काबुल/हेरात। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद मुल्क में हर तरफ खौफ का माहौल है। क्या बच्चे और क्या बड़े, हर वर्ग और तबका मुंह खोलने से डर रहा है। इसी दहशत के बीच, देश के पश्चिम में स्थित हेरात शहर में महिलाएं सड़कों पर उतरीं। उन्होंने तालिबान से शिक्षा और रोजगार का हक देने के लिए आवाज बुलंद की। तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर फतह के साथ ही अफगानिस्तान पर कब्जे का मिशन लगभग पूरा कर लिया था। अमेरिकी फौज भी वापस जा चुकी है।
खतरों के बावजूद हेरात की कुछ महिलाओं ने साहस दिखाया और तालिबान की बनने जा रही हुकूमत के सामने अपनी मांगें रखीं। तालिबान के खिलाफ यह इस तरह का पहला विरोध प्रदर्शन है।
टोलो न्यूज की रिपोर्टर ने खबर दी
तालिबान अक्सर अपने खिलाफ उठने वाली आवाज को बंदूक के दम पर दबा देते हैं। हेरात में जब गुरुवार को महिलाएं सड़क पर विरोध प्रदर्शन के लिए उतरीं तो दुनिया तक इसकी खबर टोलो न्यूज की संवाददाता जाहरा रहीमी ने पहुंचाई। उन्होंने सोशल मीडिया पर फोटो के साथ इस खबर को शेयर किया।
महिलाओं ने क्या कहा?
विरोध प्रदर्शन में शामिल 24 साल की मरियम अबराम ने बाद में ‘अल-जजीरा’ टीवी से कहा- हमने मजबूरी में विरोध का फैसला किया। तालिबान महिलाओं को रोजगार के अवसर देने पर साफ बात करने को तैयार नहीं दिखते। हमें कहा जा रहा है कि आप काम पर नहीं जा सकतीं। ऑफिस जाते हैं तो वहां से लौटा दिया जाता है। हमने पुलिस चीफ और कल्चरल डायरेक्टर से भी बात की। उन्होंने डेमोक्रेसी खत्म करके मुल्क पर कब्जा किया है। ये बताएं कि अब क्या करेंगे?
मरियम ने आगे कहा- मैंने कुछ दूसरी महिलाओं को साथ लेकर तालिबान के अफसरों से मुलाकात की। उनसे कहा कि वो सही हालात की जानकारी दें। ये बताएं कि वो महिलाओं को शिक्षा और रोजगार का हक देंगे या नहीं, लेकिन बदकिस्मती से अब तक तालिबान ने कोई साफ जवाब नहीं दिया। लिहाजा, हमें सड़कों पर उतरना पड़ा। अब हमारी आवाज पूरा देश सुनेगा। तालिबान आज भी वैसे ही हैं, जैसे 20 साल पहले थे।
गनी करप्ट थे तो ये क्या हैं
मरियम ने आगे कहा- तालिबान कहते हैं अशरफ गनी की पिछली सरकार भ्रष्ट थी, लेकिन ये क्या कर रहे हैं? इनके नेता शेर मोहम्मद स्टेनकजई कहते हैं कि कैबिनेट में महिलाओं को जगह नहीं मिलेगी। हम अपना हक मांग रहे हैं। महिलाओं के बिना तालिबान की सरकार चल नहीं पाएगी। अगर नेशनल असेंबली (लोया जिरगा) में महिलाओं को बराबर की हिस्सेदारी मिलती है तो हम इसे स्वीकार करेंगे।
तालिबान ने काबुल पर कब्जे के बाद कई बार कहा है कि वे महिलाओं को शरियत के दायरे में रहकर काम और शिक्षा का अधिकार देना चाहते हैं। हालांकि अब तक इस बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।