ट्रंप से क्यों डर रहा है कनाडा ? जेलेंस्की के दर्द को क्या ट्रंप समझेंगे ?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब सत्ता अपने हाथों में ली है तब से वो दुनिया के कई देशों को चेतावनी दे रहे हैं। इस वजह से कई देशों में दहशत का माहौल है।

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ताजा मामला कनाडा को लेकर है। दोनों देशों के बीच अब तनाव बढ़ गया है। आलम तो ये हैं कि जस्टिन ट्रूडो अब मदद की गुहार लगा रहे हैं।

कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में यूरोपीय देशों को ट्रंप के टैरिफ डर दिखाया। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका कनाडा पर टैरिफ लगा सकता है तो अगला नंबर यूरोप का होगा। इस दौरान मंत्री का चेहरा पूरी तरह से निराशा में डूबा हुआ नजर आया।

इतना ही नहीं उन्होंने जी-7 में रूस की वापसी के प्रस्ताव का भी विरोध किया। बत दें कि ट्रंप ने कनाडा के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए 25 फीसदी का टैरिफ लगाने की बात कही है। मामला यहीं पर खत्म नहीं हुआ बल्कि ट्रंप चाहते हैं कि जी-7 में रूस को शामिल किया जाये।

इसको लेकर कनाडा की विदेश मंत्री ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रूस पहले जी-7 का सदस्य था, जिसे तब जी-8 कहा जाता था. लेकिन 2014 में ओबामा प्रशासन के दौरान जब क्रीमिया पर रूस ने कब्जा कर लिया तो इसे ग्रुप से बाहर कर दिया गया था।

इसके अलावा कनाडा की ऊर्जा पर 10 फीसदी टैरिफ लगाया था. चीन से आने वाले सामानों पर भी ट्रंप ने 10 फीसदी टैरिफ का ऐलान किया था. इससे खफा कनाडा ने 25 फीसदी टैरिफ का ऐलान किया था।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की एक बार फिर अपना दर्द दुनिया के सामने साझा किया है। उन्होंने जर्मनी में आयोजित म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में यूक्रेन का पक्ष रखा है और अमेरिका के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई है। दरअसल, नाटो में यूक्रेन की सदस्यता को लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अपनी जमकर भड़ास अमेरिका पर निकाली है

। म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अपने संबोधन में कहा कि अमेरिका और बाइडेन प्रशासन ने कभी भी यूक्रेन को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के एक सदस्य के तौर पर नहीं देखा।

दूसरी तरफ, अमेरिका ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी और अमेरिका के नए रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने नाटो में यूक्रेन की सदस्यता को लेकर साफ तौर पर कहा था कि वह यथार्थवादी नहीं है।

उन्होंने आगे कहा, कि यूक्रेन 2014 से पहले की सीमा को फिर से हासिल करने का सपना देखना छोड़ दे। इसी बयान से यूक्रेन काफी नाराज है और अपनी खोई हुई जमीन को फिर से पाने के लिए उसकी कोशिशों को अमेरिका के द्वारा तगड़ा झटका था। दूसरी तरफ, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात पर चुप्पी तोड़ी है।

उन्होंने साफ तौर पर कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करने पर तभी हामी भरेंगे जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का साथ साझा योजना पर वार्ता हो जाएगी।

जेलेंस्की ने म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में कहा, कि मेरा मानना है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध और संघर्ष को खत्म करने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका काफी अहम हो सकती है।

दूसरी तरफ, अमेरिकी राष्ट्रपति ने हाल ही में खुलासा किया कि पुतिन से यूक्रेन मामले पर बातचीत की है और वह युद्धविराम को लेकर बातचीत पर सहमत भी हो गए हैं। अब देखना होगा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के ताजा बयान पर अमेरिका और रूस क्या प्रतिक्रिया देते हैं। फिलहाल, अमेरिका ने चुप्पी साध रखी है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के प्रमुख व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर बातचीत के बाद यूक्रेन युद्ध पर विराम लगने की संभावना बढ़ सकती है। इस बीच यूक्रेन भी पूरी तरह से एक्टिव हो गया है और उसने उन शर्तां को तैयार करना शुरू कर दिया है जिससे समझौता का रास्ता साफ हो सके।

यूक्रेन की मीडिया के अनुसार जल्द ही यूके्रन के राष्ट्रपति अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात कर अपनी शर्तों को साझा कर सकते हैं। यूक्रेनी अखबार द कीव इंडिपेंडेंट के में छपि एक खबर के अनुसार यूक्रेन ने पूरी तरह से पहले ही मन बना लिया है कि वो कब्जे वाले जमीन को आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं देगी।

यूक्रेन ने साफ शब्दों में कहा कि उस इलाके वो मान्यता नहीं दे सकता है जिसे रूस ने जंग के दौरान अपने कब्जे में लिया है। बता दें कि रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया, खेरसॉन, ज़ापोरिज्जिया, डोनेट्स्क और लुगांस्क के साथ-साथ ओब्लास्ट पर भी कब्जा कर लिया है। जेलेस्की इस पूरे मामले पर अपना नजरिया ट्रंप के सामने पेश कर सकते हैं।

यूक्रेन चाहता है कि उसकी जमीन उसे वापस मिले और इसी को ध्यान में रखकर समझौतें की शर्त की तैयार किया जा रहा है। ट्रंप के सामने खुलकर यूक्रेन बात कर सकता है।

अखबार के मुताबिक, यूक्रेन के विपक्षी नेता वोलोडिमिर आर्येव ने कहा कि यूक्रेन दो मुद्दों पर समझौता नहीं करेगा सैन्य अभ्यास और हथियारों पर पाबंदी – यूक्रेन को डर है कि अगर ऐसा हुआ तो रूस उसे कमजोर करने की कोशिश कर सकता है। भूमि विवाद – यूक्रेन अपनी जमीन को लेकर किसी समझौते के मूड में नहीं है। इसलिए, समझौता होगा या नहीं और कब होगा, यह रूस के रुख पर निर्भर करेगा। रूस-यूक्रेन युद्ध की सबसे बड़ी वजह नाटो की सदस्यता थी। यूक्रेन नाटो में शामिल होना चाहता था, लेकिन रूस इसके खिलाफ था। अब कहा जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप इस मुद्दे को और जटिल बना सकते हैं

रूस यूक्रेन युद्ध में बाइडेन प्रशासन ने यूक्रेन को आर्थिक, कूटनीतिक और सैन्य सभी तरह की मदद दे रहा था लेकिन ट्रंप के आने के बाद हालात बदल गए है और यूक्रेन अब भी मदद की आस है। इस बीच ट्रंप के व्हाइट हाउस लौटने के बाद यूक्रेन को मदद मिलेगी लेकिन इसमें एक शर्त लगा दी थी। दरअसल ट्रंप यूक्रेन को मदद देने के लिए तैयार है लेकिन उसके बदले में यूक्रेन से कुछ चाहते हैं।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि वह रूस के खिलाफ संघर्ष में अमेरिका के निरंतर समर्थन के बदले में देश के दुर्लभ पृथ्वी संसाधनों तक पहुंच प्राप्त करने के लिए यूक्रेन के साथ एक डील चाहते हैं। अब ट्रम्प ने एक और बयान देकर हलचल पैदा कर दी है।

ट्रंप ने एक इंटरव्यू में कहा कि यूक्रेन भविष्य में रूस का हिस्सा बन सकता है. इसके साथ ही उन्होंने अमेरिकी मदद के बदले यूक्रेन से प्राकृतिक संसाधनों की मांग की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने यूक्रेनी अधिकारियों से 500 अरब डॉलर मूल्य के दुर्लभ खनिजों (Rare Earth), तेल और गैस सहित अन्य प्राकृतिक संसाधनों की मांग की।

उनका दावा है कि यूक्रेन ने इस प्रस्ताव को अनौपचारिक रूप से स्वीकार भी कर लिया था। ट्रंप ने अपनी पॉलिसी को क्लियर करते हुए कहा कि अमेरिका ने यूक्रेन को सैकड़ों अरब डॉलर की सहायता दी है और अब वह इसकी भरपाई करना चाहता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर यूक्रेन भविष्य में रूस का हिस्सा बन जाता है तो अमेरिका को अपने निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।

ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बात करते हुए, ट्रंप ने शिकायत की कि अमेरिका ने यूक्रेन को उसके यूरोपीय पार्टनर्स के मुकाबले ज्यादा सैन्य और आर्थिक सहायता दी है, उन्होंने कहा, “हम यूक्रेन के साथ एक ऐसा समझौता करना चाहते हैं, जिसमें वे हमारी मदद लें और बदले में अपनी दुर्लभ पृथ्वी पदार्थ और अन्य चीजों हमें दे।

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