इंग्लैंड दौरे पर गई भारतीय टीम ने अब तक एक सीरीज में जीत हासिल की है, जबकि दूसरी सीरीज में उसे हार मिली है। हालांकि चाहे टी20 हो या फिर वनडे, इंडिया के लिए इस दौरे पर स्पिनरों से काफी उम्मीदें जताई गई हैं। इंग्लैंड दौरे पर भारत के स्पिनर हमेशा से अहम रहे हैं। इस बात का पता 1993 में हुई दोनों देशों की अहम टेस्ट सीरीज से लग जाता है, जिसमें अनिल कुंबले, इंग्लिश टीम के सामने एक बड़े सरप्राइज की तरह सामने आए थे।
कुंबले की काबिलियत को नहीं समझ पाई इंग्लैंड
1990 की शुरुआत में भारत आई इंग्लैंड टीम ने घरेलू टीम के खिलाफ रनों का अंबार लगाया। इंग्लैंड के तत्कालीन कप्तान ग्राहम गूच ने अकेले तीन मैचों की सीरीज में 752 रन बना डाले। फिर तीन साल बाद यानि 1993 में इंग्लैंड टीम ने फिर भारत का दौरा किया। हालांकि उस समय इंग्लैंड को भरोसा था कि भारतीय स्पिन गेंदबाज उन पर हावी हो सकते हैं, लेकिन अनिल कुंबले को लेकर इंग्लिश टीम ज्यादा चिंतित नहीं थी क्योंकि कुंबले उस समय तक अपने करियर के शुरुआती दौर में थे।इंग्लिश टीम के तत्कालीन मैनेजर कीथ फ्लेचर ने कहा था, ‘मैंने कुंबले को एक भी गेंद टर्न कराते नहीं देखा और मुझे नहीं लगता कि उससे कोई दिक्कत होगी।’ लेकिन इंग्लैंड का ये अनुमान पूरी तरह गलत साबित हुआ। कुंबले ने न सिर्फ इंग्लिश बल्लेबाजों की नाक में दम किया बल्कि उन्होंने तीन मैच की सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट झटके। कुंबले 1993 सीरीज में इंग्लैंड के खिलाफ 21 विकेट लिए। बता दें कि पूरी इंग्लैंड टीम ने मिलकर इस सीरीज में 28 विकेट हासिल किए थे। इसी के चलते अनिल कुंबले मैन ऑफ द सीरीज भी चुने गए।