न ब्रिटेन का वायरस हमारे यहां आया, न हमारे यहां का वायरस बदला : AIDS

नई दिल्ली। नेशनल AIDS रिसर्च इंस्टीट्यूट (NARI) का कहना है कि ब्रिटेन में पाया गया नया कोरोना वायरस हमारे यहां हुई जांचों में नहीं पाया गया है। NARI इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की ब्रांच है।

NARI के डायरेक्टर डॉ. समिरन पांडा ने न्यूज एजेंसी से कहा कि हमने देश के अलग-अलग हिस्सों से इकट्‌ठा किए गए सैम्पल्स की जांच की है। इनमें कोरोना का ब्रिटेन वाला नया स्ट्रेन नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि इस वायरस का फैलाव और गंभीरता किस तरह की इसे अभी समझने की जरूरत है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि यह वायरस लोगों की सेहत के लिए बहुत खतरनाक होगा।

हमारे यहां के वायरस में भी बदलाव नहीं हुआ
डॉ. पांडा ने कहा कि हम देश में फैल रहे वायरल जीनोम पर 6-7 महीने से नजर रखे हैं। इसके लिए 2000 से ज्यादा सैम्पल जांचे गए हैं, लेकिन इसमें बदलाव नजर नहीं आया है। भारत ऐसा देश नहीं है जहां सभी राज्य में वायरस का व्यवहार एक जैसा हो। यहां कई राज्यों में यह तेजी से फैला है।

सख्ती तो करनी होगी
उन्होंने कहा कि नया वायरस आए या न आए, लेकिन वायरस की चेन तोड़ने की व्यवहारिक बंदिशों को सख्त करना चाहिए। करीब 11 तरह के मिलते-जुलते वायरस पहले से पहचाने गए हैं, लेकिन इन सब से घबराने की जरूरत नहीं है। यह समय नजर रखने का है, घबराने का नहीं।

यह सोचना गलत है कि वैक्सीन नाकाम होने जा रही है
डॉ. पांडा ने कहा कि वैक्सीन वायरस के अलग-अलग कंपोनेंट्स के खिलाफ हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। अभी से यह सोचना ठीक नहीं है कि बनाई गई वैक्सीन नाकाम होने जा रही है। इसके पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण भी नहीं हैं।

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