गोरखपुर। इंसानियत को जिंदा रखने के लिए जान की बाजी लगा देने वाले बेलघाट के बलजीत मानवता की मिसाल बन गए। उफनाई सरयू नदी में सिक्का ढूंढने के लिए कूदे बच्चे को तो उन्होंने बचा लिया, लेकिन नदी की तेज धार में खुद जिंदगी की जंग हार गए। संतकबीरनगर के चांड़ीपुर घाट पर डूबते बलजीत को मछुआरे जब तक बाहर निकालते, उनकी सांस थम चुकी थी।
आस्था के नाम पर फेंक रहे थे सिक्का
कुआं गांव निवासी इंद्रासन यादव का 20 वर्षीय बेटा बलजीत रविवार की सुबह अपने कुछ साथियों के साथ सरयू नदी की तरफ गया था। चांड़ीपुर घाट पहले से नहा रहे कुछ लोग आस्था के नाम पर नदी में सिक्का फेंक रहे थे। वहां मौजूद नजीब (12) सिक्का ढूंढने के लिए नदी में कूद गया और गोता लगाने लगा। गहराई का अंदाज न होने की वजह से नजीब डूबने लगा तो उसके कुछ साथी बचाने के लिए नदी में कूद गए। नजीब को डूबता देख बलजीत भी नदी में कूद गए। बलजीत ने नजीब को तो किनारे तक पहुंचा दिया, लेकिन खुद नदी की धार में फंसकर डूबने लगे।
बच्चे को डूबता देख नदी में कूदे
उन्हें डूबता देखकर वहां मौजूद मछुआरे भी नदी में उतर गए और करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद बलजीत को बाहर निकाला, लेकिन तब तक उनकी सांसें थम चुकी थीं। मौत की खबर गांव पहुंचते ही वहां कोहराम मच गया। परिवार वालों ने पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया, जिसकी वजह से पुलिस ने शव को कब्जे में नहीं लिया। थानाध्यक्ष बेलघाट बीबी राजभर ने बताया कि घटना की जानकारी नहीं है। तहरीर मिलने पर केस दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।