वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की सभी आठ विधानसभा में भाजपा गठबंधन ने लगातार दूसरे विधानसभा चुनाव में क्लीन स्वीप किया है। लेकिन, इस जबरदस्त जीत के बावजूद भाजपा गठबंधन के प्रत्याशियों के वोट प्रतिशत में कमी आई है। वाराणसी की अजगरा (सु.), उत्तरी और कैंट विधानसभा को छोड़कर 5 सीटें ऐसी हैं, जहां 2017 की तुलना में इस बार भाजपा गठबंधन के प्रत्याशियों को 3 से 6 प्रतिशत तक कम वोट मिले। इनमें भाजपा सरकार के दो मंत्रियों डॉ. नीलकंठ तिवारी की दक्षिणी विधानसभा और अनिल राजभर की शिवपुर सीट भी शामिल हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा के रणनीतिकार वोट प्रतिशत में आई कमी की वजह तलाशने में जुट गए हैं। बताया जा रहा है कि जल्द ही इसकी रिपोर्ट पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सौंपी जाएगी कि आखिरकार भाजपा गठबंधन के प्रत्याशियों के वोट प्रतिशत में कमी क्यों आई…?
BJP+ प्रत्याशियों के दो चुनावों के वोट प्रतिशत
विधानसभा | 2017 में भाजपा को मिले वोट | 2017 का वोट प्रतिशत | 2022 में भाजपा को मिले वोट | 2022 का वोट प्रतिशत |
दक्षिणी | 92560 | 51.89 | 99622 | 50.88 |
शिवपुर | 110453 | 48.64 | 115231 | 45.76 |
पिंडरा | 90614 | 44.97 | 84325 | 38.23 |
सेवापुरी | 103423 | 50.48 | 105163 | 47.6 |
रोहनिया | 119885 | 51.77 | 118663 | 48.08 |
अजगरा | 83778 | 38.52 | 101088 | 41.25 |
उत्तरी | 116017 | 51.20 | 134471 | 54.61 |
कैंट | 132609 | 58.46 | 147833 | 60.63 |
सपा की स्थिति में आया सुधार
2017 का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था। इस चुनाव में सपा के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अपना दल (कमेरावादी) थे। इस चुनाव में वाराणसी में सपा गठबंधन की स्थिति सुधरी दिखी। शहर दक्षिणी, उत्तरी, कैंट और सेवापुरी विधानसभा में सपा ने अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया था। वहीं, अजगरा (सु.), शिवपुर, रोहनिया और पिंडरा में सपा के सहयोगी दलों के प्रत्याशी चुनाव लड़े थे।
इन आठों विधानसभा में सिर्फ पिंडरा को छोड़ दिया जाए तो शेष 7 सीटों पर सपा गठबंधन के प्रत्याशी ही दूसरे स्थान पर रहे और उनका वोट प्रतिशत भी बढ़ा। उधर, कांग्रेस के प्रत्याशियों का प्रदर्शन इस बार 2017 के विधानसभा चुनाव से भी खराब रहा।