जब तक बीपीएससी दोबारा परीक्षा नहीं कराएगा, तब तक…

पटना। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को लेकर जारी विरोध-प्रदर्शन के बीच आयोग ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले कोचिंग संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। आयोग ने खान सर, गुरु रहमान और रमांशु समेत कई प्रमुख कोचिंग संचालकों को लीगल नोटिस भेजकर एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। बताया जा रहा है कि उनसे इस मसले पर माफी मांगने के लिए कहा गया है अन्यथा मुकदमा दर्ज किया जाएगा। खान सर ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि जबतक बीपीएससी दोबारा परीक्षा नहीं कराएगा तब तक वह माफी नहीं मांगेंगे। खान सर ने कहा, “बीपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा में बच्चों के नॉर्मलाइजेशन और री एग्जाम की मांग को लेकर एक बड़ा आंदोलन चल रहा है। इस आंदोलन में बच्चे विभिन्न कारणों से प्रदर्शन कर रहे हैं, जिनमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनके पास न तो पर्याप्त वित्तीय संसाधन हैं और न ही ठहरने के लिए उचित स्थान है। ऐसे में, शिक्षक के तौर पर हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम बच्चों की आवाज को सही तरीके से उठाएं और उनके मुद्दों को मजबूती से रखें।”
उन्होंने कहा, “बीपीएससी ने इस मामले में हम पांचों शिक्षक-प्रतिनिधियों को नोटिस भेजा है और यह शर्त रखी है कि अगर हम 15 दिन के भीतर माफी नहीं मांगते, तो हमारे खिलाफ क्रिमिनल केस दायर किया जाएगा। हम कभी माफी नहीं मांगेंगे। बीपीएससी यदि हमें क्रिमिनल केस में फंसाना चाहता है, तो हम इसके लिए तैयार हैं। वे अधिकतम दो साल की सजा दिलवा सकते हैं, लेकिन हम यह स्वीकार नहीं करेंगे कि हम माफी मांगकर बच्चों का सिर झुका दें। अगर बीपीएससी बच्चों का री एग्जाम करवा देता है, तो हम पूरी तरह से उनके समर्थन में हैं और कुछ भी करने को तैयार हैं।”
उन्होंने कहा, “अब इस मामले को गवर्नर और मुख्यमंत्री के पास भी उठाने का विचार है। हम गवर्नर साहब से मिलने का समय ले रहे हैं, और यदि मौका मिलता है तो मुख्यमंत्री से भी संपर्क करेंगे। मुख्यमंत्री के अधीन कई अधिकारी इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं, लेकिन उनकी भाषा डिप्लोमेटिक होती है और उनके विचार बच्चों के पक्ष में और आयोग के पक्ष में भी हो सकते हैं। बच्चों का अनुभव सीमित होता है, और उन्हें यह समझने में कठिनाई हो सकती है कि सरकार से अपनी बात कैसे रखें। इसलिए हमारा उद्देश्य यह है कि जैसे ही हमें मौका मिले, हम वहां जाकर उन्हें असली समस्या के बारे में बताएंगे, ताकि वे समझ सकें कि यह गलत हो रहा है।”
खान सर ने कहा, “हमने परीक्षा खत्म होने के दो दिन बाद ही हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। अब हमारी मांग है कि सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक किया जाए, क्योंकि यह इस मामले का सबसे महत्वपूर्ण सबूत है। बच्चों से जब सबूत मांगे गए, तो यह सवाल खड़ा होता है कि वे कहां से सबूत लाएंगे, जबकि वे स्वयं परीक्षा से ही बाहर कर दिए गए हैं। हाई कोर्ट से हमारी यह भी मांग है कि इस मामले की सीबीआई जांच कराई जाए और सभी अधिकारियों का नार्को टेस्ट कराया जाए, ताकि मामले की सच्चाई सामने आ सके।”
अंत में उन्होंने कहा, “हमने पूरे भारत से अपील की है कि इस मामले पर दबाव डालें, ताकि बीपीएससी सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करे और यह दिखाए कि वास्तविक समस्या क्या है। हमें पूरा यकीन है कि यदि यह जांच निष्पक्ष तरीके से हो, तो सारे धागे खुल जाएंगे। हमारी लड़ाई का उद्देश्य यह नहीं है कि हमें किसी को झुकाना है या हम अपनी बात मनवाना चाहते हैं, बल्कि हमारा लक्ष्य यह है कि बिहार में एक सही, निष्पक्ष और पारदर्शी व्यवस्था स्थापित हो, जिससे बच्चों को न्याय मिल सके। हमने अपनी रणनीति में यह सुनिश्चित किया है कि बच्चों का हक कभी भी प्रभावित न हो। हम इस आंदोलन को इस दिशा में बढ़ाना चाहते हैं, ताकि बच्चों की समस्याओं का समाधान हो और उनकी आवाज सही तरीके से उठाई जाए।”
–आईएएनएस

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