पंजाब में आप की सूनामी; कैप्टन अमरिंदर 13 हजार और सुखबीर बादल 12 हजार वोटों से हारे

जालंधर/अमृतसर/लुधियाना। दिल्ली की सरहद के बाहर आम आदमी पार्टी ने पंजाब में भी अपना परचम लहरा दिया है। आप पंजाब में न सिर्फ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, बल्कि बहुमत के आंकड़े से भी बहुत आगे निकलती नजर आ रही है। अब भगवंत मान का CM बनना लगभग तय हो गया है। इधर, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह 13 हजार तो सुखबीर सिंह बादल 12 हजार वोट से चुनाव हार गए हैं।

मौजूदा CM चन्नी और कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू भी कोई कमाल नहीं दिखा पाए हैं। दिलचस्प बात यह है कि दूसरे नंबर के लिए कांग्रेस और अकाली दल में टक्कर है, लेकिन दोनों पार्टियां मिलकर भी आप के चौथाई हिस्से तक भी पहुंचती नजर नहीं आ रही हैं। वहीं, भाजपा दहाई का अंक छूने के लिए भी तरस गई है। ताजा रुझान यहां देखें…

कुल सीटें कांग्रेस AAP अकाली+ भाजपा+ अन्य
117 18 89 6 3 1

काउंटिंग अपडेट्स..

  • पंजाब में पहली जीत। कपूरथला सीट से कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस कैंडिडेट राणा गुरजीत सिंह जीते।
  • CM चरणजीत सिंह चन्नी भदौड़ और चमकौर साहिब सीट से पीछे चल रहे हैं। उनके सभी मंत्री भी पिछड़ते नजर आ रहे हैं।
  • अमृतसर ईस्ट सीट से पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू पिछड़कर तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं।
  • पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी चमकौर साहिब में गुरुद्वारा श्री कतलगढ़ साहिब में माथा टेकने पहुंचे।
  • आप के CM कैंडिडेट भगवंत मान ने संगरूर के गुरुद्वारा साहिब में माथा टेका। उनके घर सुबह से जलेबियां बननी शुरू हो गईं और घर को सजाया भी गया है।
  • प्रशासन की पूरी तैयारी न होने के कारण नवांशहर जिले के बलाचौर में वोटों की गिनती पूरे 21 मिनट की देरी से 8:21 बजे शुरू हुई।

केजरीवाल ने आप की जीत पर बधाई दी
आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के CM कैंडिडेट भगवंत मान के साथ फोटो ट्वीट की। इसमें उन्होंने AAP की जीत को इंकलाबी बताया है।

नेताओं के घरों पर भी हार-जीत का असर
चुनावी हार-जीत का अंदाजा नेताओं के घरों को देखकर भी लगाया जा सकता है। पंजाब जीतने वाले भगवंत मान के घर को फूलों से सजाया गया है। उनके घर सुबह से जलेबियां भी बन रही थीं। दूसरी तरफ मौजूदा CM चरणजीत चन्नी और अकाली लीडर सुखबीर सिंह बादल के घर सन्नाटा पसरा है। तस्वीरों में देखकर आप खुद समझ सकते हैं कि नेताजी के घर पर जीत की रौनक और हार की मायूसी कैसे रिफ्लेक्ट होती है।

एग्जिट पोल में भी आप को सबसे बड़ी पार्टी बताया था
एग्जिट पोल्स में आम आदमी पार्टी के सबसे बड़ी पार्टी बनने का अनुमान लगाया गया था। इसके मुताबिक अकाली दल-BSP गठबंधन दूसरे नंबर पर रह सकता है। तीसरे पर कांग्रेस तो वहीं भाजपा का दहाई के आंकड़े तक पहुंचना भी मुश्किल लग रहा है। अभी तक के रुझानों से यह झलक भी रहा है।

पंजाब की राजनीति से जुड़ी 6 दिलचस्प बातें

1. पंजाब ज्यादातर समय कांग्रेस का गढ़ रहा
2017 के विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस पार्टी का वोट शेयर 66% था। ये कांग्रेस का दूसरा बड़ा वोट शेयर था। 1992 के चुनावों में कांग्रेस का वोट शेयर 74% था। राज्य के 22 मुख्यमंत्रियों में से 14 मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी के रहे हैं।

2. दलित वोट की अहम भूमिका
भारत की अनुसूचित जाति (SC) की आबादी का पंजाब में अनुपात (31.9%) सबसे ज्यादा है। हालांकि, जाट सिख (जनसंख्या का 20%) यहां की राजनीति पर हावी है। चरणजीत सिंह चन्नी राज्य के पहले दलित मुख्यमंत्री हैं। ज्ञानी जैल सिंह पंजाब के अंतिम गैर-जाट सिख मुख्यमंत्री (1972-77) थे।

3. मालवा जीतने वाला आम तौर पर पंजाब जीतता है
सतलुज नदी के साउथ बेल्ट से पंजाब विधानसभा में 69 सदस्य जाते हैं। आम तौर पर, जो भी इस क्षेत्र में जीतता है उसके पास सरकार बनाने का अच्छा मौका होता है। हालांकि, 2007 में उपवाद भी दिखा था। यहां कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, लेकिन शिअद-भाजपा गठबंधन सत्ता में आया था।

4. भाजपा से पहले अकालियों ने कांग्रेस को धोखा दिया था
स्वतंत्र भारत में पंजाब राज्य में बनी पहली सरकार में, मुख्यमंत्री गोपी चंद भार्गव के नेतृत्व में कांग्रेस और अकालियों के बीच गठबंधन हुआ था। लेकिन, यह लंबे समय तक नहीं चला। सिखों की सुरक्षा की मांग से इनकार के बाद अप्रैल 1949 में सरकार गिर गई थी। इसके चलते राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। उस समय कैप्टन अमरिंदर सिंह शिअद से कांग्रेस में चले गए थे।

5. पंजाब ने भारत को एक PM और राष्ट्रपति दिया, पाक में भी ऐसा ही
पंजाब ने भारत को एक राष्ट्रपति दिया है – ज्ञानी जैल सिंह। जैल सिंह 1982 से 1987 तक राष्ट्रपति रहें। वह भारत के पहले और एकमात्र सिख राष्ट्रपति हैं। पंजाब ने भारत को एक प्रधान मंत्री भी दिया है – डॉ मनमोहन सिंह जो दो कार्यकाल, 2004-14 के लिए इस पद पर थे।

मुहम्मद जिया-उल-हक 1978 से 1988 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहें। जिया-उल-हक अविभाजित भारत में 1924 में पंजाब राज्य के जालंधर में पैदा हुए थे। पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री, इमरान खान के परिवार के मातृ पक्ष जालंधर से हैं। वे विभाजन के दौरान लाहौर चले गए थे।

6. 1966 के बाद कोई भी गैर-सिख मुख्यमंत्री नहीं बना
1966 में संसद ने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम पारित किया था। इसके बाद, मॉडर्न स्टेट ऑफ पंजाब और नए राज्य हरियाणा के निर्माण का रास्ता खुला। तब से लेकर अब तक यहां हर मुख्यमंत्री सिख रहा है।

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