नई दिल्ली। देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं। जिसको लेकर पिछले कई दिनों से तैयरियां चल रही हैं। आजादी के रणबाकुंरों ने फिरंगियों से लड़कर भारत को आजाद कराया था। 15 अगस्त 1947 के दिन जब पूरे भारतवासी जश्न में डूबे थे, तब महात्मा गांधी घर पर अकेले थे और जश्न में शामिल नहीं हुए थे। इस पर एक अंग्रेज पत्रकार ने उनसे सवाल पूछा तो उन्होंने जवाब दिया था कि, दुनिया से कह दो कि गांधी अंग्रेजी भूल गया।
इस वजह से खुश नहीं थे बापू
इतिहासकार डॉक्टर अजय सिंह बताते हैं कि पूरे देश में लोग सड़कों पर थे। ढोल नगाड़े के साथ नाच-गाने के जरिए आजादी का पर्व मना रहे थे। पर बापू दंगे की तपिश में अपने को झोंके हुए थे। इतिहासकार बताते हैं कि अंग्रेजों ने चलाकी से भारत के दो टुकड़े कर दिए थे।
बंटवारे के बाद एक करोड़ से ज्यादा लोग पाकिस्तान से हिंदुस्तान या हिंदुस्तान से पाकिस्तान जा रहे थे। धर्म के नाम पर बंटवारा देखने और दिल्ली में बैठकर मंत्रियों का चेहरा देखने में महात्मा गांधी की कोई दिलचस्पी नहीं थी। महात्मा गांधी की टोपी पहनने वाले दिल्ली की सत्ता पर काबिज थे, लेकिन 78 साल के गांधी अकेले अपने दम पर पश्चिम बंगाल में धर्म के नाम पर होने वाले दंगों की तपिश झेल रहे थे।
लेकिन गांधी चुप रहे
इतिहासकार बताते हैं कि, उस वक्त के पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री प्रफुल चन्द्र घोष 14 अगस्त 1947 को जब गांधी जी से मिलने पहुंचे तो उन्होंने पूछा कि आप आजादी का जश्न कैसे मनाएंगे, लेकिन गांधी चुप रहे। जब एक ब्रिटिश पत्रकार गांधी जी का इंटरव्यू लेने पहुंचा तो उन्होंने इतना कहा कि दुनिया से कह दो कि गांधी अंग्रेजी भूल गया। पत्रकार के अलावा पंडित जवाहर लाल नेहरू समेत कई नेताओं ने बापू से जश्म में शिरकत होने को कहा पर उन्होंने बोलने से इंकार कर दिया था।
200 साल बाद मिली आजादी
गौरतलब है कि 15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि में भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली थी। भारत को ब्रिटिश राज से आजादी लेने में 200 साल से अधिक का समय लग गया था। इसी दिन यानी 15 अगस्त 1947 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार लाल किले पर तिरंगा फहराया था। इसके बाद से स्वतंत्रता दिवस पर हर साल भारत के प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले पर राष्ट्रीय तिरंगा झंडा फहराते हैं।