देश में लगातार हो रही ड्रग्स की सप्लाई ने देशभर में अपराधों का इजाफा कर दिया है। नशीले पदार्थ अपराधिक गतिविधियों के लिए शासन, प्रशासन तथा पुलिस के लिए एक गंभीर चुनौती बन हुआ है। नशीले पदार्थों की अंतरराष्ट्रीय, अंतरराज्यीय तस्करी देश तथा विश्व के लिए एक बड़ा सिरदर्द बनी हुई है। यह चुनौती इसलिए भी है कि पिछले वर्ष में अपराधियों ने सूखे नशे का सेवन कर अपराध की वारदातें की हैं, नशे की लत में आकर अपराधियों में महानगरों मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई में लगातार बलात्कार, लूट, डकैती और राहगीरों की हत्या को जन्म दिया है। दूसरी तरफ सूखे नशे की लत में स्कूल और कॉलेज के युवा तथा बच्चे अपना भविष्य खराब करने पर आमादा है। गुजरात, मुंबई और अन्य प्रदेशों नारकोटिक्स इकाई ने ताबड़तोड़ छापेमारी कर बड़ी मात्रा में चरस, कोकीन, गांजा, स्मैक की बड़ी तादाद में जप्त कर कई नामचीन अभिनेता, अभिनेत्रियों को गिरफ्तार कर प्रकरण न्यायालय के हवाले किया है। दूसरी तरफ दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता में भी पुलिस प्रशासन द्वारा सीधे कड़ी कार्रवाई की हैं।
वर्तमान में शराब तो सामाजिक बुराई बना ही हुआ है। साथ-साथ सूखा नशा भी समाज के लिए गंभीर चुनौती बना हुआ है, सुखे नशे के मामले में केंद्र के सर्वोच्च नेतृत्व में यानी प्रधानमंत्री ने भी गंभीरता पूर्वक इसे रोकने के लिए चिंता जताई है देश में न सिर्फ ड्रग्स के नशे का इस्तेमाल किया जा रहा है बल्कि बड़े पैमाने पर इसकी तस्करी कर अवैध कारोबार भी किया जा रहा है ड्रग्स का नशा सामाजिक विडंबना बना हुआ है।
तब देश में नए वर्ष के आगमन के पूर्व बड़े-बड़े आलीशान होटलों मैं सूखे नशे की पार्टियां आयोजित करने की तैयारी कर ली है, ऐसे में पुलिस के केंद्र सरकार के तथा राज्य सरकार के आला अधिकारी इसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास की रणनीति बनाने में जुट गए है और शासन तथा पुलिस प्रशासन अपना पूरा ध्यान सूखे नसे को प्रतिबंधित करने में लगे हुए हैं, मूलतः मुंबई गोवा और पाकिस्तानी सरहद से लगे क्षेत्र और राज्य से सूखे नशे पदार्थों की आवक सभी राज्यों में होती है। निसंदेह इसे गंभीर षड्यंत्र के रूप में लिया जाना चाहिए।
मुंबई सूखे नशे का एक बड़ा केंद्र बन चुका है, सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या प्रकरण को लेकर जब पुलिस के आला अधिकारी को नशीले पदार्थों रेकेट हाथ लगा तब राज्य तथा केंद्र के कान खड़े हो गए और तब से पूरे देश में ताबड़तोड़ नशे के विरोध में कार्रवाई की जाने लगी और इसी तारतम्य में देश को यह बात समझ में आई कि सूखे नशे की लत में बड़े शहरों के तमाम पूंजीपति नशे के आदी हो चुके परिस्थितियां बहुत गंभीर एवं चुनौतीपूर्ण है, नए वर्ष के आगमन की सेलिब्रेशन तमाम नशीले पदार्थ की सप्लाई करने वाले तस्कर अपनी तैयारी में जुट गए हैं।
देश के सभी राज्यों में नशीले पदार्थों के विरोध में केंद्र के निर्देशन पर लगातार कार्रवाई की जा रही है और युवा वर्ग बच्चों को सोशल मीडिया के द्वारा भी इसकी बुराई के संबंध में लगातार अवगत कराया जा रहा है एवं इस बुराई से दूर रहने का आह्वान किया गया है, देश के बड़े-बड़े रिसोर्ट, जंगल के पिकनिक स्पॉट, देश की मुख्य सड़कों के आसपास ढाबों के संचालकों पर भी नजर रखने की योजना को मूर्त रूप दिया जाना है ताकि अपराधों में कमी आ सके। शराब से तो अपराध होते ही हैं पर सूखे नशे से अपराधिक ज्यादा उम्र हिंसक और मस्तिष्क शुन्य हो जाते ऐसे में अपराध करने में उन्हें कोई हिचक नहीं होती और इस तरह वे नशे में अपराधिक कृत्य करने से नहीं चूकते।
केंद्र तथा राज्य प्रशासन की चिंता इस बात के लिए तो है ही कि इससे अपराध की संख्या में काफी वृद्धि हुई है पर साथ में इसके तस्करों द्वारा की जा रही ड्रग्स की तस्करी पर एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय सीमा से आने वाला ड्रग्स शारीरिक रूप से भी काफी नुकसानदेह होता है अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकने का एक राष्ट्रीय स्तर पर योजना बनाकर उसे रोकने का प्रयास किया जा रहा है, जितने व्यक्ति नशा करके अपराध करने के लिए दोषी हैं।
उससे ज्यादा दोषी नशीले पदार्थों के तस्करी करने वाले भी है, तस्कर समूह को चिन्हित कर उस पर बड़ी कार्रवाई करने की देश को गंभीर आवश्यकता है, देश में शराब जहां ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ी बुराई है उससे ग्रामीण आमजन को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ शारीरिक नुकसान भी बहुत बड़ा होता है, इसी के साथ शहरी क्षेत्रों में खासकर बड़े शहरों में सूखा नशा एक बडी सामाजिक बीमारी की तरह अत्यंत गंभीर चुनौती बन गई है, इसे रोकने के हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए तभी इस सामाजिक गंभीर समस्या पर कुछ राहत और निदान मिल सकता है।
देश ड्रग के नशे में न बन जाए उड़ता भारत, नशा देश के लिए गंभीर चुनौती
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