नई दिल्ली। जापान का सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प टिकटॉक के भारतीय कारोबार के लिए बोली लगाने की संभावना तलाश रहा है। इसके लिए सॉफ्टबैंक ग्रुप स्थानीय साझेदार तलाश रहा है। इस मामले से वाकिफ सूत्रों के हवाले से ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। सॉफ्टबैंक ग्रुप की टिकटॉक की पेरेंट कंपनी बायडांस में भी हिस्सेदारी है।
रिलायंस जियो और भारतीय एयरटेल से चल रही बातचीत
सूत्रों के मुताबिक, टिकटॉक का भारतीय कारोबार खरीदने के लिए सॉफ्टबैंक ग्रुप स्थानीय साझेदारों के साथ एक ग्रुप बनाकर बोली लगा सकता है। इसके लिए सॉफ्टबैंक ग्रुप की रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड और भारती एयरटेल लिमिटेड के मुखिया से कई महीनों से बातचीत चल रही है। सूत्रों के मुताबिक, सॉफ्टबैंक अभी भी साझेदारी को लेकर संभावनाएं तलाश रहा है।
कई देशों में कारोबार बेचने की योजना बना रहा है टिकटॉक
चीन की कंपनी बायडांस के शॉर्ट वीडियो ऐप टिकटॉक को भारत और अमेरिका ने बैन कर दिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा और यूजर्स डाटा के दुरुपयोग को लेकर कई अन्य देश भी टिकटॉक पर दंडात्मक कार्रवाई की योजना बना रहे हैं। ऐसे में टिकटॉक कई देशों में अपने कारोबार को बेचने की योजना बना रहा है।
भारत ने जून में लगाया था टिकटॉक पर बैन
लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा विवाद के बाद केंद्र सरकार ने चीन की कंपनियों से जुड़े 59 ऐप पर 29 जून को बैन लगाया था। इसमें टिकटॉक, वीचैट, अलीबाबा ग्रुप के यूसी न्यूज और यूसी ब्राउजर जैसे पॉपुलर ऐप शामिल थे। इसके बाद सरकार ने चीन के 47 और ऐप को बैन किया था। ये पहले बैन किए गए ऐप के क्लोन थे। इसी सप्ताह 2 सितंबर को भी सरकार ने पॉपुलर गेमिंग ऐप पबजी समेत 118 ऐप को बैन किया है। इस तरह से सरकार अब तक चीन से जुड़े 224 ऐप पर बैन लगा चुकी है।
टिकटॉक को बेचना है अमेरिकी कारोबार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी टिकटॉक पर बैन लगाने का आदेश जारी कर चुके हैं। साथ ही ट्रम्प टिकटॉक का अमेरिकी कारोबार किसी अमेरिकी कंपनी की बेचने की बात कह चुके हैं। हालांकि, ट्रम्प प्रशासन की ओर से लगाया गया बैन 15 सितंबर से प्रभावी होगा। टिकटॉक के अमेरिकी कारोबार को खरीदने के लिए माइक्रोसॉफ्ट, ओरेकल और दो अन्य कंपनियों ने संयुक्त रूप से बोली लगाई है।
अमेरिकी कारोबार की सौदेबाजी में भी अहम भूमिका निभा सकता है सॉफ्टबैंक
टिकटॉक के अमेरिकी कारोबार की सौदेबाजी में भी सॉफ्टबैंक ग्रुप अहम भूमिका निभा सकता है। इसका कारण यह है कि सॉफ्टबैंक ग्रुप की बायडांस और वॉलमार्ट इंक दोनों में हिस्सेदारी है। टिकटॉक का कारोबार खरीदने के लिए वॉलमार्ट ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर बोली लगाई है। वॉलमार्ट, माइक्रोसॉफ्ट को फंड उपलब्ध कराएगा।