नई दिल्ली। कृषि कानूनों को निरस्त करने की जिद पर अड़े किसान संगठनों के आंदोलन को खालिस्तान, पाकिस्तान औऱ नक्सली मूवमेंट जैसे नाम दिए जाने को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सरकार पर हमला बोला है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा है कि अगर सरकार को पता है कि किसानों का यह आंदोलन प्रायोजित है तो फिर सरकार उनसे बात क्यों कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार जानबूझकर किसानों के आंदोलन को नकारात्मक बताने में लगी है।
पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने रविवार को ट्वीट कर केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर किसानों के आंदोलन की छवि बिगाड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के मंत्रियों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को खालिस्तानी, पाकिस्तानी और चीनी एजेंट, माओवादी और नवीनतम टुकड़े-टुकड़े गिरोह का बताया। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इन सभी श्रेणियों में प्रदर्शनकारियों को बांट चुकी है, तो इसका मतलब है कि हजारों प्रदर्शनकारियों के बीच कोई किसान नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर किसान नहीं हैं, तो सरकार उनसे बात क्यों कर रही है?
दरअसल, पिछले कुछ दिनों में भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं ने किसानों के इस आंदोलन को प्रायोजित तथा राजनाति से प्रेरित बताया था। इस आंदोलन को लेकर कहा गया कि इसे एक्ट्रीम लेफ्ट विचार वाले लोगों और माओवादियों ने हाईजैक कर लिया है। सत्ता पक्ष के इन आरोपों को लेकर ही चिदंबरम ने किसान संगठनों से सरकार की बातचीत पर सवाल खड़ा किया है।
एक दिन का उपवास रखेंगे किसान
नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का हल्लाबोल जारी है। वहीं आंदोलन के तेज करने की मंशा से किसानों ने सोमवार को उपवास रखने का ऐलान किया है। यही नहीं, किसान आंदोलन के समर्थन में अब आम आदमी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी उपवास रखेंगे। दूसरी ओर, उग्र होते प्रदर्शन को देखते हुए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और कृषि राज्यमंत्री सोम प्रकाश ने गृहमंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात की। केंद्र सरकार किसानों के साथ बैठकर जल्द से जल्द मामले का हल निकालना चाहती है।