नई दिल्ली। खाद्य पदार्थों की कम कीमतों ने जून में थोक मूल्यों के आधार पर भारत की वार्षिक मुद्रास्फीति दर को क्रमिक रूप से कम करने में मदद की। हालांकि, मुद्रास्फीति की दर चिंताजनक रूप से 12 प्रतिशत के निशान से ऊपर रही।
मई में डब्ल्यूपीआई 12.94 प्रतिशत तो जून में 12.07 प्रतिशत दर्ज की गई। जून 2020 में मुद्रास्फीति की मासिक दर माइनस 1.81 प्रतिशत रही थी। क्रमिक आधार पर, मई की तुलना में जून 2021 के लिए डब्ल्यूपीआई सूचकांक में महीने दर महीने आधार पर परिवर्तन 0.75 प्रतिशत था।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने डब्ल्यूपीआई पर एक बयान में कहा, “जून 2021 में मुद्रास्फीति की उच्च दर मुख्य रूप से पिछले वर्ष इसी महीने की तुलना में कम बेस इफेक्ट और खनिज तेलों जैसे पेट्रोल, डीजल (एचएसडी), नेफ्था, एटीएफ, फर्नेस ऑयल आदि और मूल धातु, खाद्य उत्पादों जैसे विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के कारण है।”
लो बेस इफेक्ट का कारण पिछले साल के पूर्ण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का माना गया है, जो कोविड -19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लगाया गया था।