नई दिल्ली। यह महीना बदलते ही देश के मौसम का रुख भी पलटने वाला है। मामूली सिहरन कड़ाके की ठंड में बदल जाएगी। मौसम विभाग के मुताबिक, अगले एक हफ्ते में देश में दो वेस्टर्न डिस्टरबेंस के चलते 6 नवंबर से मध्य भारत तक दिन में ठिठुरन महसूस होगी। यही नहीं, अगले चार महीने पहाड़ी राज्यों से मध्य भारत तक के राज्यों में कड़ाके की सर्दी पड़ सकती है।
इस समय उत्तर, पश्चिम से लेकर मध्य भारत तक ड्राइ नॉर्थ वेस्ट की हवाएं चल रही हैं। उत्तर के पहाड़ों पर बर्फबारी के बाद ये हवाएं बर्फीले इलाकों से गुजरती हुई मध्य भारत तक ठंडक लेकर पहुंचेंगी। 6-7 नवंबर को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान ही नहीं, बल्कि गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा और तेलंगाना तक तापमान तेजी से गिरेगा। दिन से रात के तापमान में 11 से 17 डिग्री से. का अंतर आ जाएगा।
खासकर गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में आसमान साफ रहने से रात से सुबह के समय सर्दी महसूस होगी, लेकिन दोपहर का तापमान अभी 30 से 35 डिग्री के बीच ही रहेगा। मध्य भारत तक के हिस्सों में सुबह और शाम के समय धुंध और कुहासा छा सकता है। बिल्कुल खुले स्थानों पर हल्का कोहरा भी छा सकता है। दूसरी तरफ, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और समूचे उत्तर-पूर्वी राज्यों में मौसम शुष्क बना रहेगा। अगले एक हफ्ते में धीरे-धीरे तापमान गिरेगा।
एक हफ्ते में दो वेस्टर्न डिस्टरबेंस से 15 राज्यों में पड़ेगी सर्दी
सर्दी के मौसम का पहला वेस्टर्न डिस्टरबेंस 31 अक्टूबर को कश्मीर में दस्तक देगा। इससे 1 नवंबर को हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड तक हल्की बारिश और बर्फबारी हो सकती है। दूसरा वेस्टर्न डिस्टरबेंस 3 नवंबर को दस्तक देगा। यह पहले विक्षोभ की तुलना में ज्यादा मजबूत होगा। इसकी वजह से 5 नवंबर तक कश्मीर से हिमाचल और उत्तराखंड तक भारी बर्फबारी हो सकती है। दूसरे विक्षोभ का असर उत्तरी पंजाब, उत्तरी हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी पड़ेगा। यहां भी हल्की बारिश हो सकती है।
ज्यादा सर्दी का कारण ज्यादा बारिश नहीं, ला-नीना से सर्द दिनों की संख्या अधिक रहेगी…
- इस बार अधिक बारिश हुई, सर्दी पर असर: मौसम विभाग के रिकॉर्ड बताते हैं कि मानसून में कम/ज्यादा बारिश का सर्दी से संबंध नहीं होता। जैसे इस बार सामान्य से 6 फीसदी ज्यादा बारिश हुई। मानसून के बाद भी करीब 65% ज्यादा बारिश हुई। फिर विदाई देर से हुई तो सर्दी भी ज्यादा पड़ेगी, ऐसा नहीं कहा जा सकता।
- इस बार ज्यादा सर्दी का कारण: विश्व मौसम संगठन के मुताबिक, वैश्विक मौसमी घटना ला-नीना परिस्थितियां उत्तरी गोलार्ध में 2022-23 की सर्दियों के दौरान जारी रहेंगी। यानी इसके मार्च 2023 तक बने रहने की संभावना है। इसके चलते अगले चार महीने कड़ाके की सर्दी पड़ सकती है।
- पिछली बार के मुकाबले ठंड कैसी रहेगी: इस साल सर्द दिनों की संख्या औसत से अधिक रहेगी। यह लगातार तीसरी सर्दी होगी, जब सर्दी में ला-नीना परिस्थितियां बनी रहेंगी। इसका असर बंगाल की खाड़ी में भी दिखेगा। एक समुद्री तूफान सितरांग गुजर चुका है। अगले दो से तीन महीनों में कई तूफान विकसित हो सकते हैं।
- 2019 था सदी का दूसरा सबसे ठंडा साल: इस वर्ष इंडियन ओशन डायपोल (IOD) परिस्थितियां न्यूट्रल हैं। मौसम विज्ञानी यह भी चेता रहे हैं कि हाल के वर्षों में 2020 से 2022 तक तीन ला-नीना वर्षों के ठीक पहले 2019 सदी का दूसरा सबसे ठंडा वर्ष था, उस वर्ष देश के कई इलाकों में सर्द दिनों की संख्या औसत से दोगुना तक थीं लेकिन उस वर्ष ला-नीना परिस्थितियां नहीं थीं।
आज दक्षिणी प्रायद्वीप में दस्तक देगा उत्तर-पूर्वी मानसून
बंगाल की खाड़ी से उत्तर-पूर्वी हवाओं के साथ दक्षिणी प्रायद्वीप की ओर नमी आनी शुरू हो गई है। दक्षिणी राज्यों में 29 अक्टूबर को उत्तर-पूर्वी मानसून के दस्तक देने की संभावना है। इस मानसून का पूर्वोत्तर राज्यों से भी लेना-देना नहीं है। यह मध्यम दर्जे की बारिश के साथ तमिलनाडु, तटीय आंध्र व केरल में आएगा और दिसंबर तक सक्रिय रहेगा।
तमिलनाडु की करीब 47%, आंध्र व तेलंगाना की 31%, कर्नाटक की 21% और केरल की 17% बारिश उत्तर-पूर्वी मानसून में होती है। एक उल्टी बात यह भी है कि जिस वर्ष ला-नीना का असर रहता है, उस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून में उत्तर और मध्य भारत में ज्यादा बारिश होती है, लेकिन उत्तर-पूर्व मानसून के दौरान दक्षिणी प्रायद्वीप में कम बारिश होती है।