट की क्वालिटी जांचने के लिए उसके पुराने प्रोजेक्ट को जाकर देखा जा सकता है। इसमें निर्माण साम्रगी किस तरह की इस्तेमाल की गई है। वहां पार्क जैसे ओपन एरिया हैं या नहीं।

घर के अंदर किस क्वालिटी के सामान का इस्तेमाल किया गया है, इन सब बातों को देखा और जांचा जा सकता है। वहां रह रहे लोगों से भी जानकारी ली जा सकती है। जैसे घर का पजेशन मिलने में उनके साथ कोई देरी तो नहीं हुई?

4. बिल्डर की आर्थिक स्थिति को लेकर जानकारी रखें
वो कंपनी या ग्रुप जो शेयर मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी बैलेंस शीट पब्लिक डोमेन में होती है। ऐसे ग्रुप की आर्थिक स्थिति आसानी से जांची जा सकती है।

जिनकी बैलेंस शीट पब्लिक डोमेन में नहीं है उनकी आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए थोड़ी जांच-पड़ताल करनी पड़ सकती है। इसमें डेवलपर, ब्रोकर या कॉन्ट्रैक्टर की मदद ली जा सकती है। पैसों की डील में बिल्डर का रवैया उसकी आर्थिक स्थिति को परखने का एक पैमाना हो सकता है।

5. जिस जमीन पर घर बन रहा है उसकी ओनरशिप है या नहीं
किसी आवासीय प्रोजेक्ट में घर खरीदते समय अक्सर यह मानकर चला जाता है कि जिस जमीन पर वह बन रहा है उसका ओनरशिप बिल्डर के पास होगा।

कुछ मामलों में सामने आता हैं कि पूरी जमीन की ओनरशिप ही नहीं है और बाद में इसकी कानूनी घर खरीदार के लिए तकलीफदेह होती है।

इस स्थिति से बचने के लिए प्रोजेक्ट से जुड़ी सभी अनुमतियों की जांच करते समय जमीन की टाइटल सर्च भी कराएं। इसके लिए किसी वकील की मदद ली जा सकती है।

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