नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को शिक्षक दिवस के मौके पर राष्ट्र निर्माण में परिश्रमी शिक्षकों के योगदान के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि शिक्षक नई शिक्षा नीति का लाभ छात्रों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को पूरे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका जन्म आज ही के दिन 1888 में हुआ था।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘हमारे शिक्षक हमारे हीरो’ हैसटैग के साथ एक ट्वीट कर कहा, हम मन को आकार देने और राष्ट्र के निर्माण में उनके योगदान के लिए मेहनती शिक्षकों के आभारी हैं। शिक्षक दिवस पर, हम अपने शिक्षकों को उनके उल्लेखनीय प्रयासों के लिए आभार व्यक्त करते हैं।
मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हुए कहा कि हम डॉ एस राधाकृष्णन को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
कोरोना काल में शिक्षकों ने बदलाव की चुनौतियों को अवसर में बदला
प्रधानमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में अपने पिछले मन की बात कार्यक्रम का एक अंश भी साझा किया। मोदी ने कोरोना काल में शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराने को लेकर तकनीक के इस्तेमाल के अभ्यस्त नहीं होने का हवाला देते हुए कहा कि इस दौरान शिक्षकों के सामने भी बदलाव की कई चुनौतियां पेश आईं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया, बल्कि उसे अवसर में बदल भी दिया है। पढाई में तकनीक का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कैसे हो, नए तरीकों को कैसे अपनाएं, छात्रों को मदद कैसे करें यह हमारे शिक्षकों ने सहजता से अपनाया है और अपने छात्रों को भी सिखाया है।
नई शिक्षा नीति का लाभ छात्रों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएंगे शिक्षक प्रधानमंत्री ने नई शिक्षा नीति को लागू करने में शिक्षकों के सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षक इसका भी लाभ छात्रों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
आजादी का स्थानीय इतिहास खंगालने के लिए छात्रों को प्रेरित करें
प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षकों से आग्रह किया कि वह 2022 में आजादी के 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में राज्य व क्षेत्र में आजादी का स्थानीय इतिहास खंगालने लिए अपने छात्रों को प्रेरित करें। मोदी ने कहा, स्वतंत्रता के पहले अनेक वर्षों तक हमारे देश में आज़ादी की जंग उसका एक लम्बा इतिहास रहा है। इस दौरान देश का कोई कोना ऐसा नहीं था जहां आजादी के मतवालों ने अपने प्राण न्योछावर न किये हों, अपना सर्वस्व त्याग न दिया हो।यह बहुत आवश्यक है कि हमारी आज की पीढ़ी, हमारे विद्यार्थी, आज़ादी की जंग हमारे देश के नायकों से परिचित रहे, उसे उतना ही महसूस करें।
उन्होंने कहा कि अपने जिले से, अपने क्षेत्र में, आज़ादी के आन्दोलन के समय क्या हुआ, कैसे हुआ, कौन शहीद हुआ, कौन कितने समय तक देश के लिए ज़ेल में रहा। यह बातें हमारे विद्यार्थी जानेंगे तो उनके व्यक्तित्व में भी इसका प्रभाव दिखेगा इसके लिये बहुत से काम किये जा सकते हैं, जिसमें हमारे शिक्षकों का बड़ा दायित्व है।
जैसे, आप जिस जिले में हैं वहां शताब्दियों तक जो आजादी की जंग चली उन में वहां कोई घटनाएं घटी हैं क्या ? इसे लेकर विद्यार्थियों से खोज करवाई जा सकती है। उसे स्कूल के हस्तलिखित अंक के रूप में तैयार किया जा सकता है आप के शहर में स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ा कोई स्थान हो तो छात्र छात्राओं को वहां ले जा सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा किसी स्कूल के विद्यार्थी ठान सकते हैं कि वो आजादी के 75 वर्ष में अपने क्षेत्र के आज़ादी के 75 नायकों पर कवितायें लिखेंगे, नाट्य कथाएं लिखेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से देश के हजारों लाखों गुमनाम हीरो के नाम सामने आएंगे जो देश के लिए जिये, जो देश के लिए खप गए जिनके नाम समय के साथ विस्मृत हो गए। यह उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी। प्रधानमंत्री ने शिक्षकों से इसके लिए माहौल बनाने का आग्रह किया।