भारत और चीन के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में करीब 300 चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की। लेकिन, जाबांज भारतीय सैनिकों ने LAC पर ही उन्हें रोककर करारा जवाब दिया। यहां पर गोली चलाने की परमिशन नहीं है।
मोहित ने बताया, ”भारतीय सैनिकों ने वज्र नाम के नुकीले डंडे से चीनियों को पीटा। सैपर पंच के मुक्के मारे। खास बात ये है कि इन दोनों से सिर्फ चोट नहीं लगती, बल्कि करंट का झटका भी लगता है। ऐसे में चीनी सैनिकों को भागना पड़ा।
ये हथियार देखने में पुराने जमाने में युद्ध में इस्तेमाल होने वाले हथियारों जैसे हैं, लेकिन खास बात यह है कि ये टेक्नोलॉजी से लैस हैं। जिससे मिनटों में ही दुश्मनों के दांत खट्टे कर सकते हैं।” उन्होंने बताया कि इसके अलावा सैपर पंच, डंड और शेपर शील्ड हथियारों का यूज भी कर रहे हैं। इन्हीं के दम पर भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों पर भारी पड़ रहे हैं।
सबसे पहले वज्र और सैपर पंच की खासियत पढ़िए…
- वज्र: मोहित ने बताया, नोएडा के स्टार्टअप कंपनी ने मेटल रॉड टेसर यानी व्रज हथियार बनाया। ये स्टेलनेस स्टील से बना है। इसका 75 प्रतिशत हिस्सा करंट फ्लो करता है। इसका झटका लगते ही दुश्मन शिथिल पड़ जाता है। 1 घंटे चार्ज करने के बाद इसे आठ घंटे तक यूज किया जा सकता है। वजन सिर्फ दो से ढाई किलो का है। ऐसे में भारतीय सैनिकों को इसे हाथ में पकड़कर इस्तेमाल करने में परेशानी नहीं होती है। इसके इस्तेमाल से दुश्मन शिथिल पड़ जाएगा। माइनस टेंप्रेचर ये और ज्यादा घातक है।
- सैपर पंच: यह आम दस्ताने या पंच की तरह अपने हाथ में पहना जाता है। अंगूठे और उंगली के बीच इसमें स्विच लगे हैं, जो मुट्ठी बांधने पर एक्टीवेट हो जाते हैं और जिस भी व्यक्ति को पंच लगता है, उसको बिजली का तेज झटका लगता है। इस झटके से दुश्मन को संभलने का मौका नहीं मिलता और कुछ देर के लिए वह पैरालाइज हो जाता है। इसका वेट काफी कम है इसलिए इसे आराम से कैरी किया जा सकता है।
दुश्मनों को झटका देने को तैयार 4 किलो का त्रिशूल, इसकी खासियत भी पढ़िए…
त्रिशूल का वार नहीं जाएगा बेकार मोहित ने बताया कि कंपनी ने खास त्रिशूल नाम का हथियार तैयार किया है। जिसका वार बेकार नहीं जाएगा। इसमें वोल्टेज थोड़ा हाई है। इसका वजन करीब 4 किलो है। एक बार इसका प्रहार किसी भी दुश्मन के छक्के छुड़ा सकता है। इसका छोटा फॉर्मेट डंड है। महज 500 ग्राम का डंड चीनी सैनिकों को सबक सिखाने के लिए काफी है। इसे अभी प्रयोग में नहीं लाया जा रहा है। जल्द ही इसकी डिलीवरी बॉर्डर पर की जाएगी।
फुल बॉडी को कवर करता है सैपर शील्ड
मोहित ने बताया कि सैपर शील्ड अपने आप में टेक्नोलॉजी का नमूना है। इसमें वोल्टेज के साथ एलईडी फोकस लाइट लगी है। ये शील्ड फुल बॉडी को कवर करती है। लाइट फोकस और कंरट फ्लो फीचर इसे और घातक बनाती है। इसका यूज बॉर्डर पर किया जा रहा है। इसके साथ लेवल-3ए स्टेब वेस्ट एक बुलेट प्रूफ जैकेट भी है। लाइट वेट करीब दो किलो की ये जैकेट जल्द ही बार्डर पर सैनिक इस्तेमाल करेंगे।
क्यों पड़ी इन हथियारों की जरूरत?
मोहित ने बताया कि 2019 में गलवान में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने निहत्थे भारतीय सैनिकों पर हमला बोल दिया था। पीएलए ने युद्ध की सभी संधियों और नियम-कानून ताक पर रखते हुए लोहे के रॉड, कंटीले तार का इस्तेमाल भारतीय जवानों पर किया।
गलवान की घटना से सबक लेते हुए भारतीय सेना ने परंपरागत हथियारों से लैस होने की ठानी। यानी ऐसे मोर्चों पर जहां गोली चलाने की इजाजत न हो और यदि दुश्मन सैनिकों से सामना हो जाए तो उन्हें जवाब दिया जा सके।
इस टारगेट को देखते हुए ही परंपरागत हथियारों को विकसित किया गया। इसके बाद उन्हें भारतीय सैनिकों को बार्डर पर सप्लाई दी गई। उन्होंने बताया कि अब इन हथियारों में और ज्यादा टेक्नोलॉजी का यूज किया गया है।