जडेजा के पिता बोले- उससे अब कोई रिश्ता नहीं: बहू को सिर्फ पैसों से मतलब

‘मैं आपको सच बताऊं, मेरा रवि या उसकी पत्नी रीवाबा से किसी तरह का संबंध नहीं है। हम उन्हें नहीं बुलाते और वे हमें नहीं बुलाते। रवि की शादी के दो-तीन महीने बाद ही विवाद होने लगा था। फिलहाल मैं जामनगर में अकेला रहता हूं, रवींद्र अलग रहता है। पता नहीं पत्नी ने उस पर क्या जादू कर दिया है। मेरा तो बेटा है, दिल जलकर राख हो जाता है। उसकी शादी न की होती तो अच्छा होता। उसे क्रिकेटर न बनाता तो अच्छा होता। हम इस हाल में नहीं होते।’

ये अनिरुद्ध सिंह जडेजा हैं, क्रिकेटर रवींद्र जडेजा के पिता। उन्होंने रवींद्र जडेजा और बहू रीवाबा के साथ अपने रिश्तों पर बात की।

बीती 14 जनवरी को मकर सक्रांति के मौके पर रीवाबा ने रवींद्र जडेजा के साथ पतंग उड़ाते हुए फोटो पोस्ट की थीं। इसके बाद अफवाह उड़ी कि रीवाबा प्रेग्नेंट हैं।

रीवाबा जडेजा ने 14 जनवरी को रवींद्र जडेजा के साथ ये फोटो पोस्ट की थी। साथ में लिखा कि मकर संक्रांति 2024 की हार्दिक बधाई।
रीवाबा जडेजा ने 14 जनवरी को रवींद्र जडेजा के साथ ये फोटो पोस्ट की थी। साथ में लिखा कि मकर संक्रांति 2024 की हार्दिक बधाई।

क्या रवींद्र के घर में खुशियां आने वाली हैं, इस सिलसिले में रिपोर्टर ने उनके पिता अनिरुद्ध सिंह से फोन पर बात की। हालांकि, इस बातचीत में अनिरुद्ध सिंह ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। अनिरुद्ध सिंह जामनगर के एक फ्लैट में अकेले रहते हैं। उन्होंने परिवार में चल रही कड़वाहट पर खुलकर बात की। पढ़िए पूरी बातचीत।

रवींद्र की शादी के तीन महीने बाद से ही घर में कलह
अनिरुद्ध सिंह जडेजा बताते हैं, ‘मैं आपको सच बता रहा हूं। शादी के तीन महीने बाद ही रीवाबा कहने लगीं कि सब कुछ मेरा होना चाहिए, मेरे नाम पर होना चाहिए। उन्होंने परिवार को परेशान करना शुरू कर दिया। वे परिवार नहीं चाहतीं, अकेले आजादी से रहना चाहती थीं। चलो मान लिया कि मैं बुरा हूं, रवींद्र की बहन नयनाबा भी खराब है, लेकिन परिवार में 50 लोग हैं, क्या सब बुरे हैं। ये बस उनकी नफरत है।’

रवि की जिंदगी में सास का दखल ज्यादा, 5 साल से पोती का चेहरा नहीं देखा
अनिरुद्ध सिंह जडेजा कहते हैं, ‘मैं कुछ भी नहीं छिपा रहा हूं। हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं है। 5 साल से मैंने उनकी बेटी का चेहरा भी नहीं देखा है। रीवाबा के माता-पिता, खासतौर से रवींद्र की सास ही सब कुछ संभालती हैं। उनका दखल बहुत ज्यादा है।’

20 हजार रुपए पेंशन, उसी से घर खर्च चल रहा
अनिरुद्ध सिंह आगे बताते हैं, ‘मेरे पास गांव में जमीन है। पत्नी की 20 हजार रुपए पेंशन आती है। इसी से अपना खर्च चलाता हूं। 2 BHK फ्लैट में अकेला रहता हूं। दिन में दो बार मेड से खाना बनवाता हूं। अच्छे से रहता हूं। जिंदगी अपने तरीके से जीता हूं।’

अनिरुद्ध सिंह जामनगर की इसी बिल्डिंग में रहते हैं। यहां रहते हुए उन्हें 10 साल से ज्यादा वक्त हो गया है।
अनिरुद्ध सिंह जामनगर की इसी बिल्डिंग में रहते हैं। यहां रहते हुए उन्हें 10 साल से ज्यादा वक्त हो गया है।

फ्लैट में अब भी रवींद्र के लिए अलग कमरा
अनिरुद्ध सिंह के मुताबिक, ‘आज भी मेरे फ्लैट में रवींद्र के लिए अलग कमरा है। पहले वो इसी कमरे में रहता था। इसमें रवींद्र की शील्ड और जर्सी सजाकर रखी हैं। इससे उसकी सारी यादें आंखों के सामने रहती हैं। अब भी रवि मैच खेलता है, तो नजर उसी पर रहती है।’

अनिरुद्ध सिंह के फ्लैट में रवींद्र जडेजा का कमरा। यहां उनकी ट्रॉफियां और टीम इंडिया की जर्सी रखी है।
अनिरुद्ध सिंह के फ्लैट में रवींद्र जडेजा का कमरा। यहां उनकी ट्रॉफियां और टीम इंडिया की जर्सी रखी है।

मजदूरी करके रवींद्र को क्रिकेटर बनाया, बहन ने उसे मां की तरह पाला
रवींद्र जडेजा के बचपन को याद करते हुए अनिरुद्ध सिंह कहते हैं, ‘हमने रवींद्र को क्रिकेटर बनाने के लिए बहुत मेहनत की। मैंने चौकीदारी का काम किया। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। मुझसे ज्यादा नयनाबा ने मेहनत की।’

रीवाबा के परिवार को सिर्फ पैसा चाहिए
रवींद्र की पत्नी रीवाबा के परिवार पर आरोप लगाते हुए अनिरुद्ध सिंह कहते हैं, ‘रीवाबा अपने माता-पिता की इकलौती बेटी हैं। उन लोगों को रवींद्र की जरूरत नहीं है, उन्हें सिर्फ पैसों से मतलब है। हमें इसकी जरूरत भी नहीं है। मेरे पास खेत और पेंशन है। होटल (जड्डूस) भी हमारा है, जिसका मैनेजमेंट नयनाबा करती है।’

रीवाबा ने होटल अपने नाम करवाना चाहा, इसी से रिश्ते खराब हुए
अनिरुद्ध सिंह बताते हैं, ‘रवींद्र की शादी को एक महीना भी नहीं हुआ था कि होटल के मालिकाना हक को लेकर विवाद शुरू हो गया। रीवाबा ने रवींद्र से कहा था कि होटल मेरे नाम कर दो। इस बात पर उनके बीच झगड़ा भी हुआ। फिर रवींद्र ने नयनाबा को फोन किया और होटल रीवाबा के नाम करने के लिए कहा। नयनाबा ने भी सोचा कि रवींद्र सब संभाल लेगा, हमें क्या करना है। उसने कहा, आ जाओ और साइन करा लो।’

अनिरुद्ध सिंह आगे कहते हैं’ ‘ये बात गलत है कि रवींद्र के ससुराल के लोग बिजनेसमैन हैं। रवींद्र ने ऑडी कार ऑर्डर की थी, उसका चेक हमारे नाम पर है। अगर वे बड़े बिजनेसमैन होते तो उसकी सास काम नहीं करती। उनकी नौकरी से घर चल रहा है। आज भी वे रेलवे क्वार्टर में रहते हैं। हाल ही में रवींद्र के पैसों से 2 करोड़ का बंगला खरीदा है।’

‘मैं रवींद्र को फोन नहीं करता और मुझे इसकी जरूरत भी नहीं है। मैं उसका पिता हूं, वो मेरा पिता नहीं है। अगर मैं उसे कॉल नहीं करता तो वो भी मुझे कॉल नहीं करता। मैं इस दुख में रोता हूं। रक्षाबंधन के दिन उसकी बहन रोती है।’

ये बात बोलते हुए अनिरुद्ध सिंह का गला भर जाता है। वे आगे कुछ नहीं बोल पाते।

रवींद्र जडेजा के पिता अनिरुद्ध सिंह बेटे के साथ रिश्ते को लेकर इतने परेशान क्यों हैं, ये जानने के लिए इस परिवार का अतीत जानना जरूरी है। ज्यादातर लोग जानते हैं कि क्रिकेटर रवींद्र जडेजा का बचपन काफी मुश्किलों में बीता। उन्हें क्रिकेटर बनाने के लिए परिवार ने बहुत मेहनत की।

अनिरुद्ध सिंह इस बारे में बताते हैं, ‘रवींद्र सिर्फ 17 साल के थे और उनकी मां लताबा की एक हादसे में मौत हो गई थी। रवींद्र की मां तीन बच्चों को मेरी गोद में छोड़ गईं। आप समझ सकते हैं कि ये मेरे लिए कितना मुश्किल था। मेरे पास नौकरी नहीं थी। पूरा परिवार बिना सहारे के रह गया। मेरा मन जानता है कि हमने वे दिन कैसे बिताए।’

‘रवींद्र की मां नहीं थी, इसलिए मैं ही तीनों बच्चों की मां और पिता दोनों था। मैंने कुछ भी बिगड़ने नहीं दिया। अगर उन्हें कोई समस्या होती थी, तो हम बिना झिझक बात करते थे और उसे दूर करते थे। मैं उनसे कोई भी बात नहीं छिपा सकता था और उनके लिए भी ऐसा ही था।’

2005 में किचन में आग लगने से रवींद्र जडेजा की मां का निधन हो गया था। ये पुरानी फोटो है, जिसमें जडेजा मां की फोटो पर माला पहना रहे हैं।
2005 में किचन में आग लगने से रवींद्र जडेजा की मां का निधन हो गया था। ये पुरानी फोटो है, जिसमें जडेजा मां की फोटो पर माला पहना रहे हैं।

रवींद्र जडेजा को आर्मी अफसर बनाना था, मां के लिए क्रिकेटर बने
अनिरुद्ध सिंह बताते हैं, ‘मेरी इच्छा रवींद्र को आर्मी ऑफिसर बनाने की थी। इसके लिए मैंने उसे आर्मी ट्यूशन स्कूल में 6 महीने तक ट्रेनिंग दिलाई। ट्यूशन की आखिरी परीक्षा में वो पास भी हो गया। रवींद्र भी आर्मी ऑफिसर ही बनता, लेकिन उसकी किस्मत उसे कहीं और ले जाना चाहती थी।’

‘सैनिक स्कूल में एडमिशन लेने से एक दिन पहले उसने तय कर लिया कि उसे क्रिकेटर बनना है। हमने घर पर इस बारे में बात की। फिर फैसला लिया कि वो क्रिकेटर ही बनेगा। उसकी मां का सपना था कि रवि एक दिन भारतीय टीम में खेले।’

‘रवींद्र ने भी बचपन से इसके लिए मेहनत की थी। उन्होंने छोटी उम्र में ही मां से कहा था कि मैं एक दिन भारत के लिए क्रिकेट खेलूंगा। आज हम सभी खुश हैं कि उन्होंने अपना वादा पूरा किया।’

अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने पर 15 लाख रुपए मिले
अनिरुद्ध सिंह बताते हैं, ‘मैं बचपन से ही रवींद्र को हर जगह ले जाता था। वो साइकिल चलाना नहीं जानता था और मैं उसे साइकिल देना भी नहीं चाहता था। रवींद्र की मां लता नर्स थीं। इसलिए हमारी आमदनी अच्छी थी। हम अच्छे से गुजारा कर लेते थे। उनकी मां के निधन के बाद काफी परेशानी हुई।’

‘एक साल तो हमने बिना आमदनी के ऐसे ही गुजार दिया। सच कहूं तो मैं अब उन दिनों को याद करके अपनी किस्मत पर हंसता हूं। लता के निधन के एक साल बाद रवींद्र को अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप की टीम में चुना गया। उनकी टीम ने वर्ल्ड कप जीता, तो सभी खिलाड़ियों को 15-15 लाख रुपए मिले। तब से हमारी आर्थिक दिक्कतें दूर होने लगीं।’

बहन न होती तो रवींद्र इस मुकाम पर न होता
अनिरुद्ध सिंह जडेजा कहते हैं, ‘ईमानदारी से कहूं तो रवींद्र को बनाने में मेरी बड़ी बेटी नयनाबा ने मुझसे ज्यादा मेहनत की है। अगर वो न होती तो रवींद्र आज इस मुकाम पर नहीं पहुंच पाता। मां के निधन के बाद रवींद्र टूट गया था। नयनाबा ने उसे प्यार दिया। उसकी छोटी-छोटी जरूरतों का बहुत ख्याल रखा। नयनाबा उसकी किट तैयार करती थी। उसके कपड़े तैयार करती थी। उसके मोजे धोती थी।’

‘ये 1997 की बात है। मैं शादी के बाद 5 से 7 साल तक रिलायंस में सुपरवाइजर के तौर पर काम करता था। तब मेरा एक दूध डेयरी से कॉन्ट्रैक्ट हुआ। रवींद्र की मां सरकारी नर्स थीं। उनकी सैलरी से ही परिवार चल रहा था। इसलिए मुझे जो भी काम मिला मैंने किया। यहां तक ​​कि रवींद्र के कपड़े भी धोए।’

2016 में रीवाबा और रवींद्र की शादी हुई
रवींद्र जडेजा का जन्म 6 दिसंबर, 1988 को हुआ था। 17 अप्रैल, 2016 को उनकी शादी राजकोट की रीवाबा से हुई। 7 जून, 2017 को रीवाबा ने बेटी को जन्म दिया। रीवाबा ने दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। शादी से पहले वे दिल्ली में रहकर UPSC की तैयारी करती थीं।

2018 में करणी सेना से जुड़ीं, 2019 में BJP में शामिल हुईं
शादी के दो साल बाद रीवाबा जडेजा करणी सेना में शामिल हो गईं। अक्टूबर, 2018 में उन्हें राजपूत करणी सेना की गुजरात क्षेत्र महिला शाखा का अध्यक्ष बनाया गया। मार्च, 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने BJP जॉइन कर ली।

2022 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में BJP ने रीवाबा को जामनगर नॉर्थ सीट से टिकट दिया। BJP ने हकुभा के नाम से मशहूर नेता धर्मेंद्र सिंह जडेजा का टिकट काटकर रीवाबा को टिकट दिया था। रीवाबा ने जीत हासिल की और विधायक बनीं।

कई बार विवादों में फंसी रीवाबा

कार एक्सीडेंट के बाद पुलिसवाले को सस्पेंड कराया
जामनगर में रीवाबा की कार और एक पुलिस कॉन्स्टेबल की बाइक के बीच एक्सीडेंट हो गया। मामला थाने पहुंचा, तो रीवाबा ने आरोप लगाया कि पुलिस कॉन्स्टेबल ने उनके साथ बदतमीजी की। इसके बाद कॉन्स्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया।

नगर निगम के कार्यक्रम में BJP सांसद और मेयर से नोकझोंक
6 महीने पहले जामनगर नगर निगम ने शहर की लाखोटा झील पर ‘मेरी मिट्टी-मेरा देश’ कार्यक्रम किया था। इसमें रीवाबा, BJP सांसद पूनमबेन माडम और BJP की ही मेयर बीनाबेन कोठारी के बीच नोकझोंक हो गई थी। बाद में गांधीनगर बुलाकर उनका समझौता कराया गया।

रवींद्र ने CSK को IPL जिताया, रीवाबा ने मैदान में पैर छुए
अहमदाबाद में हुए IPL फाइनल में रवींद्र जडेजा ने आखिरी गेंद पर चौका मारकर चेन्नई सुपर किंग्स को चैंपियन बनाया था। जीत के तुरंत बाद रीवाबा मैदान पर पहुंचीं और रवींद्र के पैर छुए। फिर उन्हें गले लगा लिया। ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।

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