नीरज श्रीवास्तव (बाराबंकी)
बाराबंकी। बाराबंकी जिले में स्वास्थ्य सेवाएं लगातार बदहाल चल रहीं है और जिम्मेदारों की नजरें इस तरफ नहीं जा रहीं है। जिससे आम जनता को काफी दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है। आम जनता ही नहीं अब वहां तैनात कर्मचारियों का भी शोषण किया जाने लगा है। उल्लेखनीय है कि जिला महिला चिकित्सालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध समाजसेवी सत्येंद्र तिवारी द्वारा जिलाधिकारी को सम्बोधित जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से संदर्भ संख्या 40017618064286 पर शिकायत की गई है। समाजसेवी द्वारा शिकायत में कहा गया है कि जिला महिला चिकित्सालय बाराबंकी में सीएमएस द्वारा निजी संस्थाओं/फर्मों के ठेकेदारों से साठगांठ कर नियम विरुद्ध कार्य व आउटसोर्सिंग के तहत कार्यरत कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है।
सरकार द्वारा निर्धारित मानदेय उन्हें नहीं दिया जा रहा। इस संबंध में समाजसेवियों द्वारा जन सूचना अधिकार के तहत सूचनाएं मांगी गईं? उसके जवाब में चिकित्सालय प्रबंधन द्वारा भ्रामक सूचना दी जाती है। स्पष्ट करते चलें कि 22 सितम्बर 2018 को एक समाजसेवी द्वारा चिकित्सालय में निजी संस्था/फर्मों के तहत कार्यरत कर्मचारियों(संविदाकर्मियों) का शासन द्वारा निर्धारित वेतन/मानदेय कितना है व संविदा कर्मचारी कितने हैं तथा किस संस्था के तहत हैं, की जानकारी मांगी गई थी। जिस क्रम में मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका द्वारा बताया गया कि कर्मचारियों के वेतन/मानदेय इत्यादि की गोपनीय/व्यक्तिगत सूचना संबंधी अधिकारी/ कर्मचारी के सहमति के बिना नहीं दी जा सकती।
जो भ्रामक है, क्योंकि शासन द्वारा मानदेय/वेतन निर्धारित होता है, तो गोपनीयता व व्यक्तिगत कहां? सीएमएस द्वारा आगे बताया गया कि चिकित्सालय में कुल 34 संविदा कर्मचारी तैनात हैं। जिनकी तैनाती मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से की गई है। संस्था के संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से जानकारी प्राप्त की जा सकती है। सूत्रों की मानें तो चिकित्सालय में आउटसोर्सिंग के तहत कार्यरत कर्मचारियों सफाईकर्मी, चौकीदार, सुरक्षागार्ड, वार्डआया इत्यादि को मानदेय/वेतन शासन द्वारा निर्धारित वेतन से कम दिया जा रहा है।
संविदा कर्मचारियों का आरोप है कि उनके श्रम व मेहनत के हिसाब से मेहनताना नहीं मिल रहा है। अगर सीएमएस की फर्म ठेकेदारों से सांठगांठ नहीं है तो इस सम्बंध मे आपत्ति क्यों नहीं की गई? आरटीआई के जवाब में 34 संविदा कर्मचारियों की तैनाती मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से होना बताया गया। शिकायतकर्ता द्वारा बताया गया कि इन कर्मियों का तैनाती वर्ष क्या है व किस संस्था द्वारा तैनात हैं एवं नियुक्ति सूचना किस तारीख को किन अखबारों में छपी तथा तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी कौन था? की भी जांच कराये जाने की बात जिलाधिकारी से कही गई है। इस मामले की उच्च जांच कराये जाने की जरूरत है ताकि दोषियों पर कड़ी कार्रवाही की जा सके।