गोरखपुर। गोरखपुर का चुनावी इतिहास काफी उथल-पुथल भरा रहा है। यहां के चुनाव में एक समय ऐसा भी आया था, जब योगी आदित्यनाथ से भाजपा चुनाव हार गई थी। वह भी उस वक्त, जब खुद योगी भाजपा से सांसद थे। गोरखनाथ मंदिर के वर्तमान पीठाधीश्वर और CM योगी आदित्यनाथ ने 2002 में भाजपा के खिलाफ अखिल भारतीय हिंदू महासभा से डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल को प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा था। इतना ही नहीं, खुद योगी आदित्यनाथ ने मंच से सभाएं की थीं।
नतीजा यह रहा कि सदर विधानसभा की यह सीट भाजपा बुरी तरह हार गई। गोरखपुर शहर सीट पर 4 बार से भाजपा से जीतने वाले शिव प्रताप शुक्ला (वर्तमान में राज्यसभा सदस्य) अपना 5वां चुनाव डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल से बुरी तरह हारे थे।
शिव प्रताप शुक्ला का हुआ था विरोध
डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल तब से आज तक सदर विधानसभा सीट से विधायक हैं। दरअसल, गोरखपुर शहर सीट 1989 में भगवामय हो चली थी। 1989 में भाजपा ने यहां से शिव प्रताप को विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया। इसके बाद जीत का सिलसिला लगातार चलता रहा। 4 बार लगातार वह विधायक बने। 5वीं बार जब गोरखनाथ मंदिर खुलकर शिव प्रताप के विरोध में आ गया, तब वह हारे।
मंदिर हुआ खिलाफ और हार गई भाजपा
2002 में गोरखनाथ मंदिर ने हिंदू महासभा के प्रत्याशी रुप में डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल को समर्थन देकर मैदान में उतार दिया। नतीजा यह रहा कि मंदिर समर्थित उम्मीदवार ने भाजपा के शिव प्रताप की जीत का सिलसिला तोड़ दिया। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ ने हिंदू महासभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए लोकसभा का प्रतिनिधित्व भी किया था। आज भी हिंदू महासभा और गोरक्षनाथ मंदिर का संबंध काफी मजबूत हैं। इसलिए मंदिर के उत्तराधिकारी जरूरत होने पर हिंदू महासभा के टिकट का उपयोग आसानी से करते रहे हैं।
38,830 वोट पाकर जीत गए थे डॉ. अग्रवाल
अखिल भारतीय हिंदू महासभा के डॉ. अग्रवाल 38,830 वोट पाकर जीत गए थे। समाजवादी पार्टी के प्रमोद टेकरीवाल 20,382 वोट पाकर दूसरे, जबकि भाजपा के शिव प्रताप शुक्ला को 14,509 वोट ही मिले। 2007 में भाजपा ने शिव प्रताप की जगह हिंदू महासभा से जीत हासिल करने वाले डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल को टिकट दिया। उन्होंने 49,714 वोट पाकर भाजपा का परचम लहराया। फिर 2012 और 2017 में भी भाजपा ने डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल को लड़ाया और उन्होंने जीत हासिल की।