पवार ने अडाणी केस में विपक्ष की JPC की मांग को बताया बेकार

नई दिल्ली। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने अडाणी-हिंडनबर्ग केस में विपक्ष की JPC (जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) की मांग को बेकार बताया है। NDTV को दिए इंटरव्यू में पवार ने कहा- JPC में सत्तारूढ़ पार्टी का बहुमत होता है। उससे सच्चाई सामने नहीं आ पाती है। इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ही सही विकल्प है।

उधर, कांग्रेस ने शरद पवार के बयान से खुद को अलग कर लिया। कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा, “ये उनके अपने विचार हो सकते हैं, लेकिन 19 पार्टियां इस पर एकमत हैं कि PM मोदी से जुड़े अडाणी ग्रुप का मुद्दा बहुत गंभीर है।”

जयराम बोले- हम BJP को हराने एकजुट हैं

यह तस्वीर 27 मार्च की है, जब JPC की मांग और संसद में रणनीति को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर विपक्षी दलों की बैठक हुई थी।
यह तस्वीर 27 मार्च की है, जब JPC की मांग और संसद में रणनीति को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर विपक्षी दलों की बैठक हुई थी।

जयराम रमेश ने कहा- सभी 19 विपक्षी दल एकजुट हैं। कांग्रेस इनमें सबसे बड़ी पार्टी है। और हम संविधान और लोकतंत्र को भाजपा के हमलों से बचाने के लिए एक साथ खड़े रहेंगे। हम भारतीय जनता पार्टी के विभाजनकारी, विनाशकारी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक एजेंडे को हराने में एक साथ होंगे।

शरद की 7 बड़ी बातें, कहा- पहले भी सरकार के खिलाफ बोलना होता था, तो टाटा-बिड़ला के खिलाफ बोलते थे

  • किसी ने बयान दिया और देश में हंगामा मच गया। ऐसे बयान पहले भी दिए गए, जिससे बवाल मचा, लेकिन इस मुद्दे को जो महत्व दिया गया, वह जरूरत से ज्यादा था। यह सोचने की जरूरत थी कि मुद्दा किसने उठाया।
  • हमने बयान देने वाले का नाम नहीं सुना। बैकग्राउंड नहीं देखा, क्या है? ऐसे मुद्दे जब उठते हैं तो देश में हंगामा खड़ा करते हैं, इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। अर्थव्यवस्था पर कैसा असर पड़ता है। हम ऐसी चीजों को नजरअंदाज नहीं कर सकते, और ऐसा लगता है ये टारगेटेड था।
  • JPC में सत्ता पक्ष के सदस्य बहुमत में होंगे। सच्चाई कैसे सामने आएगी। अगर सुप्रीम कोर्ट मामले की जांच करता है, तो सच सामने आने की ज्यादा संभावना है। और एक बार जब सुप्रीम कोर्ट ने जांच समिति की घोषणा की, तो JPC की कोई जरूरत नहीं थी।
  • इस देश में कई साल से ऐसा होता आ रहा है। अगर हमें सरकार के खिलाफ बोलना होता था, तो हम टाटा-बिड़ला के खिलाफ बोलते थे। लेकिन जब हमने टाटा के योगदान को समझा, तब हमें आश्चर्य होता था कि हम टाटा-बिड़ला क्यों कहते रहे।
  • सवाल यह है कि आप जिन लोगों को निशाना बना रहे हैं, अगर उन्होंने कुछ गलत किया है तो लोकतंत्र में आपको 100% उनके खिलाफ बोलने का अधिकार है, लेकिन बिना किसी अर्थ के हमला करना, ये मुझे समझ नहीं आता।
  • अंबानी ने पेट्रोकैमिकल क्षेत्र में और अडाणी ने बिजली क्षेत्र में योगदान दिया है। क्या देश को इन बिजली या पेट्रोकैमिकल की जरूरत नहीं है? ये ऐसे लोग हैं जो इस तरह की जिम्मेदारी लेते हैं और देश के नाम के लिए काम करते हैं।
  • संसद में टकराव हो, ये ठीक है। उस दिन सत्र नहीं चलेगा, लेकिन सदन को अगले दिन चलाने की सभी की जिम्मेदारी है। चाहे आप शाम को बैठें या अगले दिन, वहां समाधान खोजने की कोशिश होनी चाहिए। लेकिन विपक्ष और सरकार दोनों ने कोशिश नहीं की। संवाद की यह प्रक्रिया इन दिनों नहीं दिखी।

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