पटना: बिहार की राजनीति में एक बात तो है, यहां हिसाब-किताब में उधार की गुंजाइश कम ही होती है। ऊपर से एक कहावत भी है कि ‘बिहार में खाई हुई मार और दिए हुए उधार का हिसाब सूद समेत किया जाता है।’ राजनीति में ये फॉर्म्युला अब एकदम सामने आने के लिए तैयार है। ये भी कह सकते हैं कि फल पक चुका है। बस परोसने की तैयारी है।
किसी के लिए ये फल बहुत मीठा है तो किसी के मुंह का स्वाद फल देख कर ही खराब होने वाला है। हमने आपको पहले भी अपने सूत्रों के जरिए बिहार के सियासी गलियारे की जो खबरें दी हैं वो 100 प्रतिशत सही निकली हैं। अब हमारे विश्वसनीय सूत्र ने जो खबर हमें दी है वो इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है।
जी हां, आपने ऊपर बिल्कुल सही पढ़ा। इसमें अब कोई IF & But नहीं है। मामला पूरा क्लियर है, कोई धुंध नहीं… अब बिहार की राजनीति में फॉग नहीं चलेगा। हमारे सूत्र ने हमें बेहद साफगोई के साथ बताया कि जेडीयू ने बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सीट शेयरिंग का फॉर्म्युला तय कर लिया है।
इस फॉर्म्युले में जेडीयू ने नए समीकरण को सेट किया है। इस समीकरण को देखते ही आपकी समझ में आ जाएगा कि कैसे नीतीश ने कांग्रेस को आईना दिखाने की तैयारी की है। सीट शेयरिंग का ये समीकरण ऐसा है कि एक पल को आप भी चौंक जाएंगे। लेकिन हमारे सूत्र ने बताया है कि बिहार में लोकसभा की चालीस सीटें इंडिया गठबंधन में कैसे-कैसे बंटेंगी, ये जेडीयू ने तय कर लिया है।
कांग्रेस की इतनी सीटों की है डिमांड
कुछ दिन पहले ही बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने ये साफ कर दिया था कि वो (बिहार कांग्रेस) 8-9 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। लेकिन जो हमारे सूत्र ने हमें बताया है, उससे साफ जाहिर है कि ये नया फॉर्म्युला कांग्रेस के लिए झटका साबित हो सकता है। हालांकि अंतिम समय में अगर नीतीश कुमार का मन बदल जाए तो कुछ कहा नहीं जा सकता, क्योंकि वो अनप्रेडिक्टेबल माने जाते हैं। लेकिन फिलहाल जो कुछ दिल्ली में इंडिया की चौथी बैठक में हुआ, उसके बाद ये तय मानिए कि नीतीश कांग्रेस की दिल्ली की बड़ी छतरी का जवाब बिहार की बड़ी छतरी से जरूर देंगे।
ये है लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जेडीयू का सीट शेयरिंग फॉर्म्यूला
हमारे विश्वसनीय सूत्र ने हमें बताया है कि इस फॉर्म्युले में जेडीयू ने राजद को बराबर की जगह दी है। लेकिन उसके बाद बेहद ही कम जगह बचती है। चलिए हम खुलासा कर ही देते हैं। हमारे सूत्र के मुताबिक JDU ने अंदर ही अंदर 18-18-4 का फॉर्म्युला तय कर लिया है। यानी इस समीकरण के हिसाब से JDU ने 18 सीटों पर लोकसभा चुनाव 2024 के लिए लड़ने का मन बनाया है।
18 सीटें उसने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव यानी राष्ट्रीय जनता दल के लिए छोड़ी हैं। बाकी चार सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ी गई हैं। मतलब साफ है कि राजद और जदयू के बाद बिहार की ‘इंडिया’ में सिर्फ लेफ्ट और कांग्रेस ही बचते हैं। यानी एक तरह से कांग्रेस को ये कहने की तैयारी है कि उनके लिए चार सीटें छोड़ी गई हैं, और वो ही तय कर ले कि इन 4 सीटों में से वो खुद कितने पर लड़ेगी और लेफ्ट को कितनी देगी।
अब सवाल- आगे क्या होगा?
कुछ दिनों से बिहार की राजनीति उठापठक और संशय के दौर से गुजर रही है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बिहार के सीएम नीतीश कुमार I.N.D.I.A. में असहज महसूस कर रहे हैं? आखिर क्यों उनके सबसे पुराने विश्वासी ललन सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की कुर्सी नीतीश के लिए खाली कर दी?
क्या वह बीजेपी के साथ दोबारा गठबंधन कर सकते हैं? लेकिन असल बात क्या है। JDU के नेता ने बताया कि जहां चर्चा चल रही है, वहां कोई बात नहीं है और जहां कोई चर्चा नहीं चल रही है, असल बात वहीं है। कुल मिलाकर यूं समझिए कि ‘खेल बहुत बड़ा है और सबको यही लग रहा है कि वही सियासत का भगवान है’। लेकिन ये भी तय है कि ‘जो लिखा है वही होगा।’