जल्द मिलेगी राहत, 19 फीसदी तक सस्ते होंगे खाद्य तेल, सरकार ने घटाया आयात शुल्क

नई दिल्ली। खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों से परेशान लोगों को सरकार ने थोड़ी राहत दी है। सरकार ने पाम तेल सहित विभिन्न खाद्य तेलों के आयात शुल्क मूल्य में 112 डॉलर प्रति टन तक की कमी की है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे घरेलू बाजार में खाद्य तेल की कीमतें कम हो सकती हैं।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक अधिसूचना जारी कर कच्चे पाम तेल के आयात शुल्क मूल्य में 86 डॉलर प्रति टन और आरबीडी (रिफाइंड, ब्लीच्ड एंड डियोडराइज्ड) एवं कच्चे पामोलिन के आयात शुल्क मूल्य में 112 डॉलर प्रति टन की कटौती की है।

20 फीसदी तक सस्ते होंगे खाद्य तेल
तेल              पुरानी कीमत       नई कीमत        कमी
पाम                   142                 115         19 फीसदी
सूरजमुखी           188                 157         16 फीसदी
सोया                  162                 138         15 फीसदी
सरसों                 175                  157        10 फीसदी
मूंगफली             190                  174         8 फीसदी
वनस्पति            154                  141         8 फीसदी
(कीमत रुपये प्रति लीटर में)

स्थायी निदान पर काम कर रही सरकार
सरकार खाद्य तेलों की कीमत घटाने के लिए स्थायी निदान पर काम कर रही है। सरकार ने कहा है कि खाद्य तेलों के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। अभी जरूरत का 70 फीसदी से ज्यादा तेल आयात करना पड़ता है, जिस पर वैश्विक कीमतों का सीधा असर पड़ता है।
अगर घरेलू बाजार में तेल के दाम नीचे रखने हैं, तो तिलहन उत्पादन को लगातार बढ़ावा देना होगा। वहीं, अमेरिका और ब्राजील में सूखे की वजह से सोयाबीन की खेती पर काफी असर पड़ा है, जिससे आपूर्ति घटने के कारण कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं।

कम हो सकती हैं खाद्य तेल की कीमतें – विशेषज्ञ
बोर्ड ने कच्चे सोयाबीन तेल के आधार आयात मूल्य में भी 37 डॉलर प्रति टन कटौती की है। खाद्य तेल के आयात शुल्क मूल्य में यह कटौती 17 जून से प्रभाव में आ गई। कर विशेषज्ञों का कहना है कि शुल्क मूल्य में कटौती से घरेलू बाजार में खाद्य तेल की कीमतें कम हो सकती हैं क्योंकि मूल आयात मूल्य पर देय सीमा शुल्क कम में इससे कमी होगी।

एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि खाद्य तेल तिलहन की घरेलू खपत और मांग के बीच देश में बड़ा फासला है जिसकी वजह से इनका बड़ी मात्रा में आयात किया जाता है। पिछले कुछ माह के दौरान इनके खुदरा मूल्य में तेजी आई है।

उन्होंने कहा कि आधारभूत आयात मूल्य में होने वाले इस बदलाव का खुदरा दाम पर असर पड़ सकता है बशर्ते कि विनिर्माता, वितरकों और खुदरा विक्रेताओं सहित पूरी आपूर्ति श्रृंखला से इस कटौती का लाभ उपभोक्ता तक पहुंचाया जाए।

देश में दो तिहाई मांग की आयात से होती है पूर्ति  
देश में खाद्य तेलों की दो तिहाई मांग की पूर्ति आयात से होती है। पिछले एक साल में खाद्य तेलों के दाम तेजी से बढ़े हैं। सालवेंट एक्ट्रक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक (खाद्य और अखाद्य तेलों) सहित वनस्पति तेलों का कुल आयात नवंबर 2020 से लेकर मई 2021 के दौरान नौ फीसदी बढ़कर 76,77,998 टन तक पहुंच गया। जो कि इससे पिछले साल इसी अवधि में 70,61,749 टन रहा था। खाद्य तेलों के मामले में नवंबर से लेकर अक्तूबर तक का साल होता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here