अम्बाला। भारतीय वायुसेना की शक्ति आज कई गुना मजबूत हाेने वाली है। बता दें कि कई सालों से जिस लड़ाकू विभान का इंतजार था, वो राफेल विमान आज भारत पहुंच गया है। हरियाणा के अंबाला एयरबेस में बुधवार को राफेल विमान लैंड हुए, जहां उनका स्वागत वाटर सैल्यूट के साथ किया गया। राफेल ने जिस अंदाज में भारत की धरती पर लैंड किया उसे देखकर ऐसा लगा मानो सच्चा सिपाही भारत माता के कदमों को चूम रहा हो।
इस पल का वीडियो रक्षा मंत्रालय ने शेयर किया है। इससे पहले राफेल जब भारत की सीमा में प्रवेश किया तो सुखोई जेट उसे एस्कॉर्ट करने पहुंचा। पांच राफेल को दो सुखोई ( SU30 MKI) एस्कॉर्ट करते दिखे। आसमान में यह नजारा काफी रोचक लगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस अनोखे पल का वीडियो अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से शेयर किया है। इससे पहले राफेल ने भारत की सीमा में प्रवेश से पहले अरब सागर में तैनात युद्धपोत आईएनएस कोलकाता से संपर्क साधा।
एयर चीफ ने किया स्वागत
युद्ध के लिहाज से गेमचेंजर कहे जाने वाले दुनिया का टॉप फाइटर जेट राफेल की भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने इनकी अगवानी की। इन्हें भारतीय वायुसेना में इसके 17वें स्क्वैड्रन के हिस्से के रूप में शामिल किया जाएगा, जिसे अंबाला एयर बेस पर ‘गोल्डन एरोज (Golden Arrows)’ के रूप में भी जाना जाता है।
ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह की अगुवाई में रचा इतिहास
राफेल को उड़ाकर लाने वाले पायलट्स अपने ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह की अगुवाई में अंबाला में ही एयर चीफ को बताएंगे कि उन्हें फ्रांस में किस प्रकार की ट्रेनिंग मिली है। शेड्यूल के मुताबिक, राफेल जल्द ही अंबाला से दूसरे एयरबेस रवाना होंगे। 17 स्क्वैड्रन के कमांडिंग ऑफिसर हरकीरत सिंह ग्रुप कमांडर की भूमिका में हैं जबकि उनके साथ विंग कमांडर एमके सिंह और विंग कमांडर आर कटारिया भी पायलट दल में शामिल हैं। वायुसेना में राफेल को शामिल किए जाने का समारोह बाद में आयोजित किया जाएगा।
प्रशिक्षित क्रू मेंबर से बातचीत
भारतीय वायुसेना के एयर क्रू और ग्राउंड क्रू को राफेल की गहन ट्रेनिंग दी गई है। उन्हें राफेल में लगे बिल्कुल अडवांस वेपन सिस्टम संचालित करने का अभ्यास कराया गया है। अब भारत में राफेल से जल्द से जल्द युद्धाभ्यास करने पर जोर रहेगा। इसके लिए फ्रांस से प्रशिक्षित भारतीय वायुसेना के जांबाजों को कम-से-कम वक्त में काम पर लगाया जाएगा। बहरहाल, भारतीय वायुसेना में स्क्वैड्रन 17 यानी गोल्ड एरोज की स्थापना 1951 में की गई थी जिसने कारगिल युद्ध समेत कई सैन्य अभियानों में बड़ी भूमिका निभाई है। हालांकि, वायुसेना ने अपने बेड़े से मिग- 21 को धीरे-धीरे हटाना शुरू किया तो गोल्ड एरोज को भी 2016 में डिसबैंड कर दिया गया क्योंकि यही सक्वैड्रन मिग- 21 को ऑपरेट करता था।
‘महाविनाशक’ हैं राफेल
वायुसेना के बेड़े में राफेल के शामिल होने से उसकी युद्ध क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की उम्मीद है। यह विमान विभिन्न प्रकार के शक्तिशाली हथियारों को ले जाने में सक्षम है। यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीएस की मिटोर, स्कैल्प क्रूज मिसाइल, मीका हथियार प्रणाली राफेल लड़ाकू विमानों के हथियार पैकेज में शामिल है।