नई ऊंचाइयां छू रही मोदी सरकार, संबित पात्रा ने किया ट्वीट, तो लोगों ने किये ऐसे कमेन्ट्स

नई दिल्ली। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने मोदी सरकार की योजना की तारीफ करते हुए ट्वीट किया तो कुछ ट्विटर यूजर्स ने जवाब में उनको ट्रोल करना शुरू कर दिया। दरअसल, पात्रा ने ट्वीट किया था, ‘नई ऊंचाइयां छू रही मोदी सरकार की स्टार्टअप इंडिया योजना। DPIIT द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या 50,000 तक पहुंची, जिनमे से 10,000 स्टार्टअप्स पिछले 180 दिनों में जोड़े गए। 2020-2021 में मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स द्वारा 1.7 लाख से अधिक रोजगार सृजित किए गए।

’ इसका जवाब देते हुए एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि आप प्रोपगैंडा चलाना बंद करें और आम लोगों की मदद करें जो कि कोरोना महामारी के चलते अपना लोन नहीं चुका पा रहे हैं। जिन्हें इस दौरान अपनी ईएमआई भरने में दिक्कत हो रही है।

मालूम हो कि इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि देश में करोड़ों लोगों के बेरोजगार होने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने पार्टी की ओर से बेरोजगारी के मुद्दे पर चलाए गए सोशल मीडिया अभियान के तहत केंद्र सरकार पर निशाना साधा।

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘अबकी बार, करोड़ों बेरोजगार। कौन ज़िम्मेदार? सिर्फ़ और सिर्फ़ मोदी सरकार!’ कांग्रेस ने सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन एकोनॉमी (सीएमआईई) की ओर से बेरोजगारी को लेकर किए गए ताजा अकालन के आधार पर सोशल मीडिया अभियान चलाया और केंद्र सरकार पर रोजगार बचा पाने में विफल रहने का आरोप लगाया।

गौरतलब है कि सीएमआईई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी महेश व्यास ने कहा था कि इस शोध संस्थान के आकलन के अनुसार, बेरोजगारी दर मई में 12 प्रतिशत रही जो अप्रैल में 8 प्रतिशत थी। इसका मतलब है कि इस दौरान करीब एक करोड़ भारतीयों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण अप्रत्याशित तबाही से अगले साल 20 करोड़ लोगों के बेरोजगार होने की आशंका है और अभी 10.8 करोड़ कामगार ‘गरीब या अत्यंत गरीब’ की श्रेणी में पहुंच गए हैं।

संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) ने बुधवार को ‘विश्व रोजगार और सामाजिक परिदृश्य : रूझान 2021’ रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 महामारी से श्रम बाजार में पैदा संकट खत्म नहीं हुआ है और नुकसान की भरपाई के लिए रोजगार वृद्धि कम से कम 2023 तक नाकाफी होगी।

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