लखनऊ। eकभी यूपी की सत्ता के चाणक्य कहे जाने वाले अमर सिंह का शनिवार को सिंगापुर में निधन हो गया। समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा जाने वाले अमर सिंह एक जमाने में पूरे उत्तर प्रदेश की सत्ता के सबसे बड़े प्रबंधक कहे जाते थे। कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव को सीएम की कुर्सी तक पहुंचाने में उनका बड़ा योगदान था। बाद में सपा में आजम खान का कद बढ़ा तो अमर सिंह की उनसे तल्खी बढ़ गई और हमेशा रही।
उद्योपति थे, लेकिन राजनीति से पहचान मिली
अमर सिंह उद्योगपति थे, लेकिन उनकी असल पहचान राजनीति के किंग मेकर के रूप में होती थी। वे 90 के दशक में समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के संपर्क में आए थे। कहा जाता है कि मुलायम को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने में अमर सिंह का बड़ा योगदान रहा। एक समय सपा में वे नंबर दो पोजिशन पर थे।
सपा से अलग होकर बनाया था राष्ट्रीय लोकमंच
दो दशक तक पूर्वांचल की सियासत में बड़ी भूमिका निभाने वाले अमर को जब 2010 में सपा से निकाल दिया गया तो उन्होंने पूर्वांचल को अलग राज्य घोषित करने की मांग के साथ अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकमंच का गठन किया। लोकमंच ने आजमगढ़ समेत पूर्वांचल के कई जिलों में बड़ी सभाएं भी कीं, लेकिन कोई खास असर नहीं दिखा सकी।
आजम खान से तल्ख रिश्ते थे
अमर सिंह के समाजवादी पार्टी से दूर होने की वजह एसपी के बड़े नेता आजम खान बने। 2010 में आजम के बढ़ते प्रभाव के बीच ही मुलायम सिंह ने अमर सिंह को सपा से बाहर किया था। तब से ही आजम और अमर की तल्खी बढ़ती चली गई। इसके बाद कुछ समय तक अमर राजनीति से दूर रहे। हालांकि, 2016 में जब अमर सिंह को फिर राज्यसभा का सांसद बनाने का मौका आया तो उनके निर्दलीय प्रत्याशी होने के बावजूद एसपी ने उनका समर्थन कर उन्हें राज्यसभा भेजा।
अखिलेश यादव ने बताया था बाहरी व्यक्ति
एक वक्त ऐसा भी आया, जब अमर सिंह पर मुलायम परिवार को तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगा। यह आरोप मुलायम के बेटे अखिलेश यादव ने ही लगाया। अखिलेश ने अमर सिंह को बाहरी व्यक्ति बताकर कई बार उनकी आलोचना की। अमर भी कई मौकों पर अखिलेश पर उनका अपमान करने का आरोप लगाते रहे।