नई दिल्ली। गर्मी इस साल तीखे तेवर दिखा सकती है। मार्च में ही देशभर के कई राज्यों में मई जैसी तपिश पड़ रही है। हीटवेव विशेषज्ञ और वैज्ञानिक नरेश कुमार ने बताया कि इस तरह की गर्म हवाएं पाकिस्तान में भी देखी जा रही हैं। पाकिस्तान में भी कुछ जगहों पर पारा 45 डिग्री तक पहुंच चुका है। ये हीटवेव ही राजस्थान के रास्ते भारत के मैदानी क्षेत्रों तक पहुंच रही है।
इंडियन मीटियरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने भी अप्रैल से जून के बीच तेज गर्मी पड़ने की संभावना व्यक्त की है। राजस्थान सहित कुछ राज्यों में पारा 40 डिग्री के पार हो चुका है। IMD ने राजस्थान, मध्यप्रदेश, UP समेत 10 राज्यों में 3 अप्रैल को हीटवेव चलने का अलर्ट जारी किया है। पिछले दिनों दिल्ली में तापमान ने 76 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है। सोमवार को दिल्ली में पारा 40.1 डिग्री सेल्सियस था, जो 76 साल में देखने को नहीं मिला। IMD के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय मोहपात्रा ने बताया कि राजस्थान में चलने वाली हीटवेव दूसरे मैदानी क्षेत्रों में भी तापमान बढ़ाएगी।
राजस्थान के 8 तो MP के चार शहरों में तापमान 40 पार
राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, माधोपुर, चित्तौड़गढ़, चुरू और फलौदी में बीते दिन पारा 40 डिग्री से ऊपर चला गया। इन इलाकों में रात का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा जा रहा है। मध्यप्रदेश में मार्च में ही मई जैसी गर्मी देखने को मिल रही है। भोपाल सहित 4 शहरों में पारा 40 पार हो गया है। बीते दिन भोपाल में 41 डिग्री, इंदौर में 40.2 डिग्री, जबलपुर में 40.5 डिग्री और ग्वालियर में 40.8 डिग्री तापमान दर्ज किया गया। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में भी तेज गर्मी पड़ने लगी है।
UP में गर्मी ने 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ा, हिमाचल में भी तपिश
गर्मी ने उत्तर प्रदेश में भी कहर ढाया हुआ है। यहां मार्च में दूसरी बार 10 सालों का रिकॉर्ड टूटा है। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा गर्मी बीते दिन झांसी में देखने को मिली। यहां अधिकतम तापमान 42.3 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। इसके अलावा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी गर्मी पड़ रही है। हिमाचल प्रदेश के ऊना में पारा बीते दिन पारा 34.3 डिग्री दर्ज किया गया। इसके अलावा शिमला में पारा 23.2 डिग्री पहुंच गया है, जो सामान्य से 6 डिग्री ज्यादा है।
हजारों किलोमीटर से जोधपुर आने वाले पक्षियों को बचाना चुनौती
मंगोलिया और साइबेरिया से हर साल जोधपुर पहुंचने वाले 25 हजार कुरजां पक्षी (डेमोसिएल क्रेन) गर्मी के कारण समय से पहले ही वापस लौट गए। इनमें से 10-12 पक्षी अब भी यहीं हैं। बताया जाता है कि जो पक्षी वापस अपने देश जाने की स्थिति में नहीं होते, वो यहीं रुक जाते हैं। हर साल 2-4 पक्षी यहां बच ही जाते हैं, लेकिन इन्हें बचाना गांव वालों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता है।