…तो फिर पंजाब में 2022 का चुनाव कांग्रेस कैप्टन के चेहरे पर ही लड़ेगी

नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस में एक बार फिर खुलकर रार देखने को मिल रही है। भले ही प्रदेश कांग्रेस की कमान नवजोत सिंह सिद्धू को देकर मामले को शांत कराने की कोशिश की गई हो लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है।

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मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खेमों के बीच सत्ता को लेकर खींचतान मंगलवार को तब देखने को मिली जब चार कैबिनेट मंत्रियों और पार्टी के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ नजर आये और उन्हें हटाने की मांग कर डाली।

इन कैबिनेट मंत्रियों का कहना है कि कैप्टन चुनावी वादों को पूरा करने में नाकाम रहे हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी ऐसा नहीं मानती है और खुलकर उनके समर्थन में आ गई है। दरअसल राज्य में पार्टी प्रभारी हरीश रावत का बयान सामने आ रहा है। हरीश रावत ने कैप्टन को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि 2022 में होने वाले विधान सभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ेगी।

कैप्टन की कुर्सी पर क्या है खतरा

बता दें कि मंगलवार को कैप्टन सरकार में कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा के घर हुई बैठक में तीन कैबिनेट मंत्री और 20 विधायक बैठक के लिए जमा हुए थे समझा जाता है कि इस बैठक में मुख्यमंत्री बदलने की रणनीति बनाई गई थी इस रणनीति का खुलासा इस बात से होता है कि बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री चरणजीत चन्नी ने कहा था कि हमें अब इस बात का भरोसा नहीं रह गया है कि मुख्यमंत्री सभी चुनावी वादों को पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में जनता की समस्याएं हल नहीं हो पाएंगी।

जानकारी मिली है कि पंजाब में मुख्यमंत्री को बदलने की मांग को लेकर बहुत जल्द एक शिष्टमंडल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुला?ात करेगा. सोनिया गांधी से मुलाकात के लिए तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, सुखविंदर सिंह सरकारिया और परगट सिंह दिल्ली जायेंगे। विधायक परगट सिंह ने कहा कि कांग्रेस के विधायक कैप्टन की कार्यप्रणाली से खुश नहीं हैं।

पंजाब कांग्रेस में सिद्धू और कैप्टन की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. कांग्रेस आलाकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोध के बावजूद पार्टी की कमान सौंपी ताकि दोनों के बीच चल रही जंग थम जाए. एक पार्टी संभाले और दूसरा सरकार. छह महीने के बाद चुनाव में जाना है इसलिए पार्टी में महाभारत नहीं चाहिए.

कैप्टन अमरिन्दर सिंह अंत तक सिद्धू को कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नहीं देखना चाहते थे लेकिन अंतत: उन्हें हार माननी पड़ी. सिद्धू अध्यक्ष का दायित्व संभालने गए तो कैप्टन को वहां जाना पड़ा लेकिन हालात बता रहे हैं कि सिद्धू गुट अब चुनाव से पहले ही कैप्टन को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने पर मजबूर करना चाहता है.

मंगलवार को कैप्टन सरकार में कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा के घर हुई बैठक में तीन कैबिनेट मंत्री और 20 विधायक बैठक के लिए जमा हुए. समझा जाता है कि इस बैठक में मुख्यमंत्री बदलने की रणनीति बनाई गई. इस रणनीति का खुलासा इस बात से होता है कि बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री चरणजीत चन्नी ने कहा कि हमें अब इस बात का भरोसा नहीं रह गया है कि मुख्यमंत्री सभी चुनावी वादों को पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में जनता की समस्याएं हल नहीं हो पाएंगी.

जानकारी मिली है कि पंजाब में मुख्यमंत्री को बदलने की मांग को लेकर बहुत जल्द एक शिष्टमंडल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाक़ात करेगा. सोनिया गांधी से मुलाक़ात के लिए तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, सुखविंदर सिंह सरकारिया और परगट सिंह दिल्ली जायेंगे. विधायक परगट सिंह ने कहा कि कांग्रस के विधायक कैप्टन की कार्यप्रणाली से खुश नहीं हैं.

उल्लेखनीय है कि 26 अगस्त को कैप्टन ने कैबिनेट की बैठक बुलाई है. इस बैठक में विधानसभा सत्र को लेकर फैसला होगा. इस कैबिनेट बैठक में मंत्रिमंडल में फेरबदल की बात भी तय होनी है. सिद्धू के करीबी मंत्रियों को डर है कि कैप्टन उन्हें ठिकाने लगा देंगे. ऐसे में इस बैठक के ज़रिये उन्होंने कैप्टन पर ही दबाव बना दिया है. सिद्धू हालांकि इस बैठक में नहीं थे लेकिन यह माना जा रहा है कि सिद्धू को इस बैठक में क्या तय होने वाला है इसकी पूरी जानकारी है.

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