नई दिल्ली। देश को झझकोर कर रख देने वाले निर्भया कांड के दोषियों के आखिरी रास्ते भी बन्द हो चुके है। उल्लेखनीय है कि आज राष्ट्रपति कोविंद ने दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका खारिज की। उसके पास फांसी की सजा से बचने का यह आखिरी कानूनी विकल्प था। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होने के तुरंत बाद पवन ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी थी। इसी आधार पर ट्रायल कोर्ट ने दोषियों की फांसी तीसरी बार टाल दी थी।
दोषी पवन ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल कर फांसी को उम्रकैद में बदलने की गुहार लगाई थी। इसे खारिज करते हुए जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने कहा था कि सजा पर पुनर्विचार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है।
दोषियों की लगातार टल रही फांसी पर निर्भया की मां ने कहा था- सिस्टम अपराधियों का मददगार
तीसरी बार फांसी पर रोक के बाद निर्भया की मां ने सिस्टम को लेकर निराशा जाहिर की थी। उन्होंने कहा था- सजा पर बार-बार रोक लगना सिस्टम की नाकामी दिखाता है। हमारा पूरा सिस्टम ही अपराधियों का मददगार है।
नाराज कोर्ट ने पवन के तिकड़म कर रहे वकील से कहा था- आप आग से खेल रहे
सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होने के बाद पवन ने दया याचिका दाखिल की थी। इसके बाद दोषियों के वकील ने ट्रायल कोर्ट में दया याचिका लंबित होने के आधार पर फांसी पर रोक लगाने की अपील की। अदालत ने क्यूरेटिव और दया याचिका लगाने में हुई देरी को लेकर पवन के वकील एपी सिंह को फटकार लगाई थी। जज ने कहा- किसी की तरफ से एक भी गलत कदम उठाया, तो नतीजे आपके सामने होंगे। अदालत ने सिंह से कहा- आप आग से खेल रहे हैं। चेत जाइए।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा से 16 दिसंबर, 2012 की रात 6 लोगों ने चलती बस में दरिंदगी की थी। गंभीर जख्मों के कारण 26 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। घटना के 9 महीने बाद यानी सितंबर 2013 में निचली अदालत ने 5 दोषियों… राम सिंह, पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को फांसी की सजा सुनाई थी। मार्च 2014 में हाईकोर्ट और मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी थी। ट्रायल के दौरान मुख्य दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य दोषी नाबालिग होने की वजह से 3 साल में सुधार गृह से छूट चुका है।