झारखंड में छत्तीसगढ़ जैसे हमले की साजिश, बड़े हमले की तैयारी में नक्सली

कोल्हान। छत्तीसगढ़ में हमले के बाद नक्सली झारखंड के कोल्हान प्रमंडल में बड़ी घटना अंजाम देने की तैयारी में हैं। नक्सलियों ने चाईबासा में पुलिस पार्टी को ब्लास्ट कर उड़ाने और उनपर बड़ा हमला करने की योजना बनाई है। खुफिया विभाग ने इसकी रिपोर्ट तैयार कर पुलिस मुख्यालय को सौंपी है। रिपोर्ट के मुताबिक कोल्हान में नक्सलियों का जमावड़ा है।

महाराज प्रमाणिक और अतुल का दस्ता चाईबासा (लांजी पहाड़) में सक्रिय है। पूर्वी सिंहभूम में गालूडीह-डुमरिया-घाटशिला जंगल के बीच बंगाल-उड़ीसा की सीमा पर आकाश उर्फ असीम मंडल व पटमदा के सचिन का दस्ता लगभग 50 साथियों के साथ छुपा है।

चाईबासा में 300, सरायकेला में 55-70 नक्सली जमे हैं। इसकी सूचना मिलते ही पुलिस मुख्यालय ने प्रमंडल के तीनों जिले-पूर्वी सिंहभूम, प. सिंहभूम, सरायकेला में अलर्ट जारी कर दिया है। थानेदारों को एहतियात बरतने का आदेश दिया है। गुड़ाबांधा के थानेदार पीएसआई प्रणन ने बताया कि मुख्यालय से दो दिन पहले कई आदेश मिले हैं, जिसका सख्ती से पालन किया जा रहा है।

2 माह में 3 बार घटना को अंजाम दिया, ताकि पुलिस पहुंचे तो शिकार बना सकें

(चाईबासा से ऋषिकेश सिंह देव की ग्राउंड रिपोर्ट)

बीते सात-आठ फरवरी काे चाईबासा के लांजी पहाड़ पर हुई मुठभेड़ के बाद यहां पुलिस का कब्जा माना जा रहा था, लेकिन इसके ठीक 25 दिन बाद झारखंड जगुआर के तीन जवानाें को रॉकेट लॉन्चर से उड़ाकर माओवादियाें ने अपनी ताकत दिखाई। ऐसे ही जुगाड़ राॅकेट लाॅन्चर का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ हमले में भी हुआ। माना जा रहा है कि महाराज प्रमाणिक के अलावा एक कराेड़ का इनामी नक्सली नेता पतिराम माझी उर्फ अनल दा का फिर से पहाड़ पर कब्जा हाे चुका है।

इनके साथ 100 से ज्यादा नक्सली हैं। इसका ताजा प्रमाण बीते बुधवार काे ही इस दस्ते द्वारा लांजी पहाड़ तक सड़क बना रही ठेका कंपनी की आठ गाड़ियाें काे फूंक देना है। नक्सलियों का खौफ इतना था कि पहाड़ी के नीचे 20 घंटे के बाद भी पुलिस गाड़ियाें काे देखने नहीं पहुंची। घटनास्थल से महज आधा किमी दूर सैप के कैंप से 24 घंटे बाद भी कोई नहीं पहुंचा।

हालांकि जिले के एसपी अजय लिंडा घटनास्थल तक पहुंचे, लेकिन पैदल ही। पुलिस मान रही है कि फाेर्स काे छत्तीसगढ़ की तर्ज पर निशाना बनाने के लिए नक्सली उन्हें ऐसी घटनाओं से पहाड़ी पर आने का निमंत्रण दे रहे हैं। जबकि महीने भर तक पहाड़ी के आसपास तैनात 2000 से ज्यादा पुलिस हटा दी गई है। इधर, नक्सलियों की घटना से गांव के लोग बेफिक्र हैं। जिस रास्ते पर गाड़ियां जलाई गईं, उसी रास्ते से गुजरते ग्रामीणों ने कहा कि डर किससे और क्याें।

नक्सलियों के कोड वर्ड पकड़ने से सुरक्षा बलों मिली सफलता

झारखंड पुलिस के अनुसार, स्थानीय खुफिया इनपुट की मदद से नक्सलियों के खिलाफ अभियान की सफलता का प्रतिशत बढ़ गया है। नक्सलियों के कोड वर्ड और उनकी लोकल भाषा काे समझने की वजह से जवानाें काे काउंटर रणनीति में सफलता मिल रही है। नक्सलियों द्वारा छुपाए गए डेटोनेटर और विस्फोटक भारी मात्रा में बरामद हुए हैं।

नक्सलियाें द्वारा पुलिस पर हमले के लिए लगाए गए 250 आईईडी को भी विस्फोट से पहले ही निष्क्रिय करने में जवानाें काे सफलता मिली है। पुलिस का दावा है कि लगातार चलाए जा रहे अभियान से नक्सलियों को जान बचाने के लिए नए ठिकानों की तलाश में इधर-उधर भागना पड़ रहा है।

510 जवान शहीद हुए 846 नक्सली मारे गए

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार 18 साल में 5,688 नक्सली हमले और घटनाओं में अब तक 510 पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं, वहीं पुलिसिया कार्रवाई में 846 नक्सली मारे गए हैं।

सरायकेला-खरसावां में कई बड़े नक्सली

​​​​​​​सरायकेला के कुचाई इलाके में पिछले चार महीने से कई बड़े माओवादी नेता कैंप कर रहे हैं। झारखंड पुलिस के खुफिया विभाग को जो सूचनाएं मिली हैं, उसके मुताबिक एक करोड़ का इनामी माओवादी और पोलित ब्यूरो मेंबर प्रशांत बोस भी फिलहाल सरायकेला में ही है। प्रशांत बोस के साथ 25 लाख का इनामी पतिराम मांझी उर्फ अनल दा, 15 लाख का इनामी जोनल कमांडर महाराज प्रमाणिक, 10 लाख का इनामी अमित मुंडा समेत 200 लोकल नक्सली सदस्य दस्ते के साथ सरायकेला-खरसावां में जमे हुए हैं।

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