डॉक्टर अपने ही बच्चों पर करा रहे वैक्सीन का ट्रायल, अब तक 25 को लग चुका पहला डोज

कानपुर। कोरोना से बच्चों को बचाने के लिए कानपुर के प्रखर अस्पताल में दूसरे ट्रायल शुरू हो गया है। इस ट्रायल में अब तक कानपुर में 25 बच्चों को कोवैक्सीन का पहला डोज दिया जा चुका है। लेकिन क्या आपको पता है कि यह बच्चे कौन है? और किसके है? जो बिना डरे अपने बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल करवा रहे हैं। इस वैक्सीन ट्रायल के प्रमुख डॉ. जेएस कुशवाहा ने बताया यह सब बच्चे शहर के डॉक्टरों के ही हैं।

एक डॉक्टर ही कोरोना को समझ सकता है…
डॉ. जेएस कुशवाहा ने कहा कि कोई भी अभिभावक अपने बच्चों पर यह ट्रायल करने को तैयार नहीं होता है। शहर के डॉक्टरों के साथ हम लोगों ने एक मीटिंग कर यह डिसाइड किया है कि वैक्सीन ट्रायल पहले डॉक्टरों के बच्चों पर ही किया जाएगा। यह इसलिए क्योंकि एक डॉक्टर को ही कोरोना के बारे में ज्यादा जानकारी होती है और वैक्सीन ही इसका आखिरी रास्ता है। यह बात एक डॉक्टर ही बखूबी समझते हैं।

डॉ. जेएस कुशवाहा
डॉ. जेएस कुशवाहा

तीन ग्रुप में बांटा गया है बच्चों को
डॉ. जेएस कुशवाहा ने बताया कि बच्चों को दो साल से पांच साल, छह साल से 11 साल और 12 साल से 17 साल के तीन ग्रुप में बांटा गया है। हम लोगों ने 50 बच्चों की स्क्रीनिंग की। जिसमें से 40 बच्चे वैक्सीन के लिए फिट पाए गए। कुल 50 बच्चों को वैक्सीन लगनी है। बाकी के बच्चों को 2 से 6 साल के ग्रुप में डाला गया है, जिन पर अभी वैक्सीन के ट्रायल किए जाएंगे।

कैसे किया गया ट्रायल…
प्रखर हॉस्पिटल में वैक्सीन ट्रायल के प्रमुख डॉ. जेएस कुशवाहा ने बताया कि वैक्सीन के ट्रायल में हम लोगों ने 40 बच्चों की स्क्रीनिंग की। इनमें से सिर्फ 20 बच्चे ही फिट पाए गए। उन बच्चों को वैक्सीन लगा दी गई। 6 से 12 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग में सिर्फ 5 बच्ची के फिट पाए गए, जिन्हें वैक्सीन का पहला डोज दिया गया। इन बच्चों में से सिर्फ 3 बच्चों को थोड़ा सा फीवर आया। सभी बच्चों पर निगरानी रखी जा रही है। हमारी टीम उनके पेरेंट्स से बच्चों की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।

पूरी दुनिया में सबसे पहला ट्रायल…
ट्रायल के चीफ इन्वेस्टिगेटर वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ वीएन त्रिपाठी ने बताया कि, दो साल के बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का दुनिया में यह पहला ट्रायल है। इसके पहले इतने छोटे बच्चों पर कहीं नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि अब अगली बारी दो से छह साल के ग्रुप के बच्चों की है।

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