नई दिल्ली। सीमा विवाद के बाद चीनी कंपनियों पर चल रही भारत की कार्रवाई अभी भी जारी है। अब सरकार ने चीन की टेक्नोलॉजी कंपनी हुवावे और जेडटीई पर शिकंजा कसने की तैयारी की है। सरकार ने हुवावे और जेडटीई को 5जी ट्रायल से दूर करने की तैयारी कर ली है। सरकार जल्द ही दोनों कंपनियों पर बैन की घोषणा कर सकती है। सीमा विवाद के बाद भारत और चीन के संबंध चार दशक में सबसे ज्यादा खराब दौर से गुजर रहे हैं।
केंद्र ने 23 जुलाई को बदल दिए थे विदेशी निवेश के नियम
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर 23 जुलाई को विदेशी निवेश से जुड़े नियम बदल दिए थे। नए नियमों के मुताबिक, जिन देशों के साथ भारत की सीमा जमीन के जरिए साझा होती है, उन देशों को निवेश से पहले जरूरी मंजूरी लेनी होगी। इस मामले से वाकिफ सूत्रों के मुताबिक, अब साउथ एशिया के देशों को नए नियमों के भारत में निवेश से पहले जरूरी मंजूरी लेनी होगी। सूत्रों के मुताबिक, दूरसंचार मंत्रालय 5जी ट्रायल के लिए प्राइवेट कंपनियों के पेंडिंग आवेदनों को मंजूरी के लिए जल्द ही प्रक्रिया शुरू करेगा। भारती एयरटेल, रिलायंस जियो इन्फोकॉम और वोडाफोन-आइडिया ने 5जी ट्रायल के लिए आवेदन किया है। लेकिन देशव्यापी लॉकडाउन के कारण इसमें देरी हो रही है।
अगले साल के लिए टल सकती है 5जी की नीलामी
अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने चीन सरकार से जुड़ी चीनी कंपनियों के लिए 5जी ट्रायल के दरवाजे बंद कर दिए हैं। भारत भी इसी दिशा में कदम उठाने जा रहा है। फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन ने हुवावे और जेडटीई को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा घोषित कर दिया है। एक अधिकारी के मुताबिक, 5जी नीलामी की प्रक्रिया अगले साल के लिए टल सकती है। सूत्रों का कहना है कि इन दोनों चीनी कंपनियों पर बैन की घोषणा प्रधानमंत्री कार्यालय से मंजूरी के बाद 1 या दो सप्ताह में हो सकती है।
20 सैनिकों की मौत के बाद तल्ख हुए भारत-चीन के रिश्ते
इस साल जून में लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा पर भारत और चीन की सेना के बीच विवाद हो गया था। इस विवाद में भारत के 20 सैनिकों की मौत हो गई थी। वहीं, चीन के भी कुछ सैनिकों की मौत का बात सामने आई थी। इसके बाद से भारत और चीन के रिश्ते तल्ख बने हुए हैं। हालांकि, भारत ने इस साल की शुरुआत में हुवावे को 5जी ट्रायल में हिस्सा लेने की मंजूरी दे दी थी। लेकिन सीमा विवाद के बाद भारत लगातार चीनी कंपनियों पर कार्रवाई कर रहा है।
टेलीकॉम इंफ्रा राष्ट्रीय सुरक्षा असेट का हिस्सा: निखिल बत्रा
इंटरनेशनल डाटा कॉरपोरेशन (आईडीसी) के एनालिस्ट निखिल बत्रा का कहना है कि टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर किसी भी देश के राष्ट्रीय सुरक्षा असेट्स का हिस्सा होता है। प्रत्येक देश इसे बिजली और पानी की तरह कंट्रोल और रेगुलेट करना चाहता है। लेकिन भारतीय टेलीकॉम बाजार पहले ही इंफ्रास्ट्रक्चर और रेगुलेटरी समस्याओं से जूझ रहा है। भारत का नेटवर्क इक्विपमेंट बाजार काफी छोटा है। ऐसे में हुवावे और जेडटीई पर बैन का फैसला भारत की चुनौतियों को और बढ़ा सकता है।
5जी सेटअप पर 4 बिलियन डॉलर के निवेश का अनुमान
आईडीसी का अनुमान है कि 5जी इंफ्रास्ट्रक्चर के सेटअप में टेलीकॉम कंपनियों को 4 बिलियन डॉलर का निवेश करना होगा। यह भारतीय कंपनियों के लिए मुश्किल हो सकता है क्योंकि भारती एयरटेल, वोडाफोन ग्रुप और सरकारी टेलीकॉम कंपनियां 4जी नेटवर्क को मुनाफे वाला बनाने के लिए जूझ रही हैं। यह कंपनियां पहली ही 4जी नेटवर्क के लिए चीनी इक्विपमेंट पर निर्भर हैं। एसबीआईकैप सिक्युरिटीज लिमिटेड के हेड ऑफ रिसर्च राजीव शर्मा के मुताबिक, हुवावे और जेडटीई के लिए दरवाजे बंद करने से 5जी पर स्विच करने की लागत में 35% का इजाफा हो सकता है।
हुवावे के लिए चुनौती बन सकती है रिलायंस
दुनिया के दूसरे सबसे बड़ा वायरलेस बाजार भारत में घरेलू कंपनी रिलायंस हुवावे के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। इसका कारण यह है कि मुकेश अंबानी 15 जुलाई को कंपनी की एजीएम में घोषणा कर चुके हैं कि जियो इन्फोकॉम 5जी नेटवर्क रोलआउट के लिए तैयार है। मुकेश अंबानी ने कहा था कि जियो ने 5जी की पूरी तकनीक इन-हाउस डवलप की है। रिलायंस समूह का कहना है कि उन्हें नए सिस्टम में स्विच करने के लिए विरोधियों की तरह ज्यादा राशि खर्च नहीं करनी पड़ेगी।
भारत ने टिकटॉक समेत चीन के 106 ऐप पर बैन लगाया
लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा विवाद के बाद भारत सरकार ने चीन की कंपनियों के 59 ऐप पर बैन लगा दिया था। इसमें टिकटॉक, वीचैट, अलीबाबा ग्रुप का यूसी ब्राउजर और यूसी न्यूज जैसे पॉपुलर ऐप शामिल थे। इसके बाद सरकार ने पिछले महीने जुलाई में भी चीन के 47 ऐप पर बैन लगाया था। इसमें अधिकांश पहले बैन किए गए ऐप के क्लोन थे। इस प्रकार भारत सरकार अब तक चीन के 106 ऐप पर बैन लगा चुकी है। टिकटॉक के भारतीय कारोबार की वैल्यू 3 बिलियन डॉलर के करीब आंकी गई है।