हेरात। अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में रहने वाली शफीकेह अट्टाई। उम्र 40 साल। पढ़ाई- काम चलाऊ… सिर्फ इतना सा रेज्यूमे है उनका, लेकिन फिलहाल में वे एक केसर कंपनी की मालिक हैं और 1000 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। शफीकेह ने 2007 में केसर निर्यात करने वाली कंपनी खोली थी। उनकी कंपनी 60 एकड़ में केसर उगाने से लेकर फसल काटने, उसकी प्रोसेसिंग और पैकेजिंग का काम करती है।
हालांकि, अफगानिस्तान में तालिबानी शासन ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। शफीकेह बताती हैं, ‘तालिबान के डर से मैं भी काम छोड़ सकती थी, लेकिन मैंने नहीं छोड़ा, क्योंकि इस कंपनी को खड़ा करने में मुझे सालों लग गए। इसके लिए मैंने कड़ी मेहनत की है और इस मेहनत को मैं जाया नहीं कर सकती। मेरी कंपनी महिलाओं द्वारा महिलाओं के लिए बनाई गई है।’
उन्होंने कहा कि इसकी मालिक भी महिलाएं हैं और काम करने वाली भी महिलाएं। कोई भी व्यक्ति हमें डराकर काम बंद नहीं करवा सकता। एक महिला जो दिन-रात मेहनत कर अपना काम करती है, कोई उसे नजरअंदाज नहीं कर सकता। हम काम करना नहीं छोड़ेंगे। हम अपनी आवाज उठाएंगे ताकि यह उनके कानों तक पहुंचे।
31 प्रांत में 5000 एकड़ में केसर की खेती होती है; सबसे ज्यादा हेरात में
अफगानिस्तान के 31 प्रातों में करीब 5000 एकड़ में केसर की खेती होती है। देश का सालाना उत्पादन 6 मीट्रिक टन (करीब 6000 किलो) है। अफगानिस्तान में कई किस्मों की केसर उगाई जाती है। यहां की केसर दुनिया में सबसे ज्यादा महंगी भी होती है, जिसकी कीमत 3.75 लाख रुपए प्रति किलो से शुरू होती है।
पहले लोग केसर की खेती से दूर रहते थे और अफीम की खेती को प्राथमिकता देते थे, लेकिन केसर के अच्छे उत्पादन और अच्छी कीमत के चलते लोग इसकी खेती से जुड़ने लगे हैं। करीब 12 साल पहले देश में सिर्फ एक टन केसर होती थी, जो बढ़कर 6000 किलो तक पहुंच गई है। अब हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के बाद केसर का उत्पादन गिर सकता है।