नई दिल्ली। चीन की हठधर्मिता को देखते हुए भारतीय सेना ने भी अपना जंगी साजो सामान जुटाना शुरू कर दिया है ताकि चीन कि किसी भी दुस्साहस का कडा जवाब दिया जा सके। भारत सरकार ने लद्दाख सीमा पर चीन के साथ बढ़ते विवाद के बीच भारतीय सेना को हथियार खरीदने की मंजूरी दी है। वरिष्ठ सरकारी अफसरों के मुताबिक, तीनों सेनाओं के वाइस चीफ को 500 करोड़ रुपए तक के हथियार खरीदने की इजाजत दी गई है। इसके तहत वे फास्ट ट्रैक प्रक्रिया से जरूरी हथियार खरीद सकते हैं।
दरअसल, पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन ने अपने सैनिकों की तादाद बढ़ा दी है। इसे देखते हुए सरकार ने भारतीय सेना को हथियार खरीदने की अनुमति दी है ताकि विवाद होने की स्थिति में यह हथियार सेना के लिए मददगार साबित होंगे।
बता दें 15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें भारत के एक अफसर समेत 20 सैनिक शहीद हुए थे। इसके बाद से चीन और भारत के बीच तनाव बढ़ गया है। इसके बाद चीन ने गलवान घाटी को अपना हिस्सा बताया है जबकि भारत ने इस बात को नकारते हुए चीन के दावे को गलत बताया है। भारत ने कहा है कि गलवान घाटी भारत का हिस्सा है।
उरी हमले के बाद भी ऐसी मंजूरी दी गई थी
उरी हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक से पहले भी सेना को इसी तरह के वित्तीय अधिकार दिए गए थे। उस समय भारतीय वायुसेना को इसका सबसे ज्यादा मिला था। वायुसेना ने हवा से जमीन पर वार करने वाली स्पाइस-2000 और स्ट्रम एटाका जैसे हथियारों के साथ ही हवा से हवा में वार करने वाली मिसाइलें भी खरीदी थीं। इसके अलावा अमेरिका और इजराइल से गाइडेड म्युनेशन मिसाइलें भी ली गई थीं।
रविवार को रक्षा मंत्री ने सेना प्रमुख के साथ बैठक की
रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत, सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन से सख्ती से निपटने के निर्देश दिए। सरकार ने सेनाओं को चीनी सेनाओं से निपटने के लिए खुली छूट दे दी है।