चंद्रयान-3 आखिरी 15 मिनट का खौफ, चांद पर उतरने के बाद क्या करेगा

नई दिल्ली। अंतरिक्ष जगत में भारत आज इतिहास रचने जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का मिशन चंद्रयान-3 आज शाम चंद्रमा की सतह पर ‘साफ्ट लैंडिंग’ करेगा। पूरी दुनिया इस पल का इंतजार कर रही है।

लैंडिंग मॉड्यूल को उतारने के चरण ऐसे होंगे
  • पहला चरण : इस चरण में यान की सतह से 30 किमी की दूरी को घटा कर 7.5 किमी पर लाया जाएगा।
  • दूसरा चरण : इसमें सतह से दूरी 6.8 किमी तक लाई जाएगी। इस चरण तक यान का वेग 350 मीटर प्रति सेकंड रह जाएगा, यानी शुरुआत से करीब साढ़े चार गुना कम।
  • तीसरा चरण : इसमें यान को चंद्र सतह से महज 800 मीटर की ऊंचाई तक लाया जाएगा। यहां से दो थ्रस्टर इंजन उसे उतारेंगे। इस चरण में यान का वेग शून्य प्रतिशत सेकंड के बेहद करीब पहुंच जाएगा।
  • चौथा चरण : इस चरण में यान को सतह के 150 मीटर करीब तक लाया जाएगा। इसे वर्टिकल डिसेंट कहते हैं, यानी खड़ी लैंडिंग।
  • पांचवां चरण : इस चरण में यान में लगे सेंसर और कैमरा से मिल रहे लाइव इनपुट को पहले से स्टोर किए गए रेफरेंस डाटा से मिलाया जाएगा। इस डाटा में 3,900 तस्वीरें भी शामिल हैं, जो चंद्रयान 3 के उतरने वाली जगह की हैं। इस तुलना से निर्णय होगा कि चंद्र सतह से ऊपर जहां लैंडर स्थित है, वहां से उसे सीधे सतह पर उतारें तो लैंडिंग सही रहेगी या नहीं। अगर ऐसा लगा कि लैंडिंग की जगह अनुकूल नहीं है, तो वह थोड़ा दाईं ओर या बाईं ओर मुड़ेगा। इस चरण में यान चंद्र सतह के 60 मीटर तक करीब पहुंचाया जाएगा।
  • छठा चरण : यह लैंडिंग का आखिरी चरण है, इसमें  लैंडर को सीधे चंद्र सतह पर उतार दिया जाएगा।

इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग का सीधा प्रसारण किया जाएगा. निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक इसरो शाम पांच बजे के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतारने की कोशिश कर रहा है. भारत में लोग चंद्रयान-3 की लैंडिंग को लेकर खासे उत्साहित हैं और जगह-जगह लोग इसकी सफल लैंडिंग के लिए पूजा पाठ भी कर रहे हैं.

अहम हैं वो 15 मिनट

चंद्रयान-3 के लैंडर को 25 किलोमीटर की ऊंचाई से लैंड कराने की कोशिश की जाएगी. इस प्रक्रिया में 15 से 17 मिनट लगेंगे. इसे “15 मिनट्स ऑफ टेरर” यानी खौफ के 15 मिनट्स कहा जाता है. चंद्रयान-2 की लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट अहम साबित हुए थे.

इसरो के अहमदाबाद केंद्र के निदेशक निलेश एम देसाई ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग को लेकर बताया है कि 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की लैंडिंग से कुछ घंटे पहले निर्णय लिया जाएगा कि लैंडिंग के लिए समय उचित है या नहीं. देसाई ने कहा कि अगर कोई बाधा होती है तो लैंडिंग को 27 अगस्त तक के लिए बढ़ा देंगे.

क्या करेंगे लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान 

चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड करने के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान अगले दो हफ्ते तक वहां से डाटा इसरो को भेजेंगे. रोवर के पेलोड्स में जो उपकरण लगे हैं, वे चांद से जुड़ा डाटा भेजेंगे. ये चांद के वातावरण से जुड़ी जानकारियां लैंडर को भेजेंगे.

चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव बहुत ऊबड़-खाबड़ है, इसलिए वहां किसी यान का उतरना बेहद मुश्किल माना जाता है. लेकिन तब भी विभिन्न देश वहां पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि वहां बर्फ मौजूद है, जिससे ईंधन, पानी और ऑक्सीजन निकाली जा सकती हैं, जो मानव जीवन के लिए आवश्यक हैं.

अगर यह अभियान सफल रहता है तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला भारत मात्र चौथा देश होगा. चार साल पहले ऐसी एक कोशिश तब नाकाम हो गयी थी जब चांद की सतह पर उतरने से कुछ ही पल पहले चंद्रयान-2 से वैज्ञानिकों का संपर्क टूट गया था.

चांद पर उतरने के बाद क्या -क्या करेगा

चांद की सतह पर उतरते ही विक्रम लैंडर का एक साइड पैनल मुड़ जाएगा, जिससे प्रज्ञान रोवर के लिए रैंप यानी उतरने के लिए रास्ता खुल जाएगा.विक्रम को चंद्रमा पर सॉफ़्ट लैंडिंग के हिसाब से बनाया गया है ताकि रोवर को नुक़सान ना पहुँचे.रोवर का नाम प्रज्ञान है. ये छह पहियों वाला रोबोटिक व्हीकल है, जो चंद्रमा पर चलेगा और तस्वीरें लेगा. प्रज्ञान में इसरो का लोगो और तिरंगा बना हुआ है. चांद की सतह पर उतरने के चार घंटे बाद प्रज्ञान लैंडर से बाहर निकलेगा. प्रज्ञान एक सेंटिमीटर प्रति सेकेंड की रफ़्तार से चांद की सतह पर चलेगा. इस दौरान कैमरों की मदद से प्रज्ञान चांद पर मौजूद चीज़ों की स्कैनिंग करेगा.

प्रज्ञान चांद के मौसम का हाल पता करेगा. इसमें ऐसे पेलोड लगाए गए हैं, जो चांद की सतह के बारे में बेहतर जानकारी मिल सकेगी. ये इयॉन्स और इलैक्ट्रॉन्स की मात्रा को भी पता लगाएगा.जैसे-जैसे प्रज्ञान आगे बढ़ेगा, चांद की सतह पर भारतीय तिरंगा और इसरो लोगो बनता चला जाएगा.प्रज्ञान को ऐसे बनाया गया है कि वो चांद की सतह की जानकारी जुटा सके. प्रज्ञान इन जानकारियों को जुटाकर लैंडर तक पहुंचाएगा.चांद की सतह का अध्ययन करने के लिए लैंडर के पास दो हफ़्तों को समय होगा.प्रज्ञान सिर्फ़ लैंडर से संवाद कर सकता है और ये लैंडर ही होगा, जो धरती पर डाटा भेज रहा होगा.

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