कानपुर देहात। उत्तर प्रदेश के कानपुर में संजीत अपहरण और हत्याकांड को लेकर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे थे, विपक्ष भी सरकार पर निशाना साध रहा था। यह सब कुछ अभी शांत नहीं हुआ था कि कानपुर देहात में बृजेश अपहरण और हत्याकांड ने उत्तर प्रदेश पुलिस की एक बार फिर जमकर किरकिरी करा दी। एक तरफ विपक्ष सरकार और पुलिस पर निशाना साध रहा है। पीड़ित परिवार पुलिस को दोषी बता रहा है।
कानपुर देहात के थाना भोगनीपुर के अंतर्गत 13 दिन से लापता धर्मकांटा के मैनेजर बृजेश का शव कुएं से पुलिस को बरामद हो गया। लेकिन उसके मौसेरे भाई अखिलेश ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि 17 जुलाई को मेरे भाई का अपहरण हो गया और हम सब पुलिस से उसे ढूंढने की गुहार लगा रहे थे। लेकिन पुलिस उसे ढूंढने की बजाय परिवार वालों पर ही लड़के को गायब करने का आरोप लगा रही थी।
मुझे ही पीटते रहे पुलिसवाले
अखिलेश का कहना है कि अमरोधा के चौकी इंचार्ज राकेश सिंह पूछताछ के नाम पर मुझे घर से ले गए और मैं हाथ जोड़कर कहता रहा कि मेरा कोई दोष नहीं है। मेरे भाई को ढूंढो, लेकिन उन लोगों ने एक भी ना सुनी और मुझे ही पीटते रहे और कहते रहे तुम ने ही अपने भाई को लड़की के चक्कर में गायब करवाया है। मैं कहता रहा कि मेरे परिवार का कोई हाथ नहीं है लेकिन पुलिस ने एक भी नहीं सुनी और सिर्फ परिवार वालों से ही पूछताछ करते रहे।
चौकी इंचार्ज आरोपियों से मिला हुआ है
अखिलेश ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में चौकी इंचार्ज आरोपियों से मिला हुआ है। उसने एक बार भी फिरौती की कॉल आने के बाद या पता नहीं लगाया- यह कॉल किसने की है और ना ही उसने अन्य किसी से पूछताछ की। सिर्फ घर वालों पर ही शक करते रहे। जिसका नतीजा है कि आज मेरा भाई जिंदा नहीं है। अखिलेश ने कहा कि उसके भाई के हत्यारों को मौत की सजा दी जाए और जिन्होंने लापरवाही बरती है उन पर कार्रवाई की जाए।
ऐसा पीटा कि टूट गई उंगली
बृजेश का शव मिलने के बाद से परिजन आक्रोश में हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि पुलिस ने मौसी के लड़के अखिलेश को जमकर पीटा तो वहीं फुफेरे भाई मुकेश के साथ पूछताछ में इतनी बेरहमी की। उसके हाथ की उंगलियां टूट गई और वह चीख-चीख कर खुद को बेकसूर बताता रहा लेकिन पुलिस ने एक न सुनी और जांच सिर्फ और सिर्फ परिवार वालों के आसपास भी घूमती रही।
परिवार वालों ने बताया कि हम सबका दोष सिर्फ इतना था कि हम बार-बार थाने जाकर बृजेश के मिलने की जानकारी कर रहे थे। पुलिस से गुहार लगा रहे थे कि बृजेश को बचा लो लेकिन पुलिस सिर्फ और सिर्फ जांच की सुई परिवार वालों पर ही घुमा रही थी। आसपास के लोगों से पूछताछ भी नहीं कर रही थी। जिसका नतीजा है कि बृजेश को अपहरणकर्ताओं ने मौत के घाट उतार दिया पर पुलिस कुछ नहीं कर पाई।
क्या बोले सीओ भोगनीपुर
पीड़ित परिजनों के आरोपों को लेकर सीओ आशापाल सिंह ने कहा कि पूछताछ के लिए दोनों को कोतवाली लाया गया था, लेकिन किसी के साथ कोई मारपीट नहीं की गई है। उन्हें चोट कैसे लगी हमें पता नहीं है। इसकी जांच कराई जा रही है जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।
एसपी ने बताई पूरी घटना
एसपी ने बताया कि कानपुर देहात के थाना भोगनीपुर के अंतर्गत राजेश कुमार निवासी चौरा ने 16 जुलाई को अपने भाई ब्रजेश कुमार के अपहरण की सूचना दी थी। बताया था कि उसका भाई बृजेश नेशनल धर्मकांटा पर काम करता था वह धर्मकांटा में बने कमरे के अंदर सो रहा था। सुबह अन्य लोगों ने देखा तो वहां पर बृजेश मौजूद नहीं था और कमरे में ताला लगा था। सभी ने बृजेश की काफी खोजबीन की पर उसका कहीं पता नहीं चला। इसी दौरान एक अज्ञात व्यक्ति ने फोन के माध्यम से 20 लाख की फिरौती की मांग की।
इसको लेकर तत्काल भोगनीपुर पुलिस ने केस दर्ज करके बृजेश की तलाश शुरू कर दी। कई टीम लगाकर लगातार दबिश दी जा रही थी। इसी दौरान जानकारी मिली कि सुबोध सचान बृजेश को कोल्ड ड्रिंक पिलाने के बहाने लेकर गया था। पुलिस ने सुबोध सचान से पूछताछ की तो उसने घटनाक्रम को लेकर बताया कि मेरे ऊपर बेहद कर्जा था, जिसको लेकर उसने पहले बृजेश की हत्या कर दी और फिर शव को छुपा दिया था। उसके बाद वादी से फिरौती की मांग की थी। एसपी ने बताया कि अपहरणकर्ता के द्वारा बताए गए स्थान पर बृजेश का शव भी बरामद हो गया।