लोकसभा चुनाव नतीजों में उत्तर प्रदेश में मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) पूरी तरह डूब गई है। इस चुनाव में आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के चंद्रशेखर राज्य में एक नया दलित नेता उभर कर सामने आए हैं। उन्होंने किसी राजनीतिक पार्टी या नेता के समर्थन के बिना नगीना सीट पर जीत दर्ज कर ली है। जबकि बीएसपी प्रदेश में एक भी सीट जीतने में विफल रही है।
चंद्रशेखर ने नगीना (आरक्षित) सीट पर डेढ़ लाख से ज़्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है। यह जीत दलित वोटों में स्पष्ट बदलाव का संकेत है। जबकि इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार सुरेंद्र पाल सिंह को केवल 13272 वोट मिले। चंद्रशेखर ने अकेले ही ये लड़ाई लड़ी। उन्हें अपनी जीत का पूरा भरोसा भी था।
चंद्रशेखर ने दो दिन पहले कहा था, “सभी पार्टियां मेरे खिलाफ खड़ी हैं। लेकिन जनता मेरे साथ है। मुझे उनके समर्थन का पूरा भरोसा है।” चंद्रशेखर ने कहा था, “मुझे किसी स्टार प्रचारक की ज़रूरत नहीं है। मेरे स्टार (सितारे) ही मेरे वोटर हैं। वे जानते हैं कि मैं हमेशा उनके लिए मौजूद रहूंगा। यही बात अंत में मायने रखती है।” भीम आर्मी के एक समर्थक ने बताया, “चंद्रशेखर ने हमेशा हर उस दलित घर का दौरा किया, जहां किसी सदस्य को निशाना बनाया गया था। चाहे वह हाथरस हो, कानपुर देहात हो, लखीमपुर हो या कोई अन्य जगह हो।”
उन्होंने आगे कहा कि उनकी टीम पश्चिमी यूपी के विभिन्न शहरों में दलित बच्चों के लिए स्कूल चलाती है। वह पीड़ित परिवारों को कानूनी मदद भी देते हैं। पूर्व सीएम मायावती ने कभी भी पीड़ित परिवारों तक पहुंचने की जहमत नहीं उठाई। हमारे समुदाय के लोग, खासकर युवा, धीरे-धीरे भीम आर्मी की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिसे आज़ाद समाज पार्टी के नाम से भी जाना जाता है। नगीना में अपने नेता चंद्रशेखर की जीत से खुश भीम आर्मी अब पूरे राज्य में अपना संगठन बनाने की योजना बना रही है।