तकनीक पर पूरा भरोसा था इसलिए कभी हेलमेट की जरूरत नहीं महसूस हुई : गावस्कर

नई दिल्ली। आज से 50 साल पहले एक छोटे कद के क्रिकेटर ने पहली बार टेस्ट के खेलने के लिए मैदान पर कदम रखा और तब शायद किसी को भी इस बात की उम्मीद नहीं होगी कि सुनील गावस्कर नाम का यह खिलाड़ी एक दिन इस खेल के महानतम खिलड़ियों में गिना जाएगा। भारतीय क्रिकेट के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने अपने डेब्यू सीरीज में ही कमाल का प्रदर्शन करते हुए विश्व क्रिकेट में अपनी दस्तक दे दी थी।

गावस्कर ने अपने डेब्यू के 50 साल पूरे होने पर अपने क्रिकेट करियर के कई किस्से साझा किये और उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया कि वह कभी हेलमेट क्यों नहीं पहनते थे।

सुनील गावस्कर ने हेलमेट ना पहनने के बारे में बात करते हुए कहा, “उन दिनों कोई भी हेलमेट नहीं पहनता था। हमारे पास मुश्किल से लेग गार्ड्स और दस्ताने हुआ करते थे। उस समय हमारे थाई गॉर्ड के रूप में हमारा हैण्ड टॉवल हुआ करता था जो हमें होटल में मिलता था और उसे हम अपनी आगे की जेब में रखते थे।

1971 के वेस्टइंडीज के दौरे के बाद स्पंज के थाई गॉर्ड बनाये गए लेकिन उनसे कोई खास मदद नहीं मिलती थी। मुझे कभी हेलमेट की जरूरत नहीं महसूस हुई क्योंकि मुझे अपनी तकनीक पर पूरा भरोसा था। मैंने स्कल कैप पहनना तब शुरू किया जब मैल्कम मार्शल की गेंद मेरे माथे पर लगी थी। स्कल कैप भी मैंने अपने करियर के आखिरी तीन सालों में ही पहनी। वो भी जब तक गेंद नयी होती थी। इसके बाद मैं सफेट पनामा हैट पहनता था।”

सुनील गावस्कर ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत 6 मार्च, 1971 को पोर्ट ऑफ़ स्पेन के मैदान में की थी। गावस्कर ने अपनी डेब्यू सीरीज में वेस्टइंडीज जैसी खतरनाक टीम के सामने चार शतक और तीन अर्धशतक की मदद से 774 रन बनाये थे। अपनी डेब्यू सीरीज के बारे में बात करते हुए गावस्कर ने कहा कि इस सीरीज में भाग्य ने भी मेरा साथ दिया था क्योंकि गैरी सोबर्स जैसे महान खिलाड़ी ने दो बार मेरा कैच छोड़ा था। डेब्यू टेस्ट सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड अभी भी गावस्कर के ही नाम है और अभी तक कोई भी खिलाड़ी इस मुकाम को हासिल करने में कामयाब नहीं हुआ।

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