नई दिल्ली। 2019 के आम चुनावों की तैयारी में जुटी कांग्रेस मोदी सरकार को देश के साथ विदेश में भी घेरने का प्लान बना रही हैं। उल्लेखनीय है कि चुनावी बेला में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी देश के युवाओं को प्रभावित करने के लिये संपर्क और संवाद पर खासा जोर दे रहे हैं। राहुल गांधी ने देश अलावा अब विदेशों में भी चुनावी संपर्क अभियान तेज कर दिया है। राहुल जहां 14 अगस्त को हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय में छात्रों से मिलेंगे वहीं 24 अगस्त को ब्रिटेन के प्रतिष्ठित लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में संबोधित करेंगे। हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय में राहुल गांधी के कार्यक्रम को लेकर फिलहाल सियासी रस्साकशी चल रही है। निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष को विश्वविद्यालय आर्ट्स कॉलेज ग्राउंड पर छात्रों को संबोधित करना है।
#न्यूज7एक्सप्रेस सूत्रों से मिल रही खबरों के अनुसार हालांकि संकेत हैं कि सत्तारूढ़ टीआरएस सरकार के इशारे पर स्वायत्तशासी उस्मानिया विश्वविद्यालय का प्रशासन कानून-व्यस्था और पढ़ाई में व्यवधान का हवाला देते हुए कार्यक्रम की इजाजत न दे। हालांकि प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के मुताबिक अभी तक इस कार्यक्रम के आयोजन से इनकार को लेकर विश्वविद्यालय की तरफ कोई सूचना नहीं है। इसलिए राज्य इकाई कार्यक्रम को लेकर पूरी तैयारी कर रही है। युवाओं और पेशेवर लोगों के कांग्रेस से जोड़ने पर खास जोर दे रहे राहुल गांधी प्रतिष्ठित लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी छात्रों से रूबरू होंगे। एलएसई के मुताबिक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी 24 अगस्त 2018 को साउथ एशिया सेंटर की निदेशक और एंथ्रोपोलॉजी विभाग की निदेशक मुकुलिका बैनर्जी के साथ संवाद में मौजूद रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि यह आयोजन एलएसई का एक आंतरिक कार्यक्रम है इसलिए इसे बाहरी लोगों के लिए खोला नहीं गया है। वैसे यह पहला कार्यक्रम नहीं है जब राहुल गांधी किसी विदेशी विश्विद्यालय में संवाद के लिए छात्रों से रूबरू होंगे। इससे पहले राहुल ने 8 मार्च 2018 को नेशनल यूनिर्सिटी ऑफ सिंगापुर में ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में छात्रों और पेशेवरों से सीधा संवाद किया था। हालांकि इस संवाद के दौरान सिंगापुर में कार्यरत एक इकोनॉमिस्ट पीके बसु के साथ उनकी बहस का वीडियो भी वायरल हुआ था। अब देखना होगा कि राहुल मोदी सरकार को घेरने में कितना सफल होते है। उनकी राजनीतिक अपरिवक्तता की वजह से कांग्रेस को कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ चुका है।