निकाय चुनाव को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, निर्णय बहाल रखा तो तत्काल चुनाव

लखनऊ। नगरीय निकाय चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी की नजर अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर टिक गई है। चार जनवरी यानी आज सुप्रीम कोर्ट नगरीय निकाय चुनाव आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुनवाई करेगा। सपा को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार है।

यदि हाई कोर्ट के फैसले को सही मानते हुए सुप्रीम कोर्ट प्रदेश सरकार की याचिका खारिज कर देता है तो तत्काल चुनाव हो जाएंगे। ऐसे में पार्टी को भी आनन-फानन में प्रत्याशियों की सूची जारी करनी होगी। किंतु सुप्रीम कोर्ट यदि मोहलत दे देता है तो सपा सबसे पहले संगठन को मजबूत करेगी।

760 नगरीय निकायों में होना है चुनाव

  • प्रदेश के सभी नगरीय निकायों का कार्यकाल जनवरी अंत तक अलग-अलग तिथियों में समाप्त हो रहा है।
  • इस बार 760 नगरीय निकायों में चुनाव होना है। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा जारी अनंतिम आरक्षण की अधिसूचना को हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया था।
  • हाई कोर्ट ने कहा था कि सरकार ने ओबीसी आरक्षण में ट्रिपल टेस्ट फार्मूला नहीं अपनाया इसलिए अधिसूचना निरस्त कर उन सीटों को सामान्य घोषित कर चुनाव कराने के निर्देश दिए थे।
  • हाई कोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बुधवार चार जनवरी को होनी है।

निकाय चुनाव से सपा को बड़ी उम्‍मीदें

सपा को नगरीय निकाय चुनाव से बड़ी उम्मीदें हैं। पार्टी इसके जरिए शहरी मतदाताओं में अपनी पैठ बनाना चाहती है। इसलिए पार्टी इस चुनाव में बड़ी तैयारी के साथ उतरने की तैयारी कर रही है। पार्टी का मानना है कि निकाय चुनाव खत्म होने के बाद वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव आ जाएंगे। ऐसे में निकाय चुनाव का असर लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा।

यदि सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार की याचिका खारिज कर दी तो आनन-फानन में चुनाव हो जाएंगे, ऐसे में सपा भी तत्काल प्रत्याशी घोषित कर चुनाव में जुट जाएगी। प्रत्याशी तय करने के लिए पार्टी ने पहले ही प्रत्येक जिले में सभी प्रमुख नेताओं को शामिल करते हुए चुनाव संचालन समिति गठित की है। किंतु कोर्ट ने यदि प्रदेश सरकार को फिर से आरक्षण तय करने के लिए समय दिया तो कम से कम तीन से चार महीने बाद ही चुनाव हो पाएंगे। यदि निकाय चुनाव टलते हैं तो सपा पहले संगठन को मजबूत करेगी।

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