देश में वैक्सीन से पहली मौत की पुष्टि: 68 साल के बुजुर्ग को वैक्सीन लगने के बाद हुई एलर्जी

नई दिल्ली। भारत में कोरोना वैक्सीन की वजह से एक 68 साल से बुजुर्ग की मौत की पुष्टि हुई है। सरकार की ओर से गठित पैनल ने इसकी पुष्टि की है। इंडिया टुडे की मुताबिक, 68 साल के बुजुर्ग को 8 मार्च को वैक्सीन की डोज दी गई थी, जिसके बाद उनमें एनाफिलैक्सिस जैसे साइडइफेक्ट दिखे थे। इसके बाद उनकी मौत हो गई थी। ये एक तरह का एलर्जिक रिएक्शन होता है। इससे शरीर में बहुत तेजी से दाने उभर आते हैं।

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31 मौतों की असेसमेंट के बाद पुष्टि
वैक्सीन लगने के बाद कोई गंभीर बीमारी या मौत होने को वैज्ञानिक भाषा में एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन (AEFI) कहा जाता है। AEFI के लिए केंद्र सरकार ने एक कमेटी गठित की है। इस कमेटी ने वैक्सीन लगने के बाद हुई 31 मौतों की असेसमेंट करने के बाद पहली मौत को कन्फर्म किया है।

दो और लोगों में एनाफिलैक्सिस के लक्षण दिखे
रिपोर्ट के मुताबिक, AEFI कमेटी के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा की अध्यक्षता में तैयार की गई रिपोर्ट में बताया गया कि दो और लोगों में वैक्सीन लगने के बाद एनाफिलैक्सिस की समस्या सामने आई। इनकी उम्र 20 साल के आसपास थी। हालांकि, हॉस्पिटल में इलाज के बाद दोनों पूरी तरह रिकवर हो गए थे। इन्हें 16 और 19 जनवरी को वैक्सीन लगाई गई थी। डॉ. अरोड़ा ने मामले में आगे कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है।

3 और मौतों की पुष्टि होनी बाकी
रिपोर्ट के मुताबिक, तीन और मौतों की वजह वैक्सीन को माना गया है, लेकिन अभी पुष्टि होनी बाकी है। सरकारी पैनल की रिपोर्ट कहती है कि वैक्सीन से जुड़े हुए अभी जो भी रिएक्शन सामने आ रहे हैं, उनकी उम्मीद पहले से ही थी। इनके लिए मौजूदा साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर वैक्सीनेशन को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। ये रिएक्शन एलर्जी से संबंधित या एनाफिलैक्सिस जैसे हो सकते हैं।

इन मामलों की जांच की गई
कमेटी ने बताया कि टीकाकरण के बाद सामने आए इन 31 सीरियस मामलों को वैक्सीन के असर के मुताबिक अलग-अलग भागों में बांटा गया है।

  • 18 मामले : संयोग से सामने आने वाले मामले जो टीकाकरण से जुड़े नहीं हैं। यानी टीकाकरण के बाद रिपोर्ट किए जाने वाले मामले जिनके लिए टीकाकरण के अलावा भी एक स्पष्ट कारण पाया जाता है।
  • 7 मामले : अनिश्चित यानी जिनके लिए कोई निश्चित सबूत या क्लीनिकल ट्रायल डेटा नहीं है। आगे और एनालिसिस या स्टडी की जरूरत है।
  • 3 मामले : वैक्सीन प्रोडक्ट से संबंधित रिएक्शंस या एनाफिलैक्सिस।
  • 2 मामले : अवर्गीकृत यानी जिनकी जांच की गई है, लेकिन महत्वपूर्ण जानकारी गायब होने के कारण पर्याप्त सबूत नहीं मिले। मामले पर फिर से विचार किया जा सकता है।
  • 1 मामला : वैक्सीन को लेकर चिंता से जुड़े मामले या बेहोशी यानी वैक्सीन को लेकर की गई बेहद चिंता के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया।

क्या है एनाफिलैक्सिस एलर्जी?
एनाफिलैक्सिस एक घातक एलर्जी होती है, जिसका तुरंत इलाज किया जाना बेहद जरूरी होता है। यह बहुत तेजी से फैलती है। एनाफिलैक्सिस में पूरा शरीर बुरी तरह प्रभावित होता है।

एनाफिलैक्सिस के लक्षण

  • स्किन पर रैशेज हो जाते हैं, खुजली होने लगती है और सूजन भी आ जाती है
  • खांसी के अलावा सांस लेने में भी दिक्कत होती है
  • पेट में अजीब-सी ऐंठन और उल्टी आने लगती है
  • चक्कर और सिरदर्द की समस्या भी हो सकती है
  • सांस लेने में घरघराहट की आवाज आती है।
  • डायरिया हो जाता है और जीभ पर भी सूजन आ जाती है
  • शरीर पीला पड़ जाता है और पल्स रेट भी घट जाती है
  • खाने-पीने में परेशानी होने लगती है और गला भी टाइट-सा हो जाता है

एनाफिलैक्सिस का इलाज
एनाफिलैक्सिस अक्सर एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों के संपर्क में आने के बाद तुरंत ही अपना रूप दिखा देता है। हालांकि, कभी-कभी इसे सामने आने में कुछ घंटे भी लग जाते हैं। इसके ट्रीटमेंट में एपीनफिरीन का शॉट एकदम कारगर है और इसे तुरंत ही मरीज को दिया जाना चाहिए। यह एक अड्रेनलिन ऑटो-इंजेक्टर होता है, जो ब्लड वेसल्स को सिकोड़ देता है। इससे स्मूद मसल्स को रिलैक्स करने में भी मदद मिलती है और सांस लेने में हो रही कठिनाई भी दूर हो जाती है।

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