जहां के लिए चला वहीं लोट गया योगी का बुलडोजर

यशोदा श्रीवास्तव

2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बुलडोजर की ऐसी धूम रही कि संत रूपी मुख्यमंत्री का नामकरण बुलडोजर बाबा कर दिया गया। बहुमत के साथ सत्ता में वापसी के बाद यूपी में चंहुओर बुलडोजर ही बुलडोजर की चर्चा है।

जीत के बाद बीजेपी नेताओं को बुलडोजर पर चढ़कर जश्न मनाते देखा गया। मसलन बुलडोजर को जिस तरह भय के रूप में पेश किया गया,क्या वह उन लोगों को भयग्रस्त कर पाया जिसके लिए चला था? मेरा मानना है योगी का यह चुनावी बुलडोजर वहां जरा भी नहीं चला जहां से चला था।

योगी के बुलडोजर का मतलब था मुख्तार अंसारी,आजम खान और अतीक अहमद! तीसरा यदि कोई हो तो वह नाम मुझे नहीं मालूम। माफिया नामधारी ये तीनों परिवार क्रमवार शासन में राजनीतिक रूप से काफी शक्तिशाली रहा है और योगी का बुलडोजर इन्हीं तीनों परिवारों पर चला भी।

योगी का बुलडोजर इनके अवैध संपत्तियों को ध्वस्त करने में भले कामयाब रहा, इनके राजनीतिक रसूख को नहीं ध्वस्त कर सका। अतीक के परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ा था जबकि मुख्तार अंसारी का बेटा और भतीजा चुनाव लड़े भी और जीते भी।

इसी तरह आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम भी चुनाव जीतने में कामयाब हुए। सच तो यह है कि पूर्व के विधानसभा की अपेक्षा इस विधानसभा में ये लोग ज्यादा मजबूती से उभरे हैं।

लगातार 25 साल तक पूर्वांचल के मऊ सदर विधान सभा के बहुचर्चित सीट पर बाहुबली मुख्तार अंसारी का बतौर विधायक कब्जा रहा है। मौजूदा विधानसभा में वे बसपा विधायक थे लेकिन इस बार बसपा ने इन्हें टिकट देने से मना कर दिया था।

मुख्तार अंसारी अपने खिलाफ शासन और प्रशासन के संभावित कार्रवाई की आशंका को देखते हुए चुनाव लड़ने से हट गए थे लेकिन ओम प्रकाश राजभर का सपा से गठबंधन हुआ तो उन्होंने अपने बेटे अब्बास अंसारी को सुभासपा से अपनी सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला किया। अब्बास अंसारी इसके पहले बसपा के टिकट पर मऊ जिले के ही घोसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर हारे चुके हैं। भाजपा ने अब्बास अंसारी के खिलाफ अशोक सिंह को टिकट दिया था।

अशोक सिंह मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या के एक मुकदमें में वादी भी हैं। अब्बास अंसारी के खिलाफ भाजपा का यह दांव बड़ा सटीक था लेकिन भाजपा नहीं जीत सकी।

2022 के विधान सभा चुनाव में मुख्तार अंसारी के अभेद्य दुर्ग मऊ सीट से उनके पुत्र अब्बास अंसारी ने रिकार्ड मतों से जीतकर फतह कर लिया। पूर्वांचल के सबसे हॉट सीट में शामिल मऊ सदर विधान सभा से मुख्तार अंसारी लगातार पांच बार विधायक रह चुके हैं।

मुख्तार अंसारी वर्ष 1996 में पहली बार बसपा के टिकट पर जीत हासिल कर विधानसभा में पहुंचे थे। दूसरी बार उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।

वहीं तीसरी बार मुख्तार अंसारी फिर बीएसपी में आ गए थे और इस बार भी जीते। इसके बाद मुख्तार अंसारी ने कौमी एकता दल नाम से खुद की पार्टी बनाई और चौथी बार फिर मऊ सदर विधान सभा सीट से जीत हासिल की।

पांचवीं बार के चुनाव में शिवपाल यादव की पहल पर अपनी पार्टी कौमी एकता दल का विलय सपा में कर लिया था, लेकिन अखिलेश ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था।

इसके बाद वो फिर बसपा में चले गए। इस तरह पांच बार के विधायकी काल में वे दो बार बसपा के टिकट चुने गए। छठवीं बार उनका लड़का अब्बास अंसारी सुभासपा व समाजवादी पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में करीब 40 हजार मतों से चुनाव जीतने में ऐसे वक्त कामयाब हुआ जब योगी के बुलडोजर का खौफ था।

मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी जहां अपने माफिया बाप की सीट से विधायक चुनाव गया वहीं मुख्तार अंसारी के भाई गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद सीट से दो बार के विधायक शिगबतुल्लाह अंसारी का पुत्र शोएब अनीस मुन्नू सपा के टिकट पर विधायक चुन लिया गया।

गाजीपुर जिले सपा की जीत का बड़ा मायने इसलिए है कि जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा पूरे चुनाव भर में गाजीपुर में डटे रहे और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35 ए के हटने के फायदे गिनाते रहे।

इसी तरह जेल में रहकर सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां अपनी सीट से जीते तो उनका बेटा अब्दुल्ला आजम भी स्वार से फिर विधायक चुना गया। इस तरह देखें तो वर्तमान विधानसभा चुनाव में जिस तरह बुलडोजर की धूम थी,उस हिसाब से उसका बड़ा चोट रामपुर और मऊ में होना चाहिए था, नहीं हुआ, इसलिए कहना पड़ रहा कि योगी का बुलडोजर वहीं लोट गया जहां चला था।

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