नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश में चीन को पूर्वी लद्दाख जैसी हरकत का मौका नहीं देने की तैयारी जोरों पर है। सेना को तेजी से मोर्चे तक पहुंचाने के लिए अरुणाचल सेक्टर में 1350 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सड़क और सुरंगों का जाल बिछाया जा रहा है।
साथ ही इजराइल से मिले ड्रोन विमानों और विशेष हेलिकॉप्टरों के जरिये हाईटेक सर्विलांस सिस्टम भी तैयार किया गया है, जो हर छोटी हरकत की जानकारी तत्काल दे रहा है।
बनाए जा रहे हैं 20 पुल, समय से पहले पूरी होंगी सुरंगें
PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, सीमा सड़क संगठन (BRO) के एक इंजीनियर अनंत कुमार सिंह ने ब ताया कि अरुणाचल में सीमा तक तेजी से पहुंचने के लिए बहुत सारी सड़कें व सुरंगें बनाई जा रही हैं। करीब 20 बड़े पुल तैयार किए जा रहे हैं, जो टैंक जैसे भारी वाहनों का वजन सह सकते हैं।
- नेचिफू और सेला पास में दो ऐसी सुरंगें बन रही हैं जिनसे इलाके में पूरा साल आवाजाही आसान होगी
- अगले साल अगस्त में समय से पहले तैयार हो जाएंगी ये दोनों सुरंग
- तेंगा जीरो प्वाइंट से ईटानगर तक बेहद अहम सड़क तैयार हो रही है
- तवांग से शेरगांव तक भी “वेस्टर्न एक्सेस रोड” का निर्माण तेजी पर
- तवांग को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने के प्लान पर भी किया जा रहा है काम
तैनात कर दिए हैं इजराइल से मिले ड्रोन
सीमा तक तेजी से पहुंच बनाने के साथ ही पल-पल की हरकत की निगरानी पर भी जोर है। इसके लिए रात और दिन लगातार सर्विलांस किया जा रहा है। सर्विलांस के लिए रिमोट से चलने वाले एयरक्राफ्ट की फ्लीट लगाई गई है। इनमें इजराइल से मिले हेरोन ड्रोन की फ्लीट भी शामिल है, जो लंबे समय तक उड़ान भरकर अहम डाटा और तस्वीरें कमांड व कंट्रोल सेंटरों को भेज रहे हैं।
भारतीय सेना की एविएशन विंग ने भी सर्विलांस के लिए अपने हेलिकॉप्टर उतारे हैं। एविएशन विंग ने एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर- रूद्र, का वेपन सिस्टम इंटिग्रेटिड (WSI) संस्करण इसके लिए तैनात किया है, जिसने इस रीजन में भारत के सामरिक अभियानों को और ज्यादा मजबूती दी है।
बैटलफील्ड ट्रांसपेरेंसी बनाने की कोशिश
5 माउंटेन डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल जुबिन ए मीनावाला ने सोमवार को PTI से कहा कि हमारा टारगेट ज्यादा से ज्यादा बैटलफील्ड ट्रांसपेरेंसी तैयार करना है। इसके लिए सड़क ढांचे को मजबूत करने के साथ ही हाईटेक सर्विलांस उपकरणों की मदद ली जा रही है।
सेना की 5 माउंटेन डिवीजन बूम ला से भूटान के पश्चिमी हिस्से तक सीमा की निगरानी का काम संभालती है। इसे भारतीय सेना की सबसे अहम तैनाती माना जाता है।
मेजर जनरल जुबिन ने कहा, ‘अब दुश्मन हमें सरप्राइज नहीं कर सकता। हम अपने लक्ष्यों को लेकर पूरी तरह विश्वस्त हैं। हम हर संभव हालात से निपटने में विश्वास वाली अप्रोच का पालन कर रहे हैं।’