दो सनसनीखेज कत्लेआम से दहल उठी राजधानी

-न्यूज 7 एक्सप्रेस ब्यूरो

ठाकुरगंज और चौक इलाके में रविवार को एक किशोर व एक किशोरी की हत्या

लखनऊ। राजधानी के ठाकुरगंज और चौक इलाके में रविवार को एक किशोर व एक किशोरी की हत्या कर दी गयी और उनके शवों को बंधे के पास व दूसरे शव को पार्क में फेंक दिया गया। डबल हत्या को लेकर क्षेत्र में सनसनी फैल गयी। सूचना पाते ही मौके पर पुलिस व अपर पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंच गये और हालत का जायजा लिया। शवों को कब्जे में लेकर उन्हें पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया गया। पुलिस ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपेार्ट आने के बाद मौत के कारणों की पुष्टि हो जायेगी।
रविवार सुबह चौक इलाके में १३ वर्षीय एक किशोर की गला दबा कर हत्या कर दी गयी और उसके शव को बड़ी कालीजी में जगन्नाथ पार्क में फेंक दिया गया। पुलिस ने बताया कि किशोर के गले पर कसाव का निशान था इसके अतिरिक्त शरीर पर कई स्थानों पर चोट के निशान थे। इस बाबत किशोर के घर वालों ने एक युवक पर हत्या किये जाने की आशंका जतायी है। पुलिस ने संदिग्ध युवक अरेस्ट किया है और उसे से पूछताछ कर रही है।

बताया जाता है कि काकोरी इलाके में टिकैतगंज निवासी सुरेश कुमार का १३ वर्षीय बेटा अमित आकाश के घर विगत पांच वर्षों से काम करता था। आज रविवार को अमित की लाश बड़ी काली जी मंदिर के पास जगन्नाथ पार्क में पड़ी मिली। इसबात की जानकारी पुलिस को स्थानीय लोगों ने दिया। सूचना पाते ही मौके पर पुलिस पहुंची और अमित के शव को कबजे में लिया। शव पर चोट के निशान थे और गले पर कसाव के निशान दिखायी दे रहे थे। ऐसा प्रतीत होता हेै कि बदमाशों ने पहले किशोर की जमकर पिटायी की हो उसके बाद उसकी हत्या गला दबाकर कर दी हो। वहीं मृतक के पिता काकोरी निवासी सुरेश ने मकान मालिक आकाश पर हत्या किये जाने की आशंका जतायी है।

वहीं ठाकुरगंज इलाके में एक किशोरी की हत्या कर दी गयी।कयास लगाया जा रहा है कि किशोरी की हत्या दरिंदगी करने के बाद की गयी हो। उक्त हृदय बिदारक घटना को देखते हुए राजधानी की हाईटेक पुलिस ने संवेदनहीनता पर गौर करना जरुरी है कि जिस बेटी के साथ दरिंदगी हुई हो और उसके परिजन जब थाने मदद के लिये जाते हैं तो ठाकुरगंज पुलिस उन्हें टरकाती रहती है यही नहीं परिजनों से खर्च के लिये भी सवाल करती हैै ऐसी पुलिस से भला कैसे मदद् की उ मीद की जा सकती है। पुलिस के इन्हीं दांव पेच के बाद लापत़ा किशोरी का शव घर से थोड़ी ही दूरी पर मिला। मृतका के मुंह व नाक में कपड़ा ठूसा हुआ था। सुबह बच्चे जब क्रिकेट खेलने गये तो वहंा किशोरी का शव मिला। इस बात की जानकारी मोहल्लेंमेंआकर लोगो ंको दिया। सूचना पुलिस को दी गयी सूचना पाकर मौके पर पुलिस पहुंची ओर शव को अपने कब्जे में लेकर उसे पेास्टमार्टम के लिये भेज दिया है। पुलिस ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मौत के कारणों की पुष्टि हो जायेगी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार ठाकुरगंज स्थित मोहनी पुरवा निवासी परिवार के साथ रहते हैं। गत शनिवार को रात आठ बजे तेरह वर्षीय किशोरी संदिग्ध परिस्थितियोंं में कहीं लापता हो गयी। देर रात तक जब किशोरी घर वापस नहीं आयी तो घरवालों ने किशोरी को तलाशना प्रारम्भ किया लेकिन किशोरी का कोई सुराग नहीं लग पाया। थक हार कर परिजन ने रात किसी तरह गुजारा। भोर होने पर परिजनों की चिंता बढ़ गयी। इसके बाद आखिरकार पुलिस की मदद के लिये परिजन निकले और थाने गये तो वहां मौजूद पुलिस कर्मियों ने उन्हें टरका दिया। इसके बाद परिजन पुन: थाने गये तो पुलिस ने परिजनों से खर्च मांगा औरयह कह कर कि मामला देखा जायेगा। परिजनों ने बताया कि वह गुमशुदगी दर्ज कराने गये थे लेकिन पुलिस वालों ने उन्हें गुमशुदगी दज्र करने के बजाये उन्हें फटकार कर थाने से भगा दिया। अगर पुलिस मौके की नजाकत को ध्यान देकर काम करती तो शायद किशोरी के साथ अनहोनी नहीं होती।

पुलिस से मदद् की आस भला कैसे करें?
परिजनों की बाइक थाने में खड़ी कराली, मांगा खर्च

जिस प्रकार शनिवार रात आठ बजे से लापता किशोरी का शव रविवार को उस समय मिला जब बच्चे क्रिकेट खेलने के लिये सुबह मैदान गये थे। यह कुदरत की मेहरबानी ही कहिये कि आज इतवार का दिन था बच्चे छुट्टी के दिन अकसर क्रिकेट खेलने जाते हैं। परिजनों का शव देख कर बुरा हाल था घर में कोहराम मचा था। यहां पर पुलिस की उदासीनता देखने को उस समय मिला जब परिजन थाने बच्ची की गुमशुदगी दर्ज कराने आये थे। सूत्रो ने बताया कि जिस आस के साथ परिजन थाने पहुंचे थे उन्हें पुलिस के रवैये से बहुत तकलीफ हुई परिजनों ने जब मदद की गुहार लगायी तो वहां मौजूद पुलिसर्मियों ने परिजनों से पैसे का सवाल किया यही नहीं कहा बल्कि खर्चा दो तब काम होगा। यह सुनकर परिजनों के मानो पैरों तले जमीन खिसक गयी हो। इतना ही नहीं सूत्रों ने यह भी बताया कि मदद मांगने गये परिजनों की मोटरसाइकिल भी थाने के अंदर खड़ी करवा ली और पैसे की मांग की। वह कहिये कि वहां पर एक वकील बैठे जिनकी मदद से मोटरसाइकिल परिजनों को मिली। अब सवाल यह पैदा होता है किे ऐसी हालत में पुलिस का इस प्रकार का रवैया गैर मुनासिब हैे पुलिस से मदद की आस टूट जाती है।

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