नई दिल्ली। अमेरिका के साथ अगले सप्ताह होने वाले टू-प्लस-टू वार्ता से पहले भारत ने रूस के साथ आर्थिक संबंधों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि किया है। रूस अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। वहीं, सरकार मौजूदा परिस्थितियों में दोनों देशों के बीच स्थापित संबंधों को स्थिर करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
सरकार ने रूस के साथ व्यापार संबंधों में कटौती के लिए भारत पर किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव से इनकार किया है। उसने कहा कि दोनों देश एक भुगतान तंत्र को अंतिम रूप देने के लिए काम कर रहा है, जो उन्हें व्यापार करने की अनुमति देगा। अमेरिका रूस से भारतीय तेल के आयात में कोई तेजी नहीं चाहता है, लेकिन भारत सरकार ने साफ कह दिया है कि भारत के वैध ऊर्जा लेनदेन का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।
प्रतिबंधों की बात चल रही है लेकिन यह पूरे व्यापार पर नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “बहुत सारा व्यापार एकसाथ चल रहा है, तेल का व्यापार भी। हमारा ध्यान रूस के साथ अपने स्थापित आर्थिक संबंधों को बनाए रखने और स्थिर करने पर है।” उन्होंने कहा कि भारत रूस के साथ अपने संबंधों के बारे में बहुत खुला रहा है। प्रवक्ता अमेरिकी चेतावनी वाले देशों के बयानों से संबंधित सवालों का जवाब दे रहे थे।
सरकार ने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 11 अप्रैल को चौथे भारत-अमेरिका 2+2 संवाद में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। वार्ता के एजेंडे में यूक्रेन की स्थिति के हावी होने की संभावना है। जयशंकर अपने अमेरिकी समकक्ष सचिव ब्लिंकन से अलग से मुलाकात करेंगे।