ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में फैसला सुरक्षित, 12 सितम्बर को आयेगा निर्णय

– मां श्रृंगार गौरी का केस सुनवाई योग्य है या नहीं है,लगभग साढ़े तीन घंटे तक चली सुनवाई

वाराणसी। ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में लगातार तीसरे दिन बुधवार को जिला जज डाॅ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई। लगभग साढ़ें तीन घंटे तक चली सुनवाई में प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता ने जबाबी बहस पूरी की। इसके बाद वादी पक्ष ने प्रति उत्तर में दमदार बहस की।

इस मामले में दोनों पक्ष की बहस पूरी होने के बाद जिला जज ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। 12 सितंबर को जिला अदालत अपना फैसला सुनाएगी कि मां श्रृंगार गौरी का केस सुनवाई योग्य है या नहीं है। इसके पहले सुनवाई में प्रतिवादी पक्ष ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की संपत्ति है।

इसलिए ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित मसले की सुनवाई का अधिकार सिविल कोर्ट को नहीं है बल्कि वक्फ बोर्ड को है। ज्ञानवापी परिसर में प्लॉट नंबर.9130 पर लगभग 600 वर्ष से ज्यादा समय से मस्जिद कायम है। वहां वाराणसी और आस.पास के मुस्लिम पांचों वक्त की नमाज अदा करते हैं।

संसद ने वर्ष 1991 में दी प्लेसेज ऑफ वर्शिप ; स्पेशल प्रॉविजन एक्ट 1991 बनाया। उसमें इस बात का प्रावधान है कि जो धार्मिक स्थल 15 अगस्त 1947 को जिस हालत में थे। वह उसी हालत में बने रहें । अधिवक्ताओं ने कहा कि 1936 के दीन मोहम्मद केस में भी आराजी संख्या 9130 पर मस्जिद का जिक्र है।

इस दौरान आराजी संख्या 9130 की जो पैमाइश की गई उसके दस्तावेज में बकायदा मस्जिद व परिसर में मौजूद हर स्थान का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। 2021 में काशी विश्वनाथ मंदिर निर्माण के दौरान भी सरकार ने जो जमीन की अदला.बदली की उसके दस्तावेज में भी मस्जिद का ही जिक्र किया है।

लगभग दो घंटे मस्जिद पक्ष ने अपनी दलील पेश कर कहा कि मौलिक अधिकार के तहत हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करनी चाहिए। मुकदमा निरस्त किए जाने लायक है । सुनवाई में वादी पक्ष से वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु जैन, सुभाष चतुर्वेदी ,सुधीर त्रिपाठी ने बहस की।

वहीं, प्रतिवादी पक्ष से एडवोकेट शमीम अहमद, रईस अहमद, मिराजुद्दीन सिद्दीकी, मुमताज अहमद और एजाज अहमद ने जबाबी बहस की। बताते चले दिल्ली की राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने याचिका दाखिल कर ज्ञानवापी स्थित माता श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों के दर्शन की अनुमति मांगी है।

वादी पक्ष के अधिवक्ताओं की दलील है कि दर्शन पूजन सिविल अधिकार है और इसे रोका नहीं जाना चाहिए। श्रृंगार गौरी का मंदिर विवादित ज्ञानवापी परिसर के पीछे है। वहां अवैध निर्माण कर मस्जिद बनाई गई है। दावा ज्ञानवापी की जमीन पर नहीं है। दावा सिर्फ मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजा के लिए है।

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