ट्विटर खरीदते ही पराग को मस्क ने क्यों हटाया? गडकरी से क्या कनेक्शन

नई दिल्ली। एलन मस्क के मालिक बनने के बाद टि्वटर में बदलाव के सिलसिलों की शुरुआत हो चुकी है। इस कड़ी में सबसे पहले गाज गिरी है इसके टॉप अधिकारियों पर। इनमें दो प्रमुख नाम हैं पराग अग्रवाल और विजया गड्डे। पराग टि्वटर के सीईओ थे और पहली बार डील कैंसल होने के दौरान ही मस्क और उनके बीच छत्तीस का आंकड़ा बन चुका था। हालांकि जिस तरह से मस्क ने आनन-फानन में पराग को हटाया है, उससे संकेत मिल रहे हैं कि भारत को लेकर इस सोशल मीडिया साइट का रवैया नर्म नहीं रहने वाला है। इसकी वजह है, भारत सरकार द्वारा एलन मस्क के कुछ ड्रीम प्रोजेक्ट्स को ग्रीन सिग्नल न देना।

पराग से क्या थी मस्क की टशन
पराग अग्रवाल से एलन मस्क की टशन तब शुरू हुई, जब मस्क ने इसी साल अप्रैल में ट्विटर खरीदने की तरफ कदम बढ़ाया था। जब मस्क ने पहली बार डील से कदम वापस खींचा तो उन्होंने आरोप लगाया था कि पराग ने उन्हें ट्विटर के फेक अकाउंट्स पर गलत जानकारी दी थी। रिश्तों में खटास उस वक्त और बढ़ गई जब मस्क ने ट्वीट किया, क्या ट्विटर मर रहा है?

अमेरिकी कोर्ट में भी कुछ मैसेजेज पेश किए गए थे, जिनमें दोनों के बीच तल्ख रिश्तों की बात सामने आई थी। वहीं, मस्क और ट्विटर के पूर्व सीईओ डॉर्सी के बीच हुए कुछ चैट भी लीक हुए थे। इसमें मस्क ने ट्विटर के मैनेजमेंट को लेकर नाखुशी जाहिर की थी, जिसमें पराग अग्रवाल और विजया गड्डे के नाम शामिल थे। इस चैट में यह भी सामने आया था कि मस्क पराग अग्रवाल के साथ काम करने को लेकर उत्सुक नहीं हैं।

भारत को लेकर इसलिए तंगदिल हैं मस्क
एलन मस्क का रवैया भारत को लेकर बेहद तंगदिल है। इसका एक बड़ा कारण है टेस्ला कार। असल में एलन मस्क टेस्ला कार को लेकर भारत आना चाहते थे। वह यहां के इलेक्ट्रॉनिक कार सेगमेंट में अपने लिए एक बड़ा बाजार देख रहे थे। दो साल पहले तक ऐसा लग रहा था कि यह बेहद आसानी से हो जाएगा।

हालांकि, अब हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं। इसकी जड़ में है सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का वह बयान, जिसमें उन्होंने एलन मस्क को भारत आकर कार बनाने के लिए कह डाला। गौरतलब है कि मस्क ने अमेरिका के बाद चीन में टेस्ला की फैक्ट्री डाली है।

मस्क चाहते हैं कि वहीं कार पूरी तरह से एसेंबल करने के बाद भारतीय बाजारों में बेचा जाए। वहीं, गडकरी का कहना है कि अगर मस्क को भारत में कार बेचनी है तो यहीं फैक्ट्री डालें। दूसरी तरफ मस्क का कहना है कि टेस्ला ऐसी किसी भी जगह पर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं लगाएगी, जहां हमें पहले कारों को बेचने और सर्विस करने की परमिशन नहीं है।

स्टारलिंक पर भी फंसा है पेंच
बात सिर्फ टेस्ला तक ही सीमित नहीं है। एलन मस्क के एक और ड्रीम प्रोजेक्ट स्टारलिंक पर भी भारत सरकार ने पेंच फंसा रखा है। स्टारलिंक मस्क की कंपनी है जो इंटरनेट सर्विस देती है। यह कंपनी स्पेसएक्स के जरिए सेटेलाइट इंटरनेट देती है। इसमें बिना किसी वायर के ग्रामीण इलाकों में भी सेटेलाइट के जरिए डायरेक्ट इंटरनेट मिल सकता है।

हालांकि भारत सरकार की तरफ से इसको मंजूरी नहीं मिली है। स्पेसएक्स उपग्रह इंटरनेट सेवा स्टारलिंक 32 देशों में मौजूद है। भारत सरकार ने स्टारलिंक को बिना लाइसेंस के देश में सेटेलाइट इंटरनेट सर्विस की बुकिंग/रेंडरिंग बंद करने को कहा था। वहीं, स्टारलिंक के भारत निदेशक संजय भार्गव ने इस साल की शुरुआत में सरकारी दबाव के बीच पद छोड़ दिया था।

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