नई दिल्ली। टाटा ग्रुप, भारत का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित व्यवसायिक समूह, न केवल देश की प्रगति में योगदान देने के लिए जाना जाता है, बल्कि एक समृद्ध पारिवारिक इतिहास के लिए भी प्रसिद्ध है। इस परिवार की नींव जमशेद जी टाटा ने रखी थी, और उनके परपोते रतन टाटा ने इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया, जिससे एक युग का अंत हुआ। लेकिन उनकी विरासत और परिवार की कहानी आज भी प्रेरणा देती है।
जमशेद जी टाटा: टाटा साम्राज्य के संस्थापक
रतन टाटा के परदादा, जमशेद जी टाटा, भारत के पहले उद्यमियों में से एक थे। 1868 में उन्होंने टाटा ग्रुप की स्थापना की और जमशेदपुर शहर का निर्माण कराया। उनकी शादी हीराबाई से हुई थी और उनके दो बेटे थे – डोराभ जी टाटा और रतन जी टाटा।
डोराभ जी टाटा: परिवार की दूसरी पीढ़ी
डोराभ जी टाटा ने अपने पिता जमशेद जी की तरह टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया। 1904 से 1928 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे डोराभ जी की शादी मेहरबाई से हुई, हालांकि उनके कोई संतान नहीं थी। डोराभ जी के नेतृत्व में टाटा ने कई उद्योगों में अपनी जगह बनाई।
रतन जी दादा टाटा: टाटा परिवार के दूसरे बेटा
रतन जी दादा टाटा, जमशेद जी टाटा के दूसरे बेटे थे। उन्होंने भी टाटा ग्रुप की कमान संभाली। उनकी शादी फ्रांसीसी महिला नवजबाई से हुई। उनके कोई अपने बच्चे नहीं थे, लेकिन उन्होंने नवल टाटा को गोद लिया।
नवल टाटा: रतन टाटा के पिता
नवल टाटा, टाटा परिवार की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने टाटा समूह को एक नई दिशा दी। उनकी पहली शादी सूनी से हुई, जिनसे उनके दो बेटे हुए – रतन टाटा और जिम्मी टाटा। हालांकि, नवल और सूनी का तलाक हो गया था। बाद में नवल ने सिमोन से दूसरी शादी की, जिनसे उनके बेटे नोएल टाटा हुए।
रतन टाटा और जिम्मी टाटा: टाटा परिवार की चौथी पीढ़ी
रतन टाटा और जिम्मी टाटा दोनों ही अविवाहित रहे। रतन टाटा ने टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया और इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। उनके सौतेले भाई नोएल टाटा भी व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। नोएल की शादी Aloo Mistry से हुई, जिनसे उनके तीन बच्चे हैं – नेवाइल, लियाह, और माया टाटा।
नोएल टाटा और अगली पीढ़ी
नोएल के बेटे नेवाइल टाटा ने Manasi Kirloskar से शादी की, जो कि किर्लोस्कर परिवार की सदस्य हैं। लियाह टाटा ने स्पेन से मास्टर्स की पढ़ाई की और वह भी टाटा परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।
इस प्रकार, टाटा परिवार की यह समृद्ध विरासत न केवल भारतीय उद्योग को दिशा देने में महत्वपूर्ण रही है, बल्कि उनके सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान भी आज तक प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।