जाधव को कानूनी सहायता देने से रोक रहा है पाकिस्तान: विदेश मंत्रालय

नई दिल्ली। भारत ने कहा है कि पाकिस्तान उसकी जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को कानूनी राहत हासिल करने के रास्ते में लगातार बाधा पैदा कर रहा है। इससे जाहिर है कि पाकिस्तान हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले को अमल में नहीं लाना चाहता।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को सप्ताहिक पत्रकार वार्ता में कहा कि जाधव मामले में पाकिस्तान भारत को आवश्यक दस्तावेज तथा जाधव के साथ बाधारहित राजनयिक मुलाकात की सुविधा प्रदान नहीं कर रहा है। साथ ही वह इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में एक तरफा रूप से कानूनी प्रक्रिया अपना रहा है। इससे पाकिस्तान ढकोसला जाहिर होता है।

प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान केवल अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले की ही नहीं बल्कि अपने अध्यादेश पर भी अमल नहीं कर रहा है। इस अध्यादेश में सैन्य अदालत के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने का प्रावधान था। इस प्रकार पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के जाधव को कानूनी राहत दिए जाने वाले फैसले पर अमल करने पर विफल रहा है। इन हालात में भारत अन्य राहत उपायों के अपने अधिकार का उपयोग करेगा।

प्रवक्ता ने कहा कि जाधव के साथ गत 16 जुलाई को राजनयिक मुलाकात के दौरान पाकिस्तानी अधिकारियों ने भारतीय राजनयिकों को जाधव को कोई दस्तावेज नहीं देने दिया। आवश्यक कानूनी कार्रवाई के लिए भारतीय राजनयिक जाधव से पॉवर ऑफ अटार्नी (कानूनी प्रतिनिधित्व) हासिल नहीं कर पाए।

पिछले दिनों के घटनाक्रम के बारे में प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान से जाधव मामले से जुड़े दस्तावेज मुहैया कराने का आग्रह किया था। इस पर पाकिस्तान ने कहा था कि आवश्यक दस्तावेज एक अधिकृत पाकिस्तानी वकील को ही दिए जा सकते हैं। इसके बाद भारत ने दस्तावेज हासिल करने के लिए एक पाकिस्तानी वकील को नियुक्त किया था । प्रवक्ता ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है जब पाकिस्तान की सलाह के आधार पर एक पाकिस्तानी वकील को अधिकृत किया गया तब उसे भी आवश्यक दस्तावेज नहीं दिए गए ।

प्रवक्ता ने कहा कि बाधा रहित राजनयिक मुलाकात और आवश्यक कागजात नहीं मिलने के बावजूद भारत ने अंतिम उपाय के रूप में न्यायालय में 18 जुलाई को याचिका दाखिल की लेकिन हमारे पाकिस्तानी वकील को बताया गया कि पुनरीक्षण याचिका दाखिल नहीं की जा सकती क्योंकि इसके साथ पॉवर ऑफ ऑटार्नी और अन्य संबंधित दस्तावेज नहीं है।

विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि पुनरीक्षण याचिका दाखिल किए जाने की अंतिम तिथि को लेकर भी भ्रम पैदा किया गया। पहले यह बताया गया कि याचिका 19 जुलाई तक दाखिल की जा सकती है। बाद में पाकिस्तान ने यह बताया कि अंतिम तिथि 20 जुलाई को खत्म होगी। प्रवक्ता ने कहा कि अपील की सुविधा वाले पाकिस्तानी अध्यादेश की कमियों के बारे में भारत को पहले से ही आशंका थी। अध्यादेश के बारे में पाकिस्तानी अधिकारियों ने भारत को दो सप्ताह बाद सूचित किया तथा भारत के अनुरोध पर उसे अध्यादेश की प्रति उपलब्ध कराई गई।

प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने पड़ोसी देश को बता दिया था कि संबंधित अध्यादेश अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले पर खरा नहीं उतरता। इससे यह भी जाहिर था कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले को लागू करने के प्रति गंभीर नहीं है। वास्तव में पाकिस्तान ने भारत को उपलब्ध कारगर कानूनी राहत से वंचित रखा है।

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